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महाराष्ट्र सरकार का मिड-डे मील में अंडा नहीं देने का आदेश : डॉ. कल्याण गंगवाल ने फैसले का किया स्वागत


महाराष्ट्र सरकार ने स्कूल के मध्यान्ह भोजन में अंडा दिए जाने पर पूरी तरह रोक लगा दी है। शाकाहार के प्रचार-प्रसार में अग्रणी डॉ.कल्याण गंगवाल ने महाराष्ट्र सरकार के मिड-डे मील में अंडा नहीं दिए जाने के आदेश पर हर्ष जताया है। उनके ही प्रयास से सरकार का यह आदेश आया है। उन्होंने सरकार का आभार जताया है। पढ़िए पुणे से अभिषेक पाटिल की यह खबर…


  पुणे (महाराष्ट्र)। शाकाहार के प्रचार-प्रसार में अग्रणी डॉ.कल्याण गंगवाल ने महाराष्ट्र सरकार के मिड-डे मील में अंडा नहीं दिए जाने के आदेश जारी करने पर हर्ष जताया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस का आभार जताया डॉ कल्याण गंगवाल के 80वें जन्मदिन के दूसरे दिन 28 जनवरी को सरकार ने यह आदेश जारी किया है।

डॉ. गंगवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में की थी मांग

वर्ष 2023 में डॉ. गंगवाल ने सरकार से इस पर रोक लगाने एवं इसके दुष्प्रभाव के बारे में बताया था। डॉ. कल्याण गंगवाल ने कहा 7 नवंबर 2023 को सरकारी निर्णय प्रकाशित करके स्कूल में कक्षा 1 से 8 वीं तक के छात्रों को स्कूली पोषण आहार में उबला अंडा, अंडा भुर्जी, अंडा बिरयानी और केला देने की घोषणा की थी। उस समय डॉक्टर गंगवाल ने इसे रोकने की अपील करते हुए इसके दुष्प्रभाव बताए थे। उन्होंने कहा था कि वैज्ञानिक रूप से मांसाहार स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और स्कूल के पोषाहार में अंडा नहीं दिया जाना चाहिए। सरकार जल्द यह निर्णय वापस ले। ऐसी मांग सर्वजीव मंगल प्रतिष्ठान के संस्थापक डॉ. गंगवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में की थी।

शाकाहारी बच्चों के लिए बताया था गलत

डॉ. कल्याण गंगवाल ने उस समय कहा था कि स्कूल के लंच में अंडा परोसना अनुचित है। इसकाअसर स्कूल में जैन, महानुभपंथी, ब्राह्मण और अन्य शाकाहारी छात्रों पर पड़ेगा। जब अन्य छात्र अंडे के व्यंजन खाएंगे तो वे भी उन्हें खाना चाहेंगे। चूंकि वे छोटे हैं इसलिए उन्हें इन चीज़ों के बारे में पता ही नहीं होता है। एक तरह से जैन और शाकाहारी बच्चों को मांसाहारी बनाने की महाराष्ट्र सरकार की साजिश है और ये बेहद गंभीर मामला है।

अंडे से पोषक तत्व भी ज्यादा नहीं मिलते

उस समय सरकार ने फैसले में यह कहा था कि अंडा किसानों के उत्पादों को बाजार दिलाने के

लिए यह योजना शुरू की गई है। लोगों को अपने धर्म को बचाने के लिए एकजुट होना चाहिए और सरकार के फैसले के खिलाफ एक मजबूत सामाजिक संघर्ष जरूरी है। उन्होंने बताया कि अंडे मांसाहारी होते हैं और अंडे से कोई पोषक तत्व भी ज्यादा नहीं मिलते। अंडे में विटामिन सी नहीं होता है। प्रोटीन केवल 13.5 प्रतिशत होता है। इनमें बड़ी मात्रा में कोलेस्ट्रॉल होता हैं। पोल्ट्री फार्म में मुर्गियां एंटीबायोटिक और हार्मोन के संपर्क में आती हैं।

सबके प्रयास रंग लाए

डॉ. गंगवाल और उनकी टीम ने पिछली सरकार को इसके विषय मे समझाने का प्रयास किया लेकिन, बात नहीं बनी उसके बाद उनका प्रतिनिधिमंडल देवेन्द्र फड़नवीस से मिला। उनसे आग्रह किया और कहा कि मिड-डे मील में अंडा नहीं दिया जाए क्योंकि, इसके द्वारा शाकाहारी लोगो को मांसाहारी बनाने का यह प्रयास होगा। छोटे बच्चे यह नहीं समझ पाते अंडा खाना अच्छा है या बुरा। यह आग्रह सभी संतों एवं जैन संतों ने कर इस पर रोक लगाने का आग्रह किया था। इसका बहुत अच्छा असर हुआ और प्रयास रंग लाया।

50 करोड़ रुपए का था खर्च

जानकारी के अनुसार राज्य सरकार 24 लाख स्कूली बच्चों को हफ्ते में एक अंडा देने पर सालाना 50 करोड़ रुपये खर्च करती थी। महाराष्ट्र से पहले मध्यप्रदेश ने मिड-डे मील से अंडे हटा दिए थे और हाल ही में गोवा सरकार ने भी कुछ वर्गों के विरोध के बाद मेनू में अंडे शामिल करने की अपनी योजना को छोड़ दिया था।

सर्कुलर में क्या है लिखा

सरकारी प्रस्ताव में साफ लिखा है कि अंडा अब सरकारी खर्चे से नहीं दिया जाएगा।

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