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धर्मालंकार आचार्य रयण सागरजी महाराज के समाधि स्थल पर आयोजन : चरण चिन्ह प्रतिष्ठापना महोत्सव सम्पन्न


नगर में जन्मे और नगर गौरव धर्मालंकार दिगम्बर जैनाचार्य श्री रयण सागरजी महाराज के समाधि स्थल आनंदपुर कालू में रविवार को उनकी चतुर्थ समाधि दिवस महोत्सव का आयोजन किया गया। इस अवसर पर समाधि स्थल पर सफेद पाषाण से निर्मित नवनिर्मित छतरी में आचार्य रयण सागरजी महाराज के चरण चिन्ह की प्रतिष्ठापना समारोह भी आयोजित किया गया। पढ़िए यह विशेष रिपोर्ट…


सागवाड़ा। नगर में जन्मे और नगर गौरव धर्मालंकार दिगम्बर जैनाचार्य श्री रयण सागरजी महाराज के समाधि स्थल आनंदपुर कालू में रविवार को उनकी चतुर्थ समाधि दिवस महोत्सव का आयोजन किया गया। इस अवसर पर समाधि स्थल पर सफेद पाषाण से निर्मित नवनिर्मित छतरी में आचार्य रयण सागरजी महाराज के चरण चिन्ह की प्रतिष्ठापना समारोह भी आयोजित किया गया। समारोह का आयोजन ब्रह्मचारिणी निर्मला दीदी के सानिध्य में, सकल जैन समाज कालू द्वारा प्रतिष्ठाचार्य विनोद पगारिया “विरल” सागवाड़ा के तत्वावधान में सम्पन्न हुआ।

समारोह का आयोजन और धार्मिक क्रियाएं

समारोह की शुरुआत रविवार को प्रातः काल जिनेन्द्र भगवान के अभिषेक पूजन से हुई। इसके बाद आचार्य छत्तीसी विधान के तहत विधान मण्डप पर अष्ट द्रव्य और श्रीफल युक्त अर्घ समर्पित किए गए। इस धार्मिक अनुष्ठान के बाद आयोजित विनयांजलि सभा में प्रमुख रूप से सेठ महेश नोगामिया, पवन कुमार गोवाडिया और ट्रस्टी राजेन्द्र पंचोरी ने गुरु चरणों में अपने श्रद्धा भाव प्रस्तुत किए।

चरण चिन्ह प्रतिष्ठापना और शोभा यात्रा 

इसके बाद सफेद संगमरमर पाषाण से निर्मित आचार्य रयण सागरजी महाराज और मुनि शिव सागर महाराज के चरण चिन्ह की शुद्धिकरण क्रिया और प्रतिष्ठा विधि का आयोजन इन्द्र इन्दाणी समूह द्वारा किया गया। इस अवसर पर चरण चिन्ह को जैन भवन से बैण्ड बाजों के साथ शोभा यात्रा के रूप में समाधि स्थल पर ले जाया गया, जहां पर अनेक श्रद्धालु उपस्थित थे।

नवनिर्मित छतरी में चरण चिन्ह प्रतिष्ठा

समारोह के अंतिम चरण में, प्रतिष्ठाचार्य पगारिया के मंत्रोच्चारण के साथ मधु महावीर बोहरा परिवार द्वारा आचार्य रयण सागरजी और मुनि शिव सागरजी के चरण चिन्ह नवनिर्मित छतरी में स्थापित किए गए। इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनने के लिए सागवाड़ा, डूंगरपर, बांसवाड़ा, उदयपुर, जोधपुर और अन्य स्थानों से श्रद्धालु उपस्थित हुए।

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