दोहे भारतीय साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा हैं, जो संक्षिप्त और सटीक रूप में गहरी बातें कहने के लिए प्रसिद्ध हैं। दोहे में केवल दो पंक्तियां होती हैं, लेकिन इन पंक्तियों में निहित अर्थ और संदेश अत्यंत गहरे होते हैं। एक दोहा छोटा सा होता है, लेकिन उसमें जीवन की बड़ी-बड़ी बातें समाहित होती हैं। यह संक्षिप्तता के साथ गहरे विचारों को व्यक्त करने का एक अद्भुत तरीका है। दोहों का रहस्य कॉलम की छब्बीसवीं कड़ी में पढ़ें मंजू अजमेरा का लेख…
जो ताकू कांटा बुवे, ताहि बोय तू फूल।
ताकू फूल के फूल है, बाकू है त्रिशूल।।
यह दोहा सिखाता है कि दूसरों के बुरे कर्मों का बदला लेना हमारी आत्मा की शुद्धता को नष्ट कर सकता है। यदि कोई हमारे प्रति शत्रुता या द्वेष रखता है (कांटे बिछाता है), तो हमें उसे प्रेम, दया और क्षमा के फूल देने चाहिए। ऐसा करने से न केवल हमारी आत्मा उन्नत होती है, बल्कि यह हमारे भीतर ईश्वर का वास स्थापित करता है।
यदि समाज में हर व्यक्ति बुराई के बदले बुराई करना शुरू कर दे, तो अशांति और हिंसा का साम्राज्य फैल जाएगा। कबीर का यह दोहा हमें यह सिखाता है कि शांति और सद्भाव का मार्ग प्रेम और क्षमा से होकर गुजरता है। जब आप किसी के प्रति अच्छा व्यवहार करते हैं, तो वह व्यक्ति अंततः अपने किए पर पछतावा करता है और परिवर्तित हो सकता है।
दूसरों की गलतियों और उनके बुरे व्यवहार के बदले प्रेम का भाव रखने से समाज में एक ऐसा वातावरण बनता है, जो द्वेष और हिंसा को समाप्त कर सकता है। यह दोहा गहरे नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों का प्रतीक है। यह हमें आत्म-शुद्धि, क्षमा, सहिष्णुता, और प्रेम का मार्ग अपनाने की प्रेरणा देता है। यह संदेश देता है कि बुराई का उत्तर बुराई से देने के बजाय, हमें प्रेम और करुणा का मार्ग अपनाना चाहिए, क्योंकि यही वह मार्ग है जो हमारी आत्मा को शांति और जीवन को सार्थकता प्रदान करता है।
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