धामनोद में शीतकालीन प्रवास पर पधारे मुनिश्री विनित सागरजी महाराज यहां धर्मसभा को संबोधित कर रहे हैं। इन्होंने यहां समाजजनों को संतों के आगमन की महत्ता बताई। समाज की चेतना के लिए संतों के आगमन को प्रमुख बताया। पढ़िए धामनोद से दीपक प्रधान की यह खबर…
धामनोद। संतों के आगमन से समाजजनों में धर्म की चेतना आती है। अभी आपका यह समय कही और कार्य में व्यर्थ चला जाता किंतु संतों के नगर में आने से यह समय धर्म की वाणी के श्रवण में जा रहा है। यह उदबोधन नगर में शीतकालीन प्रवास के दौरान मुनिश्री विनितसागर जी ने सोमवार को प्रवचन के दौरान स्थानीय दिगंबर जैन मंदिर में दिया।
मन के कषाय उत्पन्न होते कर्मों का बंध होता है
मुनिश्री ने कहा कि किसी का बुरा करने से पहले हमारा स्वयं का बुरा होता है क्योंकि, किसी का भी बुरा करने का मन में विचार लाते ही हमारी आत्मा विकार भावों से दूषित हो जाती है। मन के कषाय उत्पन्न होते कर्मों का बंध होता है। किसी का भला करके उपकार करके उसे भूला देना यही महानता है। इसी प्रकार किसी के द्वारा किए हुए अपकार को भूल जाना भी वीरता और महानता है।
इस परिवारजनों को मिला आहारचर्या का सौभाग्य
सोमवार की मुनि संघ की आहार चर्या का सौभाग्य दीप्तिराकेश जैन धामनोद परिवार को प्राप्त हुआ। समाज अध्यक्ष महेश जैन सचिव दीपक प्रधान ने बताया कि मुनि सेवा समिति की टीम के सहयोग से मुनिश्री संसंघ की व्यवस्थाओं का संचालन सुचारू रूप से हो रहा है तथा मुनिश्री विनीत सागरजी महाराज के आहार और विहार में सहयोग प्रदान कर रही है। प्रवचन में जैन समाज के श्रावक और श्राविकाएं भी उपस्थित थे।
Add Comment