सिहोनियाजी में चल रहे पंच कल्याणक महामहोत्सव के दूसरे दिन नाभिराय महाराज का दरबार सजाया गया। तीर्थंकर बालक के गर्भ में आते ही कुबेर ने पांडाल में रत्नों की बारिश की। दोपहर में माता की गोद भराई में बड़ी संख्या महिलाएं शामिल हुईं। ज्ञात रहे कि यहॉ आचार्य वसुनंदीजी के सान्निध्य में पंच कल्याणक महोत्सव की धार्मिक क्रियाएं पंडित शास्त्रीजी के निर्देशन में सम्पन्न हो रही हैं। पढ़िए अंबाह से अजय जैन की यह पूरी खबर…
अंबाह। प्रसिद्ध जैन तीर्थ स्थल सिहोनियाजी में चल रहे पंचकल्याणक महामहोत्सव के दूसरे दिन तीर्थकर भगवान आदिनाथ के पिता नाभिराय महाराज का दरबार सजाया गया। तीर्थंकर बालक के गर्भ में आते ही कुबेर ने पांडाल में रत्नों की बारिश की। दोपहर में तीर्थंकर बालक की माता की गोद भराई में बड़ी संख्या महिलाएं शामिल हुईं।
जो महिला तीर्थंकर माता की गोद भरती है उसकी गोद खाली नहीं रहती
ऐसी मान्यता है कि जो महिला पंचकल्याणक में तीर्थंकर माता की गोद भरती है, उसकी गोद खाली नहीं रहती। महोत्सव में सुबह आचार्य वसुनंदीजी महाराज के प्रवचन भी हुए। हजारों की संख्या में भक्तों के आगे पांडाल दूसरे दिन ही छोटा पड़ गया। ज्ञात रहे कि सिहोनिया जी मे आचार्य वसुनंदीजी महाराज के पावन सान्निध्य में पंचकल्याणक महोत्सव की धार्मिक क्रियाएं पंडित मनोज जैन शास्त्रीजी के निर्देशन में सम्पन्न हो रही हैं। गुरुवार सुबह भगवान का अभिषेक, शांतिधारा और नित्य पूजन व गर्भ कल्याणक की पूजन की गई। इस अवसर पर आचार्य वसुनंदी जी महाराज ने कहा कि स्वयं के साथ-साथ जगत के कल्याणक के लिए भगवान का जन्म होता है।
गोदभराई से पहले 16 स्वप्नों का अर्थ बताया
आयोजन स्थल पर शाम को 24 तीर्थंकरों के पिता महाराज का दरबार सजाया गया। यहां माता ने जो 16 सपने देखे थे, उनका अर्थ पूछा। तब महाराज ने अपने अवधि ज्ञान से महारानी को 16 सपनों का अर्थ बताते हुए कहा कि महारानी के गर्भ से तीर्थंकर बालक का जन्म होने वाला है। यह बालक धर्म का प्रवर्तन करेगा, सत्य धर्म का प्रचार करेगा, अतुल पराक्रमी होगा, यशस्वी होगा, अंधकार का नाश करेगा, अनेक लक्षणों से सुशोभित होगा, केवल ज्ञान प्राप्त करेगा, सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चारित्र का धारक होगा।
आज मनेगा जन्म कल्याणक
पंचकल्याणक महोत्सव में भगवान का जन्म कल्याणक आज सुबह सात बजे आयोजित किया जायेगा। तीर्थंकर भगवन के जन्म लेते ही सैकड़ो वाद्ययंत्र बजाकर खुशी मनाई जाएगी। सौधर्म इन्द्र और उनकी पत्नि शची तीर्थंकर बालक को सुमेरु पर्वत पर ले जाकर 1008 कलशों से अभिषेक करेंगे।
हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा होगी
इस दौरान हेलीकॉप्टर से द्वारा आयोजन स्थल पर पुष्प वर्षा की जाएगी। पंचकल्याणक तीर्थंकर भगवान के गर्भ में आने से लेकर मोक्ष के विभिन्न अवसरों के रूप में मनुष्य और देवताओं द्वारा यथा समय मनाए जाते हैं। ये कल्याणक इनके तीर्थंकर नामक सर्वातिशायी पूण्य प्रकृति के उदय से ही होते हैं।
तीर्थंकर के पंचकल्याणक होते है
वसुनंदी जी महाराज ने पंचकल्याणक के दूसरे दिवस प्रातरू काल अपने मंगल प्रवचनों में कहा कि तीर्थंकर भगवान के पंचकल्याणक होते हैं। पंच कल्याणक सभी मोक्ष गामी जीवों के नहीं होते। संसार का यह विशेष पद आश्चर्य पैदा करता है। तीर्थंकर के वैभव को सौधर्म इंद्र भी नमस्कार करता है। तीर्थंकर बनने वाले के पांच कल्याणक भारत व ऐरावत क्षेत्र में होते हैं। सम्यक दृष्टि जीव ही सदैव तीर्थंकर बनता है। सम्यक दृष्टि गृहस्थ भी हो सकता है। तीर्थंकर जहां जन्म लेते हैं, वहां चारों तरफ खुशहाली छा जाती है।
इंद्र रत्न वृष्टि करते हैं
वसनंदी महाराज ने कहा कि सौधर्म इंद्र रत्न वृष्टि करता है। वह एक बार में 3.30 करोड़ रत्न की वर्षा करता है। ऐसा 3 बार होता है। तीर्थंकर बालक का जन्म होने के पूर्व माँ के गर्भ में संस्कार दिए जाते हैं।
बच्चों के मोबाइल पर पेरेंट्स नजर रखें
आज माँ अपने बच्चों को संस्कार नहीं दे पा रही हैं, उसके दुष्परिणाम समाज में देखने को मिल रहे हैं। बच्चे मोबाइल से संस्कारविहीन हो रहे हैं। वे उसका उपयोग कम दुरुपयोग ज्यादा कर रहे हैं। बच्चों के मोबाइल के उपयोग पर माता-पिता को नजर रखनी चाहिए
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