मुंगाणा में आचार्य वर्धमान सागर संघ सहित विराजित हैं। आचार्य संघ सानिध्य में प्रतिदिन पंचामृत अभिषेक, शास्त्र प्रवचन, स्वाध्याय श्रावक-श्राविकाओं संस्कार शिविर चल रहा है। इसमें बड़ी संख्या में समाजजन भाग ले रहे हैं। श्रावक संस्कार शिविर में मुनिश्री हितेंद्र सागर महाराज ने श्रावकों को मंदिर में भगवान की स्तुति क्यों करते हैं, इसकी विवेचना की। पूजा का महत्व बताया। पढ़िए मुंगाणा से यह खबर…
मुंगाणा। अनेक साधुओं की जन्म एवं कर्म भूमि धर्मनगरी मुंगाणा में आचार्य वर्धमान सागर संघ सहित विराजित हैं। आचार्य संघ सानिध्य में प्रतिदिन प्रातःपंचामृत अभिषेक, शास्त्र प्रवचन, दोपहर को स्वाध्याय, शाम को श्रावक-श्राविकाओं संस्कार शिविर का आयोजन चल रहा है। इसमें बड़ी संख्या में धर्मावलंबी भाग ले रहे हैं। श्रावक संस्कार शिविर में मुनिश्री हितेंद्र सागर महाराज ने श्रावकों को मंदिर में भगवान की स्तुति क्यों करते हैं, इसकी विवेचना में बताया कि भगवान के दर्शन कर भगवान का गुणानुवाद दर्शन स्तुति के माध्यम से करते हैं। भगवान के दर्शन करने से सुख शांति मिलती है। श्रीजी के दर्शन खाली हाथ से नहीं करना चाहिए। अच्छे द्रव्य चावल, श्रीफल, फल ले जाकर भगवान के दर्शन करना चाहिए क्योंकि, खाली हाथ जाओगे तो मंदिर से खाली हाथ ही वापस आना होगा। चावल अक्षत होता है, उससे लाभ अक्षय प्राप्त होता है। हमें भी संसार के आवागमन से मुक्त होने के लिए प्रतीक रूप से चावल चढ़ाना चाहिए।
पर्वताकार चावल का पुंज सकारात्मक ऊर्जा देता है
राजेश पंचोलिया ने बताया कि मुनिश्री हितेंद्र सागर ने बताया कि जन्म, जरा, मृत्यु के दुखों से छुटकारा पाने के लिए भगवान की तीन परिक्रमा लगाई जाती है। पंच परमेष्टि अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु को नमन करते हुए चावल के 5 पुंज और जिनवाणी के समक्ष प्रथमानुयोग, चरणानुयोग, करणानुयोग, द्रव्यानुयोग चार पुंज चढ़ाए जाने चाहिए। गुरु के समक्ष रत्नत्रय के प्रतीक तीन पुंज चढ़ाना चाहिए। चावल का क्या महत्व होता है। इसे सरल भाषा में समझाया सर्वप्रथम चावल ही क्यों चढ़ाया जाता है। इसकी विवेचना सरल शब्दों में कर बताया कि चावल अखंड होता है, धवल होता है, अक्षय होता है, मंगलकारी है, इसलिए मंदिर में चावल चढ़ाए जाते हैं। भारत देश में चावल के अलग-अलग नाम हो सकते हैं। मंदिर में मुट्ठी भर कर भगवान को चावल चढ़ाने से पर्वताकार चावल का पुंज सकारात्मक ऊर्जा देता है। अखंड चावल अर्पित करने से अखंड सुख मिलता है, धवल सामग्री से परिणाम में विशुद्धता आती है।
आर्यिका देवर्धी मति के उपदेश हुए
समाज के अध्यक्ष करणमल, अनिरुद्ध ने बताया कि आचार्य संघ के आने से काफी धर्म प्रभावना हो रही हैं। सुबह भगवान के अभिषेक पूजन के बाद आर्यिका देवर्धी मति के उपदेश हुए। शाम को भगवान और आचार्य वर्धमान सागर की आरती की जाती है।
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