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विनयांजलि कार्यक्रम में आचार्यश्री को भारत रत्न देने की उठाई मांग : श्री दिगम्बर दोनों जैन मंदिर में समाधि महोत्सव के रूप में मनाया स्मृति दिवस


आचार्यश्री विद्यासागर जी का प्रथम समाधि स्मृति दिवस जैन समाज और आचार्य विद्यासागर पाठशाला द्वारा यहां विराजमान मुनिश्री शास्वत सागर जी महाराज के सानिध्य में श्री दिगम्बर दोनों जैन मंदिर में समाधि महोत्सव के रूप में मनाया। समाज की महिलाएं, पुरुष और बच्चों ने आचार्यश्री विद्यासागर जी के जीवन उनके आदर्शों पर नाट्य मंचन आदि कई सांस्कृतिक कार्यक्रम किए। समाजजनों ने विनयांजलि अर्पित की। पढ़िए कोडरमा से राजकुमार अजमेरा की यह खबर…


कोडरमा। राष्ट्र संत आचार्यश्री विद्यासागर जी महामुनिराज के प्रथम समाधि स्मृति दिवस जैन समाज और आचार्य विद्यासागर पाठशाला द्वारा यहां विराजमान मुनिश्री शास्वत सागर जी महाराज के सानिध्य में श्री दिगम्बर दोनों जैन मंदिर में समाधि महोत्सव के रूप में मनाया। समाज की महिलाएं, पुरुष और बच्चों ने आचार्यश्री विद्यासागर जी के जीवन उनके आदर्शों पर नाट्य मंचन आदि कई सांस्कृतिक कार्यक्रम किए। प्रातः दोनों मंदिर जी में महमस्तिकाभिषेक और विशेष विश्व शांति धारा की गई। जिसका सौभाग्य सुरेंद्र सौरभ काला परिवार को प्राप्त हुआ। भगवन का विशेष पूजन सुबोध-आशा गंगवाल द्वारा संगीतमय पूजन और आचार्य के 36 गुणों का बखान करते हुए 36 अर्घ्य और श्रीफल गुरु चरणों मे समर्पित किए गए। पूजन सामग्री के दातार संजय-बबिता गंगवाल परिवार को सौभाग्य प्राप्त हुआ।

कोडरमा के रास्ते जयकारों से गूंजे

जैन बड़ा मंदिर से जुलूस निकाला गया। जो नगर भ्रमण कर जैन मंदिर में समापन हुआ। मार्ग में श्रद्धालु भक्तजन, महिला, पुरुष और बच्चे आचार्यश्री विद्यासागर जी के उद्घोष जयकारा लगा रहे थे। गुरुदेव द्वारा आजीवन नमक, मीठा, ड्रायफ्रूट्स, दही आदि कई त्याग का बेनर लेकर चल रहे थे।

आदर्श और प्रयासों को याद किया

राष्ट्रीय निर्माण और भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए आचार्य श्री विद्यासागर जीने अपनी पूरी जिंदगी लगा दी उनका एक ही अभियान था इंडिया नही भारत बोलो,गोशाला की स्थापना,हथकरघा को बढ़ावा देना, बालिकाओं के लिए विश्वविद्यालय की स्थापना जैसे बहुत से कार्य का अभियान की शुरूआत गुरुदेव ने की। आज उनके पुण्य स्मृति दिवस पर राष्ट्र के लिए उनके द्वारा किए गए आदर्श को प्रयासों को याद किया गया।

भारतीय संस्कृति के प्रतीक थे आचार्य

समाज के मंत्री नरेंद्र झाझंरी ने कहा कि जैन संत आचार्य विद्यासागर सभी धर्म के लोगों में पूजनीय थे। सत्य अहिंसा और भारतीय संस्कृति के प्रतीक थे। उनकी समाधि पर उनके द्वारा बताए गए रास्तों पर चलना ही सच्ची श्रद्धांजलि है। समाजसेवी सुरेश झाझंरी एवं पार्षद पिंकी जैन ने भारत सरकार से उन्हें भारत रत्न देने की अपील की।

इन्होंने श्रद्धांजलि अर्पित की

सुशील छाबड़ा राज छाबड़ा सुरेंद्रकाला ,जय कुमार गंगवाल कमल सेठी सुरेश सेठी प्रदीप छाबड़ा ,सुनीता सेठी, ईशा सेठी,नीलम सेठी, समाज के मीडिया प्रभारी नवीन जैन, राजकुमार अजमेरा ने पूज्य आचार्य की समाधि पर अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि प्रकट की।

इनका कार्यक्रम में रहा सहयोग

रात्रि जैन मंदिर में गुरुदेव के विनयांजलि सभा की समाप्ति के बाद मंदिर में महाआरती के बाद समाज के सभी श्रद्धालु भक्तजनों ने झंडा चौक पर दीपक प्रज्वलित किए। सभी कार्यक्रम में जैन समाज,जैन महिला संगठन,जैन युवक समिति के साथ श्री दिगंबर जैनाचार्य विद्यासागर प्रामाणिक पाठशाला झुमरी तिलैया, कोडरमा, झारखंड की शिक्षिकाएं एवं बच्चों और कार्यक्रम की संयोजिका सुनीता सेठी का सहयोग रहा।

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