किंचन्य आत्मा की उस दशा का नाम है जहां पर बाहरी तो सब कुछ छूट जाता है किंतु आंतरिक संकल्प विकल्प भी शांत हो जाते हैं। चतुर्मास रत आर्यिका सरस्वती माताजी ने अपनी वाणी से अमृत रस का पान करवाते हुए पर्युषण पर्व के 9 वे दिन संत निलय में आकिंचन्य धर्म के दिन आकिंचन्य धर्म पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आकिंचन्य अर्थात भगवान आत्मा के सिवा इस लोक में कोई भी कुछ भी मेरा नहीं है, ऐसा भाव। पढ़िए सन्मति जैन की रिपोर्ट…
सनावद। किंचन्य आत्मा की उस दशा का नाम है जहां पर बाहरी तो सब कुछ छूट जाता है किंतु आंतरिक संकल्प विकल्प भी शांत हो जाते हैं। सन्मति जैन ने बताया की नगर में चतुर्मास रत आर्यिका सरस्वती माताजी ने अपनी वाणी से अमृत रस का पान करवाते हुए पर्युषण पर्व के 9 वे दिन संत निलय में आकिंचन्य धर्म के दिन आकिंचन्य धर्म पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आकिंचन्य अर्थात भगवान आत्मा के सिवा इस लोक में कोई भी कुछ भी मेरा नहीं है, ऐसा भाव।
यह भाव जब सच्ची श्रद्धा के साथ होता है, तब ‘उत्तम आकिंचन्य धर्म’ नाम पाता है। आकिंचन्य का अर्थ है झील में लहरों का ना उठना दर्पण की भांति एकदम स्वच्छ और ज्ञानी की तरह निर्भन्त स्तिथि का होना । ज्ञानी के मन में विचारों की भीड़ नहीं होती क्योंकि विचारों की भीड़ आकिंचन्य में बाधक है ठीक इसके विपरीत जब मन अस्वस्थ होता है तब वह विवेक शून्य हो जाता है। केवल विचारों की भीड़ रह जाती है और हम जीते रहते हैं। जन्म से मृत्यु तक आकिंचन्य चित को उदार बनाता है देह के प्रति राग छुडाता है सांसारिक सुखों से विरक्ति दिलाता है रत्नत्रय में प्रवृर्ति करता है।
आकिंचन्य धर्म साधना का पवित्र दिवस है आज परिग्रह मुक्ति का मंगलकारी मुहूर्त है ऐसा उप कारक मुहूर्त क्षण जिसमें व्यवताओ को अलविदा कर सार्थकता को स्वीकार करना है जो प्राणी ममता लोभ और अहंकार का त्याग करता है वह निश्चय ही संसार से पार उतरता है इस संपूर्ण बुराई को त्याग करके आकिंचन्य को अपनाना चाहिए। आकिंचन्य धर्म केंदिन संत भवन में शांति धारा करने का अवसर आशीष कुमार जैन रेवाडा परिवार को प्राप्त हुआ। दोपहर में आर्यिका माताजी के सानिध्य में जिनवाणी पूजन करने का अवसर सावित्री बाई कैलाश चंद जटाले एवं प्रभा सुरेश कुमार लश्करे परिवार को प्राप्त हुआ। इस अवसर पर सभी समाजजन उपस्थित थे।
आज मनाया जायेगा अंनत चतुर्दशी पर्व
अंनत चतुर्दशी पर्व के अवशर पर आदिनाथ जिनालय, सुपार्श्वनाथ जिनालय, पार्श्वनाथ जिनालय, में दोपहर में श्रीजी का अभिषेक कर अंनत चतुर्दशी का पर्व मनाया जायेगा।
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