मंथन पत्रिका

दोहों का रहस्य -34 हमें अपने मन को वश में करना सीखना चाहिए, : मन को साधने की कला ले जाती है सही दिशा में 


दोहे भारतीय साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा हैं, जो संक्षिप्त और सटीक रूप में गहरी बातें कहने के लिए प्रसिद्ध हैं। दोहे में केवल दो पंक्तियां होती हैं, लेकिन इन पंक्तियों में निहित अर्थ और संदेश अत्यंत गहरे होते हैं। एक दोहा छोटा सा होता है, लेकिन उसमें जीवन की बड़ी-बड़ी बातें समाहित होती हैं। यह संक्षिप्तता के साथ गहरे विचारों को व्यक्त करने का एक अद्भुत तरीका है। दोहों का रहस्य कॉलम की चौंतीसवीं कड़ी में पढ़ें मंजू अजमेरा का लेख…


बाजीगर का बंदरा, ऐसा जीव मन के साथ,

नाना नाच दिखाई करे, राखे अपने साथ।


कबीरदास जी मन और जीव (आत्मा) के संबंध को बहुत सुंदर तरीके से समझाते हैं। वे मनुष्य के चंचल मन की तुलना उस बंदर से करते हैं, जो एक बाजीगर के नियंत्रण में रहता है। यह बंदर (मन) नाना प्रकार के नृत्य (भ्रम, इच्छाएं, विकार) दिखाता है, लेकिन अंततः बाजीगर (आत्मा/सुपर चेतना) के नियंत्रण में ही रहता है।

हमारा मन संसार के नाट्य में व्यस्त रहता है, अलग-अलग रूप धारण करता है, इच्छाओं में भटकता है, परंतु अंततः यह आत्मा के साथ ही जुड़ा रहता है। यदि आत्मा अपने मन को काबू में रखे, तो मोक्ष की प्राप्ति संभव है। मनुष्य का मन एक बंदर की तरह है, जो सांसारिक मोह-माया के नृत्य में लगा रहता है। यदि आत्मा (बाजीगर) इसे नियंत्रित कर ले, तो मनुष्य मोक्ष, शांति और आत्मसाक्षात्कार प्राप्त कर सकता है। अन्यथा, यह मन उसे हर जन्म में भटकाता रहेगा और संसार के नाच में उलझाए रखेगा।

इसलिए, हमें अपने मन को वश में करना सीखना चाहिए, ताकि यह हमारी आत्मा के नियंत्रण में रहे, न कि हमें संसार की मृग-मरीचिका में भटकाए। जो व्यक्ति अपने मन को नियंत्रित करना सीख जाता है, वही सच्चा ज्ञानी और मुक्त आत्मा बन सकता है। अन्यथा, यह मन उसे नचाता रहेगा और अंततः वह संसार के मोह में उलझा रह जाएगा। इसलिए, हमें अपने मन को साधने की कला सीखनी चाहिए, ताकि यह हमें सही दिशा में ले जाए और जीवन को सार्थक बनाए।

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