भारत के सर्वोच्च न्यायालय के विस्तार भवन के भूमिपूजन समारोह में ‘णमोकार महामंत्र’ का पवित्र उच्चारण किया गया, जिसने पूरे परिसर को गुंजा दिया। इस महत्वपूर्ण अवसर पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉ. धनंजय वाई चंद्रचूड़, न्यायाधीशों और विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही। भूमिपूजन समारोह में आवास और शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल, विधि और न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, भारत के अटॉर्नी जनरल तुषार मेहता, और अन्य प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया। पढ़िए यह विशेष रिपोर्ट…
नई दिल्ली। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के विस्तार भवन के भूमिपूजन समारोह में ‘णमोकार महामंत्र’ का पवित्र उच्चारण किया गया, जिसने पूरे परिसर को गुंजा दिया। इस महत्वपूर्ण अवसर पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉ. धनंजय वाई चंद्रचूड़, न्यायाधीशों और विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही। भूमिपूजन समारोह में आवास और शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल, विधि और न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, भारत के अटॉर्नी जनरल तुषार मेहता, और अन्य प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया। इस समारोह में सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया, जो जैन समाज के लिए गर्व का क्षण था।
डॉ. इन्दु जैन ने ‘णमोकार महामंत्र’ का उच्चारण किया। डॉ. इन्दु राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जैन धर्म का प्रतिनिधित्व करती हैं । डॉ. इन्दु जैन भारत सरकार के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग में विशेषज्ञ सलाहकार सदस्य भी हैं और आपने नवीन संसद भवन के भूमि पूजन एवं उद्घाटन समारोह में भी जैन धर्म का प्रतिनिधित्व भी किया था। इस सम्पूर्ण सर्वधर्म प्रार्थना सभा के संयोजन का कार्य सुप्रीम कोर्ट भूमि पूजन के आयोजकों ने राकेश जैन को सौंपा था। उन्होंने कुशलता पूर्वक इसके आयोजन में अपनी मुख्य भूमिका निभाई और इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में सर्वधर्म प्रार्थना सभा के आयोजन की सभी विशिष्ट अतिथियों ने प्रशंसा की ।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, एडवोकेट, विशिष्ट अतिथियों के साथ अतिथि के रूप में समाजसेवी हेमचंद जैन, सुखराज सेठिया (अध्यक्ष-तेरापंथ ), विद्वान प्रो. अनेकान्त जैन(सम्पादक -पागद भासा) डॉ. अमित जैन (सम्पादक -चाणक्य वार्ता) भी इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने। समारोह में विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों ने अपनी प्रार्थनाएं प्रस्तुत की, जिसमें डॉ. बलदेव आनंद, जे.पी. मिश्रा (वैदिक), श्री गुरवचन सिंह (सिख), फादर मोनसे (क्रिश्चियन), कास्तु सेन (बौद्ध), मराज़बन (पारसी), और डॉ. अंसार अहमद (इस्लाम) शामिल थे। यह समारोह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक एकता की परंपरा को दर्शाता है, जिसमें सभी धर्मों के अनुयायियों ने एक साथ मिलकर प्रार्थना की। इस प्रकार, यह घटना जैन धर्म की प्रतिष्ठा को और बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर बनी। सम्पूर्ण जैन समाज ने डॉ. इन्दु और राकेश जैन को इस ऐतिहासिक आयोजन के लिए बधाइयां दीं।
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