श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर परिसर में भी आचार्य श्री का समाधि दिवस मनाया गया। सर्वप्रथम श्री जी का अभिषेक एवं शांति धारा की गई। शांति धारा के उपरांत नित्य नियम पूजन किया गया। आचार्यश्री का गुणानुवाद किया गया। पढ़िए रामगंजमंडी से अभिषेक लुहाड़िया की खबर…
रामगंजमंडी। विश्व वंदनी आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का समाधि दिवस संपूर्ण भारत ही नहीं, संपूर्ण विश्व में मनाया गया। यहां के श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर परिसर में भी आचार्य श्री का समाधि दिवस मनाया गया। सर्वप्रथम श्री जी का अभिषेक एवं शांति धारा की गई। शांति धारा के उपरांत नित्य नियम पूजन किया गया। पंडित जयकुमार जैन निशांत, संतोष भैया शास्त्री के निर्देशन में आचार्य गुरुवर विद्यासागर महाराज का विशेष पूजन किया गया। गुरु चरणों में भावभीनी विनयाजलि अर्पित की।
भक्तामर की मंगल आरती की
इस अवसर पर पं. निशांत ने आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से जुड़े कई संस्मरणों को सुनाया एवं उनके त्याग का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि आचार्य श्री का नमक, तेल, शक्कर, मीठे का त्याग था। इससे पूर्व समाधि दिवस की पूर्व संध्या पर आचार्य श्री के चरणों में भक्तामर स्तोत्र की 48 रिद्धि मंत्रों से आराधना की गई। भक्तामर की मंगल आरती की गई। जिसमें स्वर लहरियां रामकुमार जैन एंड पार्टी भोपाल द्वारा बिखेरी गई। संगीतकार रामकुमार जैन भोपाल द्वारा अनेक भजन सुनाए गए। जिन्हें सुनकर भक्त भावुक हो गए।
विद्यासागर महाराज पधारो म्हारे आंगनिया
अष्ट द्रव्यों के विशेष थाल सजाकर आचार्य श्री का पूजन किया गया एवं भजनों द्वारा गुरु चरणों में पूजन करते हुए भक्त द्रव्य समर्पित कर रहे थे। ‘भक्ति करो झूम-झूम के, भावना की चुनर ओढ़के, रामगंजमंडी में आज भक्ति धूम-धूम, विद्यासागर महाराज पधारो म्हारे आंगनिया, छोटे बाबा रे पधारो स्वामी मोहरे अंगना रे’ जैसे भजनों पर भक्त झूमकर गुरु चरणों में भक्ति प्रदर्शित कर रहे थे।
64 रिद्धि का महत्व समझाया
जब रामकुमार जैन द्वारा गुरु के प्रति भजन गाया कि कैसे धरे मन मेरा धीरा के चारों भैया निकल गए रे तो सभी भाव विभोर हो गए। सभी ने सम्मिलित होकर गुरु चरणों में अपने श्रद्धा भाव प्रकट किए। इसी क्रम में सिद्ध चक्र महामंडल विधान की बेला में 64 रिद्धि के अर्घ्य समर्पित किए गए एवं पंडित श्री ने 64 रिद्धि का वर्णन भी सभी को समझाया।
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