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अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज का धर्म प्रभावना रथ के पांचवे पड़ाव का तीसरा दिन : सकारात्मक ऊर्जा के लिए निर्मलता और पवित्रता आवश्यक है-मुनि पूज्य सागर


अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर महाराज के धर्म प्रभावना रथ का पांचवां पड़ाव श्री 1008 पदम प्रभु दिगंबर जैन मंदिर, वैभव नगर में चल रहा है। इस कार्यक्रम में 12 दिवसीय वृहद भक्तामर महामंडल विधान का आयोजन किया जा रहा है। अब तक इस आयोजन में कुल 627 अर्घ्य समर्पित किए जा चुके हैं। कार्यक्रम में अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज ने प्रवचन में भक्तामर विधान में बीज अक्षर के साथ अर्घ्य समर्पित करने की महत्ता पर जोर दिया। पढ़िए यह विशेष रिपोर्ट…


इंदौर। अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर महाराज के धर्म प्रभावना रथ का पांचवां पड़ाव श्री 1008 पदम प्रभु दिगंबर जैन मंदिर, वैभव नगर में चल रहा है। इस कार्यक्रम में 12 दिवसीय वृहद भक्तामर महामंडल विधान का आयोजन किया जा रहा है।

विधान के तीसरे दिन, मुख्य पुण्यार्जक अशोक सुनीता पालविया और प्रमोद शोभना जैन परिवार, तथा 12 दिवसीय सौधर्म इन्द्र संजय सीमा जैन ने भक्तामर काव्य के 9, 10, 11 और 12 काव्य की आराधना करते हुए 224 अर्घ्य समर्पित किए। अब तक इस आयोजन में कुल 627 अर्घ्य समर्पित किए जा चुके हैं।

इस विशेष अवसर पर शान्तिधारा का लाभ भरत ऋतु जैन, ऋषभ विभूति, पर्व, ध्रुव जैन को प्राप्त हुआ। दीप प्रज्वलन, चित्रानावरण और मुनि श्री के पाद प्रक्षालन का लाभ अशोक सुनीता, सौरभ, शिल्पा, अर्पित, आकृति, और अर्श पालविया परिवार को मिला। शास्त्र भेंट का लाभ प्रमोद शोभना जैन, विमला कैलाश जैन, और संदीप राजकुमार मदावत परिवार को प्राप्त हुआ।

हर घर में हो भक्तामर काव्य यंत्र

कार्यक्रम में अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज ने प्रवचन में भक्तामर विधान में बीज अक्षर के साथ अर्घ्य समर्पित करने की महत्ता पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि भक्तामर के प्रत्येक काव्य के पाठ से शारीरिक, मानसिक और आर्थिक संकटों को दूर किया जा सकता है।

उन्होंने यह भी बताया कि भक्तामर काव्य आचार्य मांगतुंग स्वामी की आस्था, श्रद्धा, विश्वास और समर्पण का फल है। जितनी आस्था से इसकी आराधना की जाएगी, उतना ही इसका प्रभाव बढ़ता जाएगा।

मुनि श्री ने कहा कि आचार्य मांगतुंग ने जिस निर्मलता और पवित्रता के साथ भक्तामर काव्य की रचना की, आज हम उस स्तर की निर्मलता नहीं रख पा रहे हैं। सकारात्मक ऊर्जा के लिए निर्मलता और पवित्रता आवश्यक है।

भक्तामर काव्य में भक्ति के साथ मंत्र और ऋद्धि मंत्र का समावेश इस काव्य को जैन धर्म में विशेष स्थान देता है। उन्होंने बताया कि यदि इसे शुद्धता और विधि के साथ पढ़ा जाए, तो यह विभिन्न बीमारियों जैसे टीबी, शुगर, हार्ट अटैक, कैंसर और भूत-प्रेत की बाधाओं से रक्षा करता है।

भक्तामर काव्य यंत्र हर घर में होना चाहिए, क्योंकि यह हमें आने वाले संकटों से बचाता है और उनसे लड़ने की हिम्मत देता है।

यंत्र मंत्र की शक्ति से संकट को दूर किया जा सकता और काव्य कर्म निर्जरा कर पुण्य बंध का कारण बनता है।

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