गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आचार्य श्री विद्यासागर जी की समाधि स्थली के दर्शन किए। इस अवसर पर 100 रुपए के स्मारक सिक्के और डाक आवरण का लोकार्पण किया। इस अवसर पर देशभर से श्रद्धालु तीर्थ चंद्रगिरी पर पहुंचे थे। सभी ने धर्मलाभ लिया। डोगरगढ़ से पढ़िए डॉ. सुनील जैन ‘संचय’ की यह खबर…
डोंगरगढ़। संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का गुरुवार को प्रथम समाधि स्मृति दिवस समाधिस्थल पर निर्यापक श्रमण मुनि श्री समतासागर जी महाराज सहित अनेक साधुओं, आर्यिका माता जी के सानिध्य में मनाया गया। इस अवसर पर गृहमंत्री अमित शाह के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने समाधि स्थल के दर्शन किए। इस दौरान दोपहर 1 बजे गृहमंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उपमुख्यमंत्रीविजय शर्मा, राज्य सभा सांसद नवीन जैन, छत्तीसगढ़ के वित्तमंत्री ओपी चौधरी एवं राजनांदगांव सांसद संतोष पांडेय आदि ने श्री दिगंबर जैन चंद्रगिरी अतिशय महातीर्थ क्षेत्र में आचार्य श्री विद्यासागर जी की समाधि स्थली के दर्शन किए।
चरण चिह्न और समाधि स्मारक का हुआ भूमिपूजन
गृहमंत्री अमित शाह ने 108 अष्टधातु से निर्मित आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी के चरण चिह्न का लोकार्पण किया और यहां बनने वाले समाधि स्मारक का भूमिपूजन कर शिला स्थापित की। यहां मौजूद मुनि संघ एवं आर्यिका संघ के दर्शनकर श्रीफल चढ़ाया और आशीर्वाद लिया।
अतिथियों का किया स्वागत
अतिथियों का पगड़ी पहनाकर, माला पहनाकर एवं तिलक लगाकर स्वागत किया गया। इस अवसर पर 100 रुपए के सिक्के और डाक आवरण का लोकार्पण गृहमंत्री, मुख्यमंत्री आदि ने किया।
कृतियों का विमोचन भी हुआ
एलक धैर्य सागर महाराज जी द्वारा रचित “अंतर्यात्री महायात्रा” नामक पुस्तक का विमोचन किया गया। निर्यापक श्रमण श्री समतासागर महाराज जी द्वारा रचित “समाधि संबोधन” नामक पुस्तक का विमोचन किया गया।
निःशुल्क कन्या विद्यालय का लोकार्पण
डिजिटल माध्यम से प्रतिभास्थली विद्योदय ज्ञानपीठ रोजगारोन्मुखी निःशुल्क कन्या विद्यालय, कारोपानी, डिंडोरी मप्र का लोकार्पण किया। जहां छात्राओं को पढ़ाई के साथ-साथ रोजगार की शिक्षा निःशुल्क प्रदान की जाएगी।
अलौकिक व्यक्तित्व आचार्यश्रीः गृहमंत्री अमित शाह
गृहमंत्री अमित शाह जी ने कहा कि आज युग पुरुष को, ईश्वर तुल्य महापुरुष के कार्यों को कार्यांजलि देने का दिन है। यह मेरा परम सौभाग्य है कि संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का पहले 5 बार दर्शन किया और उनसे काफी चर्चाएं भी हुई हैं। उन्होंने हमेशा सबसे पहले अपने देश की प्रगति के बारे में अपने विचार रखे हैं। उनका व्यक्तित्व इनता प्रभावकारी है कि जिससे संयम और त्याग के भाव स्वतः ही होता है। उनका संपूर्ण जीवन त्याग, तपस्या और संयम के साथ व्यतीत हुआ। आचार्य श्री जैनाचार्य ही नहीं बल्कि युगपुरुष थे। उन्होंने नए विचारों के साथ युग का परिवर्तन किया। ऐसा उनका जीवन था।
इंडिया की जगह भारत होना आचार्यश्री की ही देन है
आचार्य गुरुदेव द्वारा धर्म और संस्कृति की चर्चा करते हुए गृहमंत्री शाह ने कहा कि यह उनकी तप साधना का ही प्रभाव है कि जब मैं उनसे पहले मिला तो उनके चिंतन में देश की भाषा और संस्कृति की झलक मिलती थी, उनका विचार था कि देश की सभी भाषाओं का सम्मान होना चाहिए। इंडिया की जगह भारत होना आचार्यश्री की ही देन है। उन्होंने कहा भगवान महावीर के सिद्धांत “अहिंसा परमोधर्मः” के सिद्धांत को मात्र कहा ही नहीं उसको जिया भी है।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय एवं राज्यसभा सदस्य नवीन जैन ने भी अपना उदबोधन दिया।
जहां भी नजर जाएगी वहीं गुरवर के दर्शन मिलेंगे
इस अवसर पर निर्यापक श्रमण मुनि श्री समतासागर महाराज ने प्रातःकालीन धर्म सभा में कहा कि गुरु के चरण इसलिए पूजनीय हैं क्योंकि उन चरणों का आचरण जीवन भर पूजनीय और आदर्शमय रहा है। संपूर्ण भारत से आज अतिशयक्षेत्र चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में भगवान चंद्र प्रभु और गुरुदेव आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज को अर्घ्य समर्पित करके सौभाग्यशाली समझ रहे हैं।
आप लोग यह मत समझना कि गुरुवर हमारे बीच में नहीं हैं, आप जहां-जहां भी नजर उठाकर देखोगे वहीं आपको गुरुवर के दर्शन होंगे।
इस अवसर पर मिला संतों का सानिध्य
इस अवसर पर मुनि श्री पवित्रसागर जी, मुनि श्री आगमसागर जी, मुनि श्री पुनीत सागर जी, वरिष्ठ आर्यिका गुरुमति माताजी ,आर्यिकारत्न दृढमति माताजी, आर्यिकारत्न आदर्शमती माताजी सहित सैकड़ों की संख्या में आर्यिका माता तथा ऐलक श्री निश्चयसागर जी, ऐलकश्री धैर्यसागर जी, ऐलकश्री निजानंद सागर जी, ऐलक स्वागत सागर जी, क्षु. संयम सागर जी महाराज के साथ सैंकड़ों की संख्या में उदासीन आश्रम इंदौर, जबलपुर, सागर से साधनारत ब्रह्मचारी एवं साधनारत प्रतिभास्थली की बहनें आदि प्रमुख नगरों से श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थीं। इस अवसर पर ब्र. रेखा दीदी ने भी संबोधित किया।संचालन चंद्रकांत जैन ने किया।
अभिषेक, शांतिधारा व आचार्यश्री का पूजन
राष्ट्रीय प्रवक्ता अविनाश जैन विद्यावाणी, प्रचार प्रमुख निशांत जैन, सप्रेम जैन ने बताया कि प्रातःकाल भगवान का अभिषेक, शांतिधारा और आचार्यश्री का पूजन श्रावक श्रेष्ठी भामाशाह अशोक पाटनी, प्रभात जी मुंबई द्वारा संपन्न की गई। मुनिश्री को पड़गाहन कर आहार देने का सौभाग्य भी मिला। शांतिधारा के लिए निर्यापक मुनि श्री समतासागर महाराज जी ने मंत्रोच्चारण किया।
प्रमुख श्रेष्ठिवर्ग रहे उपस्थित
प्रातःकाल से ही समूचे भारत के श्रेष्ठी गण जिसमें अशोक पाटनी, प्रभातजी मुंबई, राज्यसभा सदस्य नवीन जैन, सुधीर जैन दिल्ली, विद्यायतन के अध्यक्ष विनोद बड़जात्या, महामंत्री निखिल जैन, मनीष जैन, दीपेश जैन, अमित जैन, नरेश जैन, चंद्रगिरी तीर्थ क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष किशोर जैन, सुभाष जैन, निर्मल जैन, विनोद जैन कोयला, नवीन जैन दिल्ली, अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य प्रकाश मोदी भाटापारा, प्रदीप जैन विश्वपरिवार आदि उपस्थित रहे।
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