आचायश्री प्रसन्न सागर जी महाराज का मैनपुरी में बुधवार को मंगलप्रवेश हुआ। इस अवसर पर उनकी भव्य अगवानी हुई। आचार्यश्री ने यहां धर्मसभा को संबोधित किया। खास बात यह कि मैनपुरी के डॉ. सुशील कुमार जैन जैनेश्वरी भगवती दीक्षा को धारण करके नगर गौरव को गौरवान्वित करते हुए आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी महाराज के सकल संघ के साथ मुनिश्री सहज सागर जी बनकर पहली बार पधारे हैं। पढ़िए मैनपुरी से राजकुमार जैन अजमेरा की यह खबर…
मैनपुरी/कोडरमा। अहिंसा संस्कार पद यात्रा के प्रणेता आचार्य श्री प्रसन्न सागर महाराज ने 1500 किमी पद विहार कर बुधवार को मैनपुरी में अपने चतुर्विध संघ के साथ मंगल प्रवेश किया। प्रवेश के बाद धर्म सभा को संबोधित किया और कहा कि प्रभु भक्ति, गुरुकृपा और आत्म विश्वास असंभव को भी संभव करा सकता है। किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए ये तीन कार्य बहुत मायने रखते हैं। प्रभु भक्ति से शक्ति, गुरू कृपा से दिशा और आत्म विश्वास से सफलता चरणों की दासी बन जाती है। उन्होंने कहा कि ध्यान रखना! प्रभु और गुरु जानने की नहीं, मानने की चीज है। यदि आप प्रभु भक्त और गुरु के शिष्य हैं तो एक बात अपने जहन में बसा लें। कि गुरुकृपा और प्रभु भक्ति से हम अपने लक्ष्य को सहजता से प्राप्त कर सकते हैं। जैसे प्रभु भक्ति, गुरुकृपा और आत्म विश्वास से डॉ. सुशीलचंद्र मैनपुरी, पंडित शिवचरण लाल मैनपुरी, पंडित दीपचंद्र छाबड़ा जयपुर वालों ने पाया। शिवचरण लाल ने मुनि श्री वाग्मय सागरजी बनकर उत्कृष्ट समाधिमरण किया।
आत्म विश्वास में निडरता और आत्म निर्भरता निहित
आचार्यश्री प्रसन्न सागर ने कहा कि मीरा सी भक्ति, एकलव्य सा समर्पण जब अंतर्मन में उपजता है, तो श्रद्धा का फूल विश्वास की हवा को कभी खिरने नहीं देता। जो गैर जिम्मेदार है, वह ना समर्पण कर सकते हैं और ना कुछ प्राप्त कर सकते हैं क्योंकि समर्पण और श्रद्धा ही आत्मनिर्भर और आत्मविश्वास को पैदा करती है। जैसे 100 रुपए में 50 रुपए निहित है, वैसे ही आत्म विश्वास में निडरता और आत्म निर्भरता निहित है। यदि आपके पास सौ रुपए नहीं है तो हजार भी नहीं होंगे। इसी प्रकार जिनको अपनी श्रद्धा-भक्ति, आत्म विश्वास पर डाउट है, वे लोग कभी ना सफल हो सकते, ना आत्मनिर्भर। समर्पण का अर्थ हैः-साहिल भी तू है, किनारा भी तू है। पार करना या डूबोना, सब तेरे हाथ में है।
मुनिश्री सहज सागर जी पहली बार पधारे हैं
आर्यावर्त की ऐतिहासिक विरासत को संवृद्ध करता एक अचंभित करने वाले शहर मैनपुरी के डॉ. सुशील कुमार जैन जैनेश्वरी भगवती दीक्षा को धारण करके नगर गौरव को गौरवान्वित करते हुए आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी महाराज के सकल संघ के साथ मुनिश्री सहज सागर जी बनकर पहली बार पधारे हैं।
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