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धर्म प्रभावना रथ के चतुर्थ पड़ाव का 18वा दिन : अंतरंग मन से क्षमा करना ही सच्चा क्षमावाणी पर्व है – मुनि पूज्य सागर महाराज


अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज के सानिध्य में क्षमा वाणी पर्व के दिन श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर, संविद नगर, कनाडिया रोड पर मुनि श्री ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जिनके प्रति आपने कषाय बांध रखी है उनसे क्षमा मांगना और उनको क्षमा करना ही क्षमा वाणी पर्व को सार्थक करता है सिर्फ ऊपरी दिखावे से नहीं अंतरंग से माफ करना ही सच्चा क्षमा वाणी पर्व है। पढ़िए रेखा संजय जैन की यह विशेष रिपोर्ट…


इंदौर। अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज के चातुर्मास धर्म प्रभावना रथ के चतुर्थ पड़ाव के 18वें दिन श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर, संविद नगर, कनाडिया रोड पर बड़े ही हर्षोल्लास के साथ धर्म प्रभावना हुई। सर्वप्रथम श्रीजी के अभिषेक और शांति धारा हुई।

तत्पश्चात मंगलाचरण की प्रस्तुति कुमारी साक्षी जैन और शांति देवी ने दी। मुनि श्री के पाद प्रक्षालन और शास्त्र भेंट के पुण्यार्जक शशि नेमीचंद जैन, गौरव, अंकित, अंकिता जैन परिवार रहे। प्रवचन पश्चात आज उत्तम क्षमा पर्व पर श्री जी के अभिषेक होने के पश्चात सामूहिक उत्तम क्षमावाणी मनाई गई।

धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री ने कहा की 10 लक्षण पर्व की समाप्ति के बाद आज क्षमा वाणी पर्व है। यह क्षमा वाणी पर्व तीन बातों पर निर्भर करता है क्षमा करना, क्षमा मांगना और क्षमा को स्वीकार करना। यहां क्षमता को स्वीकार करने से तात्पर्य है कि जो हमने जो पाप, गलती की है या जो हुई है उन्हें स्वीकार कर लेना चाहिए और यह अंतरंग से स्वीकार होना चाहिए।

लोक व्यवहार या किसी के दबाव में जो स्वीकारा जाता है वह क्षमा स्वीकारने में नहीं आता है। क्षमा करने से यहां पर तात्पर्य है कि समता भाव को धारण करना। और क्षमा मांगना से तात्पर्य है क्षमा को विनय के साथ मांगी जा रही है तो वह पाप कर्म की निर्जरा का कारण बनेगी और अगर अविनय के साथ मांगी गई है तो वह पाप कर्म के निर्जरा का कारण नहीं बन सकती।

मुनिश्री ने कहा की क्षमता को स्वीकार करना चाहिए और उसके अस्तित्व को भी स्वीकार करना चाहिए। अगर क्षमा को अस्तित्व के साथ स्वीकार किया है तभी क्षमा वाणी पर्व की सार्थकता होगी। आचार्य भगवंत कहते हैं कि ऐसी क्षमा मांगना व्यर्थ है जो सिर्फ दिखावे के लिए है एल। यह तो हम धोखा कर रहे हैं जिनवाणी मां के साथ, अरिहंत देव के साथ और गुरुओं के साथ।

अगर आपके मन में एक पल के लिए भी अंदर से क्षमा का भाव आता है तो उससे पता चलता है कि आपके अंदर के निर्मलता कितनी है। वैसे भी शास्त्र के अनुसार कहा गया है कि 6 महीने से ऊपर अगर हम किसी के प्रति कषाय और गलती को लेकर बैठे हैं तो वह सब मिथ्यात्व है। मुनिश्री ने आज सभी को यह आशीर्वाद स्वरुप कहा कि कैसे भी परिस्थिति हो आप सभी श्रावकों द्वारा कभी भी देव, शास्त्र और गुरु की अवेहलना ना हो।

ये भी रहे मौजूद

इस अवसर पर धर्म सभा में तल्लीन बड़जात्या पारस चैनल, समाज के अध्यक्ष एल.सी. जैन, सचिव महावीर जैन, पवन मोदी, महावीर सेठ, सत्येंद्र जैन, आनंद पहाड़िया, राजेश जैन, लाल मंदिर कनाडिया रोड महिला मंडल, कमलेश जैन, टीना जैन, व अन्य समाजजन मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन महावीर जैन ने किया।

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