रेखा जैन संपादक की स्टोरी
समर्पण की मिसाल
स्थान कोटा…95 वर्षीय… मां का जन्मदिन… संतों का आशीर्वाद…परिवार के 113 सदस्य…भक्तामर आराधना…वृषभदेव विधान, बग्घी – पालकी यात्रा…चरण प्रक्षालन…सम्मान…आशीर्वाद सभा_400 अधिक मेहमान…धर्म…संस्कार…संस्कृति…समर्पण … छत्र वितरण के साथ…जन्मदिन का…”समर्पण का सम्मान”के रूप में आयोजन।
जानें कौन कोटा का परिवार
हम…बात …करे रहे हैं…जयकुमार जैन कोटा…..की मां श्रीमती सूरजबाई की….9 नवंबर को 95 वां जन्मदिन महोत्सव जो पूरे परिवार द्वारा आयोजित किया गया…. जिसमें परिवार के …..5 वर्ष से लेकर….. 95 वर्ष की उम्र तक के… सदस्यों के साथ मित्र जन उपस्थित थे।
परिवार में कौन-कौन
श्रीमती सूरजबाई पति स्व. जीतमलजी बागड़िया के…. दो बेटे स्व.जम्बूकुमार…जयकुमार…दो बेटियां…देवकी बाई…मंजू कुल चार संतान का परिवार … जयकुमार बताते हैं कि जब मैं 1987 में 27 वर्ष का था तो पिता का निधन हो गया…तब से मां में परिवार को संभाला…आज एक अच्छे श्रावक… सफल बिजनेस मैन…के साथ पांच पीढ़ियों के 33 परिवारजन के 113 लोग संस्कार…संस्कृति…धर्म…की माला में एक साथ… बंधे हुएहैं… तो मां के समर्पण के कारण हैं।
मां को खुशी का एहसास
बेटा जय कुमार क्या कहता है…समर्पण का सम्मान कार्यक्रम के आप…उनकी ही जुबानी सुने…(ऑडियो चलना है 57 सेकंड से 1.34 तक लेना है) आप में सुना…
समाज को संदेश
मां को 3 साल से लकवा हो गया…इसलिए आर्यिका दीक्षा नहीं हो पाई… मां ने अपने शरीर को … तो परिवार के 113 सदस्य ने …जिसमें सब से कम उम्र की….5 वर्षीय हुमाइरा… ने लिवर, किडनी, नेत्र दान का संकल्प भर कर शाइन इंडिया फाउंडेशन कोटा को दिए।
ऐसा हुआ आयोजन
जन्मदिन महोत्सव पर संगीत मय भक्तामर पाठ, वृषभदेव विधान… मां को बग्घी में बैठाकर आयोजन स्थल तक ले गए..आयोजन स्थल से स्टेज तक चारों भाई बहनों के बच्चों ने उन्हें पालकी में बैठाकर पहुंचाया…. स्टेज पर मां का चरण प्रक्षालन…उनके बाद सम्मान और मां के द्वारा परिवार को आशीर्वाद दिया गया।
जैन संस्कृति की झलक
पूरे आयोजन में संस्कार- संस्कृति दिखाई दी। आने वाले अतिथियों का तिलक, माला से स्वागत, भेंट में छत्र दिया…अतिथियों को बैठकर भोजन करवाया।
दान
साढ़े पांच लाख परोपकार के लिए.. साढ़े पांच लाखरुपए धर्म के लिए दान दिए । जिसमें पक्षियों के अनाज आदि लिया और अलग-अलग मंदिर में दान दिया गया।
आयोजन मां के लिए समर्पित
आयोजन का निमंत्रण पत्र, दान, मेहमानों को भेंट, लिफाफे, बैग और पूरे आयोजन में उपयोग आने वाली वस्तुओं में मां का नाम था… परिवार के किसी अन्य सदस्य का नाम नहीं था। मां के हाथों से सब करवाया…
सांसारिक नहीं, धर्म का प्रतीक दिया
आयोजन में आए 325 विशेष मेहमानों और परिवार के सदस्यों को…. रजत छत्र…भेंट किया …इस बारे में जयकुमार क्या कहते हैं, सुनें(ऑडियो 7:32 से 7:56) । इसके पहले भी पुत्र…बेटी…भतीजे…की शादी में रजत दीपक, चंवर, मंदिर की डिब्बी, कलश, श्रीफल मेहमानों को भेंट कर चुके हैं। पारिवारिक आयोजन में धार्मिक वस्तुओं को देने की प्रेरणा आर. के. साहब दिल्ली से मिली।
आशीर्वाद पत्र
उपाध्याय श्री ऊर्जयंतसागरजी, मुनि श्री जयकीर्ति, गणिनी आर्यिका विशुद्धमतिजी माताजी, आर्यिका श्री सम्मेदशिखरमति माताजी, आर्यिका श्री विशिष्टमति माताजी, आर्यिका श्री श्रुतमति माताजी का आशीर्वाद पत्र जन्मदिन पर मिला।
समर्पण का सम्मान
पिता के जाने के बाद …मां ने अपने समर्पण के साथ…पूरे परिवार का पालन पोषण किया …इसी कारण जन्मदिन महोत्सव को “समर्पण का सम्मान”…नाम दिया।
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