आचार्यश्री प्रज्ञासागर जी महामुनिराज ससंघ का शनिवार को श्रीआदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर महावीर नगर द्वितीय से श्री मुनिसुव्रतनाथ दिगंबर जी त्रिकाल चौबीसी मंदिर आरके पुरम में मंगल प्रवेश हुआ। यहां उनकी मंगल अगवानी, पादप्रक्षालन, आरती की गई। आचार्य श्री के प्रवचन हुए। पढ़िए कोटा से पारस जैन पार्श्मणी की यह खबर…
कोटा। तपोभूमि प्रणेता आचार्यश्री प्रज्ञासागर जी महामुनिराज ससंघ का शनिवार को श्रीआदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर महावीर नगर द्वितीय से गाजेबाजे के साथ श्री मुनिसुव्रतनाथ दिगंबर जी त्रिकाल चौबीसी मंदिर आरके पुरम में मंगल प्रवेश हुआ। आरके पुरम मंदिर समिति के अध्यक्ष अंकित जैन, महामंत्री अनुज जैन ने बताया कि जगह-जगह स्वागत द्वार बनाए गए। जहां भक्तों द्वारा आचार्य श्री ससंघ का पाद प्रक्षालन कर मंगल आरती उतारी गई।
इन्होंने लिया पुण्य लाभ
कार्याध्यक्ष प्रकाश जैन, कोषाध्यक्ष ज्ञानचंद जैन ने बताया कि मुनिसुव्रतनाथ भगवान पर 108 ऋषि मंत्रों द्वारा प्रथम अभिषेक विनोद जैन जैन टोरडी परिवार द्वारा किया गया। शांतिधारा करने का सौभाग्य मनोज जयसवाल परिवार को मिला। राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी एवं मंदिर समिति के प्रचार-प्रसार मंत्री पारस जैन पार्श्वमणि ने बताया पंडाल का उद्घाटन कमला जैन, राजेंद्र, विनोद, मुकेश, लोकेश सोनी सीसवाली परिवारजन द्वारा किया गया।
शास्त्र किया भेंट
मंगल दीप प्रज्वलन विमल जैन तरुण वरुण अरुण वरुण जैन वर्धमान ज्वेलर्स परिवार द्वारा किया गया।आचार्य श्री के हाथों में शास्त्र भेंट यतींद्र जैन खेड़ा वाला गुरु आस्था परिवार ने किया। श्रद्धालुओं द्वारा आचार्य श्री प्रज्ञा सागर जी महाराज का पूजन किया गया। धर्म सभा का संचालन पारस जैन पार्श्वमणि ने किया।
धर्मसभा में यह रहे मौजूद
धर्मसभा में एलन संस्थान के गोविंद माहेश्वरी, सकल दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष विमल जैन नान्ता, महामंत्री विनोद जैन टोरडी, कार्याध्यक्ष जेके जैन, प्रकाश बज, नरेश वेद, लोकेश जैन बरमूडा, पंकज जैन, मुकेश जैन, अशोक पाटनी, जीतू डूंगरवाल, भागचंद मित्तल, रोहित जैन, विमल जैन, पारस जैन पत्रिका उपस्थित थे।
वय और व्रत में जो बड़ा है उसका करें सम्मान
आचार्य श्री प्रज्ञा सागर जी महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज के वर्तमान समय में परिवारों में बड़ों के प्रति आदर सम्मान और छोटों के प्रति प्यार दुलार खत्म होता जा रहा है। ये जीवन में बहुत जरूरी है। यदि कोई दर्शन, ज्ञान, चरित्र में बड़ा हो तो स्वयमेव हाथ जुड़ जाते हैं। वय और व्रत में जो आपको बड़ा दिखाई दे उनका सदैव सम्मान करना चाहिए। आसन से बढ़कर दुनिया मे कोई दूसरा सम्मान नहीं है। किसी को केवल आदर पूर्वक बैठने का एक स्थान देना भी सम्मान की प्रस्तावना में आता है।
भगवान कभी अशुभ नहीं करते
सम्मान सम्माननीय होना चाहिए।बढ़े छोटो को प्यार करते रहे और छोटे बढो को सम्मान देते रहे तो परिवार में आनंद बना रहता है। केवल मधुर वचन इतनी बड़ी दौलत है। किसी के सम्मान में कहे गए शब्द भी उसे आपका आभारी बना देते हैं। भगवान कभी अशुभ नहीं करता जो अशुभ करता है वो भगवान नहीं हो सकता।
हमारे बच्चे हमारी संस्कृति से जुड़ें
ज्ञान से संपन्न, कर्म से विमुक्त, दोषों से रहित हो ऐसे परम पिता परमात्मा का निरंतर चिंतन करना चाहिए। आज से घर के सभी बढ़े छोटों को प्यार देंगे और सभी छोटे बड़ो का सम्मान करेंगे। मकान के एक छोटे से कोने में ही सही भगवान का स्थान होना चाहिए। ताकि हमारे घर पर परमात्मा का आशीर्वाद बना रहे और हमारे बच्चे हमारी संस्कृति से जुड़े रहे। धर्मसभा में एलन के गोविंद माहेश्वरी जी का भावभीना अभिनंदन किया गया।
श्रुत स्कंध महामंडल विधान होगा
मंदिर समिति के अध्यक्ष अंकित जैन ने बताया कि वसंत पंचमी के विशेष सुअवसर पर 2 फरवरी रविवार को दोपहर 2 से 4 बजे तक पढ़ने वाले बच्चों से लिए श्रुत स्कंध महामंडल विधान श्री 1008 श्री मुनिसुव्रतनाथ नाथ भगवान के सानिध्य में आचार्य श्री प्रज्ञा सागर महाराज के पावन निर्देशन में भव्यता के साथ आयोजित की जाएगी। इसमें लड़के सफेद कुर्ता पाजामा एवं लड़कियां सफेद सलवार सूट दुपट्टा सहित अधिक से अधिक संख्या में भाग लेकर पुण्य अर्जन करे।
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