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कलाकुंज जैन मंदिर में दशलक्षण पर्व के नौवें दिन पर आयोजन : समझाया उत्तम अकिंचन धर्म का अर्थ 


 महावीर दिगंबर जैन मंदिर कलाकुंज मारुति स्टेट में चल रहे दशलक्षण महापर्व के नौवें दिन सोमवार को उत्तम अकिंचन धर्म की आराधना की गई| जिसमें सर्वप्रथम भक्तों ने श्रीजी की प्रतिमाओं का स्वर्ण कलशों से अभिषेक किया,साथ ही पंडित पीयूष जैन शास्त्री ने वृहद मंत्रों से शांतिधारा संपन्न कराई। शांतिधारा के बाद सभी प्रतिमाओं का परिमार्जन किया गया। पढ़िए शुभम जैन की रिपोर्ट…


आगरा। श्री महावीर दिगंबर जैन मंदिर कलाकुंज मारुति स्टेट में चल रहे दशलक्षण महापर्व के नौवें दिन सोमवार को उत्तम अकिंचन धर्म की आराधना की गई| जिसमें सर्वप्रथम भक्तों ने श्रीजी की प्रतिमाओं का स्वर्ण कलशों से अभिषेक किया,साथ ही पंडित पीयूष जैन शास्त्री ने वृहद मंत्रों से शांतिधारा संपन्न कराई। शांतिधारा के बाद सभी प्रतिमाओं का परिमार्जन किया गया।

इसके बाद उपस्थित सभी श्रावक-श्राविकाओं ने पंडित पीयूष जैन शास्त्री के निर्देशन में मंत्रोच्चारण के साथ उत्तम अकिंचन की पूजन की क्रियाएं संपन्न कीं। पंडित पीयूष जैन शास्त्री ने उत्तम अकिंचन धर्म का महत्व बताते हुए हम भौतिक चीजों के प्रति अपने सुख को ढूंढते हैं। परंतु ये हमारे दुःख का कारण बनते हैं। अनावश्यक वस्तुओं का परित्याग कर आवश्यक चीजों के साथ जीवन के व्यतीत करना अकिंचन धर्म है। साय: 7:00 बजे भक्तों द्वारा प्रभु की मंगल आरती की गई। दशलक्षण महापर्व के अंतिम दिन 17 सितंबर को उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म एव 12 तीर्थंकर श्री भगवान वासुपूज्य का निर्वाण कल्याणक महोत्सव भी मनाया जाएगा।

इस अवसर पर रविन्द्र जैन (बुर),मुकेश जैनभगत, आदित्या जैन भगत,राजीव जैन, संयम जैन, संजीव जैन, रिखव जैन, प्रमोद जैन, देवेन्द्र जैन, पवन जैन, प्रवीन जैन, दीपक जैन, संजय जैन, शुभम जैन सहित समस्त कलाकुंज जैन समाज के लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे|

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