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रजत जिनबिंबों की ढलाई के साक्षी बने श्रद्धालु : आदिनाथ जिनालय में 9 से 14 फरवरी तक होने वाले पंचकल्याणक महोत्सव के साथ विराजेंगी प्रतिमाएं


 साक्षी परिसर विद्याधाम में रविवार को जुटे जैन धर्मावलंबियों के लिए कभी न भूलने वाला और भक्तिभाव से रोमांचित करने वाला था। यहां एक साथ तीन पीढ़ियों ने 11 किलो चांदी की प्रतिमा को अपनी आंखों से ढलते देखा। श्रद्धा और भक्ति से अभिभूत जयकारों में डूबे परिसर में मौजूद लोगों का कहना था- हमारे लिए आज का दिन ऐतिहासिक ही नहीं बल्कि कभी न भूलने वाला भी है। पढ़िए यह विशेष रिपोर्ट…


ग्वालियर। साक्षी परिसर विद्याधाम में रविवार को जुटे जैन धर्मावलंबियों के लिए कभी न भूलने वाला और भक्तिभाव से रोमांचित करने वाला था। यहां एक साथ तीन पीढ़ियों ने 11 किलो चांदी की प्रतिमा को अपनी आंखों से ढलते देखा। श्रद्धा और भक्ति से अभिभूत जयकारों में डूबे परिसर में मौजूद लोगों का कहना था- हमारे लिए आज का दिन ऐतिहासिक ही नहीं बल्कि कभी न भूलने वाला भी है। हम और हमारे बच्चे जिन भगवान की जीवन भर पूजा करते हैं, आज उनका निर्माण होते देखा है। ग्वालियर में पहली बार रजत जिनबिंवों की ढलाई के दौरान तप्त भट्टी में श्रद्धालुओं ने अपनी सामर्थ्य के अनुसार सोना-चांदी आदि धातुएं भी अर्पित कीं। भट्टी की मिट्टी में से जब पहले भगवान आदिनाथ और उनके बाद पार्श्वनाथ की प्रतिमा निकली तो पूरा विद्याधाम परिसर जयकारों से गूंज उठा। ये भगवान की यह प्रतिमा सिरौल में बन रहे आदिनाथ जिनालय में 9 से 14 फरवरी तक होने वाले पंचकल्याणक महोत्सव के साथ विराजेंगी। जैन धर्म के अनुसार आज भगवान का निर्माण हुआ है और पंच कल्याणक महोत्सव के दौरान निर्वाण की प्रक्रिया पूरी होगी।

पंचकल्याणक के साथ विराजेंगे जिनबिंब

जिनबिंव आयोजन समिति के राजकुमार, धार्मिक अनुष्ठान करा रहे दीपक भैया डेहरका व आशीष भैया के अनुसार जिन रजत प्रतिमाओं को आकार दिया गया, उन्हें 9 से 14 फरवरी तक पंचकल्याणक महोत्सव के बाद भगवान आदिनाथ जिनालय में विराजेंगे। यहां भगवान पारसनाथ की सवा चार फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित होगी । ललित जैन के अनुसार महोत्सव में प्रभु एवं आचार्यों को आमंत्रण के लिए साठ से अधिक मंदिरों के अध्यक्षों ने मोरपंख से कुमकुम पत्रिका का लेखन किया। प्रथम पत्रिका राजेश जैन ने आचार्य विद्यासागर जी के नाम पर लिखी। श्रावकों ने सम्मेद शिखर, गिरनार, पावापुरी, चंपापुरी, नैनागिरी, सोनागिर, खंडगिरि, अडिन्दा, अन्देश्वर पार्श्वनाथ को निमंत्रित किया।

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