दिगंबर जैनाचार्य वसुनंदी का रचित महाकाव्य ‘अशोक रोहिणी चरित्र’ का मंगलवार को धर्म जागृति संस्थान राजस्थान प्रांत ने विमोचन कराया। इस अवसर पर विभिन्न जैन मंदिरों के पदाधिकारियों को आमंत्रित किया गया था। उन्हीं के हाथों विमोचन किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में गुरु भक्त और श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहीं। पढ़िए जयपुर से यह खबर…
जयपुर। दिगंबर जैनाचार्य वसुनंदी महामुनिराज का रचित महाकाव्य ‘अशोक रोहिणी चरित्र’ का मंगलवार को धर्म जागृति संस्थान राजस्थान प्रांत ने यहां के विभिन्न जैन मंदिरों के पदाधिकारियों से विमोचन कराया। संस्थान के संयुक्त महामंत्री संजय जैन बडजात्या कामां के अनुसार ग्रंथ ‘असोग-रोहिणी-चरियंष् (अशोक रोहिणी चरित्र) महाकाव्य आचार्य श्री वसुनंदी जी महाराज द्वारा रचित दिगंबर परंपरा का सबसे वृहद् प्राकृत महाकाव्य है।
यह है महाकाव्य की विशेषताएं
आचार्यश्री वसुनंदी जी के महाकाव्य 2 हजार 442 गाथाओं में निबद्ध और 21 नंदों में विभक्त है। यह महाकाव्य रोहिणी व्रत के माहात्म्य को प्रदर्शित करने वाला है। इसमें अशोक और रोहिणी का अत्यंत प्रेरणादायक चरित्र है। यह ग्रंथ बहुत सरल, रुचिकर व महत्वपूर्ण है।
इन क्षेत्र के समाजजन और पदाधिकारी रहे मौजूद
इस अवसर स्थानीय जैन मंदिर जनकपुरी, कीर्ति नगर, मीरा मार्ग, थड़ी मार्केट, प्रताप नगर,बरकत नगर आदि के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। पंकज लुहाड़िया ने बताया कि प्रत्येक श्रावक को इस ग्रंथ का अध्ययन अवश्य ही करना चाहिए। इस ग्रंथ की 51 प्रति उपस्थित सभी मंडल धारकों को मंदिरों के लिए स्वाध्याय के लिए उपहार स्वरूप दी गई।
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