प्रतापगढ़ जिले के पारसोला में विराजित आचार्य वर्धमान सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में एक भव्य पिच्छिका परिवर्तन समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में देशभर से भक्तगण पहुंचे। आचार्य श्री ने धर्म सभा में प्रवचन करते हुए कहा कि दिगम्बर जैन साधु का संयम उपकरण ” पिच्छिका” (पंख) और “कमंडल” साधु के स्वावलंबन के प्रतीक होते हैं। पढ़िए दीपक प्रधान की रिपोर्ट…
धामनोद। प्रतापगढ़ जिले के पारसोला में विराजित आचार्य वर्धमान सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में एक भव्य पिच्छिका परिवर्तन समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में देशभर से भक्तगण पहुंचे। आचार्य श्री ने धर्म सभा में प्रवचन करते हुए कहा कि दिगम्बर जैन साधु का संयम उपकरण ” पिच्छिका” (पंख) और “कमंडल” साधु के स्वावलंबन के प्रतीक होते हैं। इन दोनों के बिना अहिंसा के मार्ग पर चलना संभव नहीं है। यही कारण है कि समस्त दिगम्बर साधु वर्ष में एक बार पिच्छिका का परिवर्तन करते हैं। आचार्य श्री ने पिच्छिका के गुण की महत्ता को बताते हुए कहा कि ” पिच्छिका” धूल को ग्रहण नहीं करती, यह लघुता, सुकुमारता और झुकने वाली होती है। इसके अलावा, यह कभी आंसू नहीं आने देती और साधु के कष्ट को दूर करती है।
आचार्य श्री ने यह भी बताया कि मोर पंखों की तरह, पिच्छिका स्वयं छोड़ दी जाती है, जिससे हिंसा का कोई प्रश्न नहीं उठता है। उन्होंने कहा, “आज, संयम का रथ निरंतर चल रहा है, जिसका श्रेय प्रथम आचार्य चारित्र चक्रवर्ती आचार्य शांति सागर महाराज जी को जाता है। उनके जीवन में पुण्य और प्रसाद से जो अर्जित द्रव्य का त्याग किया गया, उसी से पुण्य की प्राप्ति होती है। आप भी संयम धारण करके अपने जीवन को धन्य बना सकते हैं
नृत्य और नाटिका की प्रस्तुत
समारोह में आचार्य शांति सागर और अन्य पूर्वाचार्यों के चित्र का अनावरण कर दीप प्रज्वलन किया गया। यह सम्मान पारसोला समाज के अध्यक्ष गौरव पाटनी और पवित्र बड़जात्या को प्राप्त हुआ। कार्यक्रम के दौरान बालिकाओं ने सुंदर नृत्य और नाटिका प्रस्तुत की, जो समारोह को एक विशेष आभा प्रदान कर रही थी। इस अवसर पर आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज ने विभिन्न भक्तों को नई पिच्छिका प्रदान की और पुरानी पिच्छीका का त्याग किया। जिनमें प्रमुख रूप से किशनगढ़ की मंजू देवी, आशीष मित्तल परिवार, हरिका श्री विशेषण मति माताजी, राजेंद्र कुमार परिवार आदि शामिल थे।
चौका लगाने का प्रण
कार्यक्रम में आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज ने पाठ प्रक्षालन करने का सौभाग्य किशनगढ़ के विमल कुमार, महेंद्र कुमार और समर्थ पत्नी को प्रदान किया। साथ ही, शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य गौरव पाटनी, पवित्र बड़जात्या और अंकित जैन को मिला। समारोह के दौरान समरकंठली ने अपने उद्बोधन में कहा कि वह आगामी वर्ष भर चौका लगाएंगे और जीवनभर इस कार्यक्रम को आयोजित करते रहेंगे। मंच का संचालन मुनि श्री हितेंद्र सागर जी और हरिका श्री महाजन माटी माताजी ने किया। इस कार्यक्रम में 16 से अधिक भक्तगण अन्य राज्यों से भी उपस्थित थे।
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