समाचार

आर्यिका सरस्वती माता जी के सानिध्य में आयोजन : अष्टाह्निका पर्व में आयोजित 8 दिवसीय नंदीश्वर द्वीप मंडल विधान का हुआ समापन


 नगर में चातुर्मासरत आर्यिका सरस्वती माता जी के सानिध्य में अष्टाह्निका महापर्व में आयोजित 8 दिवसीय नंदीश्वर द्वीप मंडल विधान का समापन अत्यंत श्रद्धा और भक्ति भाव से किया गया। यह विधान विशेष रूप से अष्टाह्निका पर्व में किया जाता है, जो वर्ष में तीन बार—कार्तिक, फाल्गुन और आषाढ़ मास में—आता है। पढ़िए सन्मति जैन काका की विशेष रिपोर्ट…


सनावद। नगर में चातुर्मासरत आर्यिका सरस्वती माता जी के सानिध्य में अष्टाह्निका महापर्व में आयोजित 8 दिवसीय नंदीश्वर द्वीप मंडल विधान का समापन अत्यंत श्रद्धा और भक्ति भाव से किया गया। यह विधान विशेष रूप से अष्टाह्निका पर्व में किया जाता है, जो वर्ष में तीन बार—कार्तिक, फाल्गुन और आषाढ़ मास में—आता है। बड़े मंदिर जी में विराजमान गणिनी आर्यिका सरस्वती माताजी के ससंघ के सानिध्य में यह 8 दिवसीय नंदीश्वर द्वीप मंडल विधान शुक्रवार को पूर्ण आहुतियां देकर समापन हुआ।

इस अवसर पर प्रातःकाल श्री जी का पंचामृत अभिषेक और शांति धारा आयोजित की गई, तत्पश्चात सामूहिक पूजन हुआ। दोपहर में विधान की पूजा के बाद, अंत में वारिश जैन के द्वारा ज्याप और हवन कर पूर्णाहुति दी गई। इस विधान में प्रमुख सौधर्म इंद्र और इंद्राणी बनने का सौभाग्य पुष्पा सुनील जैन पांवणा परिवार को प्राप्त हुआ।

आर्यिका सरस्वती माताजी का उपदेश

इस अवसर पर आर्यिका सरस्वती माताजी ने कहा, “अष्टाह्निका पर्व में जिनेंद्र भगवान की आराधना करके कर्मों की निर्जरा शास्त्रों में वर्णित है। इस महापर्व में देवों द्वारा नंदीश्वर द्वीप में जाकर अखंड भक्ति की जाती है। हमें यहीं से प्रभु भक्ति में सराबोर होना है, भले ही हम न वहां जा पाएं। सौधर्म इंद्र अपने इंद्र परिवार के साथ नंदीश्वर द्वीप, जो आठवां द्वीप है, में स्थित अनादि और अनंतकालीन 52 अकृत्रिम चैत्यालयों में पूजन करके हर्षित होते हैं।” “इसी भावनानुसार हमें स्वयं में इंद्र की स्थापना करनी चाहिए और देवलोक जैसी शक्ति का आभास कर जिन मंदिरों में पूजा करनी चाहिए।” इस पावन अवसर पर प्रतिदिन रात्रि में 52 दीपों से नंदीश्वर द्वीप विधान की आरती की गई, जिससे सभी समाजजनों ने पुण्य अर्जित किया।

पिच्छिका परिवर्तन समारोह

नगर में पिछले चार माह से चातुर्मासरत गणिनी आर्यिका 105 सरस्वती माताजी ससंघ का चातुर्मास समाप्ति के बाद पिच्छिका परिवर्तन समारोह आचार्य श्री शांति सागर वर्धमान देशना संत निलय में आयोजित किया जाएगा। समारोह में रविवार दोपहर 1 बजे से सर्वप्रथम मंगलाचरण, स्वागत नृत्य, पाद प्रक्षालन, शास्त्र भेंट और पिच्छिका परिवर्तन समारोह आयोजित किया जाएगा।

आप को यह कंटेंट कैसा लगा अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे।
+1
0
+1
0
+1
0

About the author

Shreephal Jain News

Add Comment

Click here to post a comment

You cannot copy content of this page

× श्रीफल ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें