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बावनगजा मेला अखंड जैनत्व एकता और वात्सल्य का प्रतीकः आचार्य श्री विप्रणत सागर जी के सानिध्य में हुए विधान चढ़ाया निर्वाण लाडु


84 फीट उत्तुंग भगवान आदिनाथ का मस्तकाभिषेक किया गया। आचार्य विप्रणत सागर जी महाराज के सानिध्य में निर्वाण लाडू चढ़ाया गया। इस अवसर पर आचार्य श्री विप्रणत सागर जी ने धर्मसभा को संबोधित किया। इस दौरान निमाड़ अंचल और मालवांचल से बड़ी संख्या में जैन श्रद्धालुगण बावनगजा पहुंचे थे। पढ़िए बड़वानी बावनगजा से दीपक प्रधान की यह विशेष रिपोर्ट…


बड़वानी। जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिम ब्रह्मा आदि तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का मोक्ष कल्याणक दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र बावनगजा जी में मनाया गया। यहां पर दो दिवसीय मेले का आयोजन किया गया है। यहां विराजित आचार्य श्री विप्रणत सागर जी महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि बावनगजा का ये मेला कोई धार्मिक, साहित्यिक या संस्कृतिक मेला नहीं है। ये मेला तो अखंड जैनत्व की एकता और वात्सल्य का प्रतीक है। आचार्य श्री ने काव्य शैली में धर्मसभा में सभी श्रावकों को रोमांचित कर नव चेतना से भर दिया। आचार्य श्री ने कहा कि जो एक बार भगवान आदिनाथ का नाम दिल और श्रद्धा पूर्वक ले लेता है। उसे 64 पुण्य तीर्थ के दर्शन करने का पुण्य लाभ मिलता है। उन्होंने कहा कि मौनी अमावस्या का प्रवर्तन भी आदिनाथ भगवान के बाद हुआ। भगवान आदिनाथ के मोक्ष के बाद भरत चक्रवर्ती को भी आंसू आ गए थे। वो इसलिए कि अब में किस के दर्शन करूंगा। कैसे समवशरण में धर्म वाणी श्रवण करूंगा। कौन मेरी धार्मिक जिज्ञासा को पूर्ण करेगा। आज आदिनाथ भगवान हमारे बीच होते तो हमें भी उनके दर्शन करने और उनके समवशरण में बैठने का सौभाग्य प्राप्त होता और देशना सुनने का सौभाग्य प्राप्त होता। समाज का अच्छा प्रतिनिधि राजनीति में होता था अब वो शून्य सा है।

हम सभी एकता के सूत्र में बंधेंगे

आचार्यश्री ने कहा कि भगवान ने अष्ट कर्म का नाश कर मोक्ष को प्राप्त कर लिए उनको तो खुशी प्राप्त हो गई पर हमें दुख है क्योंकि, अगर वो होते तो हमें धर्म सभा श्रवण करने को मिलती। बावनगजा को सिद्ध क्षेत्र का गौरव प्राप्त है ये अतिशय सिद्ध भूमि है। आज इस दिन सभी नियम ले लो। हम को खंड खंड हो रहे हैं। हम सभी एकता के सूत्र में बंधेंगे। मेला इसलिए होता है कि हम सभी एक सूत्र में बंधे रहे और एक जुट होकर राजनीति में भी अपना दखल रखकर भाग लें। पहले हमारे समाज का अच्छा प्रतिनिधि राजनीति में होता था अब वो शून्य सा है। आचार्यश्री ने कहा कि मोक्ष कल्याणक पर हमें अभिषेक करना है। जिन धर्म की रक्षा के लिए सच्चा जैन बनना है।

धर्म की रक्षा के लिए सदा आगे रहो

समाज के व्यक्ति के लिए हमारे दिल में ममत्व का भाव उमड़ना चाहिए। जय जिनेन्द्र करना सम्यक दर्शन का सातवां अंग है। वात्सल्य और तभी जिन धर्म की प्रभावना कर पाओगे। जैन धर्म की प्रभावना के लिए एकजुट हो जाओ। धर्म की रक्षा के लिए सदा आगे रहो। आचार्य श्री ने कहा कि समाज जन को नसीहत दी कि अपने नाम के आगे जैन ही लिखें। साथ ही मंदिर में धर्मनीति करिए राजनीति नहीं। धर्म में राजनीति आती है तो धर्म बिगड़ जाता है और राजनीति में धर्म आ जाता है तो राजनीति सुधर जाती है।

सभी अपने नाम के आगे जैन ही लिखें

इस अवसर पर नीति आयोग की सदस्य अर्चना जैन ने कहा कि आगामी महा मस्तकाभिषेक के लिए मैं मुनिपुंगव सुधा सागर जी से जीर्णाेद्धार की स्वीकृति का प्रयास कर क्षेत्र पर लाने का प्रयास करूंगी और उन्होंने समस्त उपस्थित जैन श्रावकों से अपील की है कि सभी अपने नाम के आगे जैन ही लिखें। जिससे हमारी सही जनसंख्या मालूम हो। इस अवसर पर वन एवं पर्यावरण सचिव मप्र शासन हीरालाल जी पाटीदार ने भी आचार्य संघ को श्रीफल भेंटकर आशीर्वाद प्राप्त किया। उन्होंने पौधरोपण करने और स्टॉप डेम की स्वीकृति प्रदान की। ट्रस्ट अध्यक्ष विनोद दोशी ने साधारण सभा को संचालित कर कार्यों की समीक्षा की और आगामी योजनाओं को बताया। उसके पूर्व प्रातः आचार्य श्री के सानिध्य और पंडित मौसम जी शास्त्री के मंत्रोच्चार से ध्वजारोहण हुआ और आचार्य श्री की आहार चर्या हुई।

चित्र अनावरण कर दीप प्रज्वलन हुआ

इसके बाद आचार्य संघ को सम्मान सहित मंच पर विराजित किया गया। जहां अर्चना जैन नीति आयोग सदस्य और ट्रस्ट सदस्यों द्वारा भगवान आदिनाथ की तस्वीर का चित्र अनावरण कर दीप प्रज्वलन किया। गुरुकुल के बच्चों द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया। संचालन विपुल गंगवाल ने किया और बोलियों का संचालन मौसम जी शास्त्री ने किया।

पुण्यार्जक परिवार का सम्मान किया

युवासंघ बड़वानी ने आचार्य श्री के पाद प्रक्षालन का सौभाग्य प्राप्त किया। शास्त्र भेंट नीति आयोग की सदस्य अर्चना जैन ने किया और जितने भी पुण्यार्जक परिवार थे उनका सम्मान किया गया। पश्चात तलहटी से बड़े बाबा तक बैंडबाजे,ढोल ताशे और जिन धर्म ध्वजा के साथ घट और शोभा यात्रा निकाली गई। जहां भगवान के प्रथम अभिषेक करने का सौभाग्य निर्मल मोहनलाल राणापुर परिवार को प्राप्त हुआ तो द्वितीय कलश करने का सौभाग्य शैफाली सौरभ टोंग्या परिवार इंदौर को मिला। प्रथम शांति धारा शेखर जुगल किशोर पाटनी, अंजड़ और द्वितीय शांतिधारा दिलीप रश्मि बाकलीवाल बड़नगर इंदौर को प्राप्त हुए। निर्वाण लाडू चढ़ाने का सौभाग्य शेखर जुगल पाटनी अंजड़ परिवार को प्राप्त हुआ और भगवान के शुद्ध जल के 1008 कलश से अभिषेक हुए।

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