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उत्तम तप धर्म पर हुई मंदिर में धर्म प्रभावना : उत्तम तप धर्म अपनाएं जीवन को बेहतर स्वस्थ्य, सुंदर पवित्र बनाएं- विजय शास्त्री 


श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में दस लक्षण पर्व के सातवें दिन उत्तम तप धर्म की संगीतमय में सामूहिक अभिषेक शांतिधारा पूजन पंडित विजय शास्त्री के द्वारा मंत्र उच्चारण के साथ संपन्न कराया। जिसमें महिलाएं पुरुष बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। पढ़िए मनोज जैन नायक की रिपोर्ट…


अम्बाह/मुरैना। श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में दस लक्षण पर्व के सातवें दिन उत्तम तप धर्म की संगीतमय में सामूहिक अभिषेक शांतिधारा पूजन पंडित विजय शास्त्री के द्वारा मंत्र उच्चारण के साथ संपन्न कराया। जिसमें महिलाएं पुरुष बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। सुबह प्रवचन में विजय शास्त्री ने उत्तम तप के धर्म के बारे में बताया है कि आत्म शुद्धि के लिये इच्छाओं का रोकना तप है। मानसिक इच्छायें साँसारिक बाहरी पदार्थों मैं चक्कर लगाया करती हैं अथवा शरीर के सुख साधनों में केन्द्रिय रहती हैं।

अतः शरीर को प्रमादी न बनने देने के लिये बहिरंग तप किये जाते हैं और मन की वृत्ति आत्म-मुख करने के लिये अन्तरंग तपों का विधान किया गया है। दोनों प्रकार के तप आत्म शुद्धि के अमोध साधन हैं। रात्रि को श्री अरिहंत सेवा मंडल द्वारा संस्कृतिक कार्यक्रम खुल जा मोक्ष के द्वार सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। जिसमें तीन गेट बनाये गये। जिसमें सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चारित्र, तीनों गेट के अंदर भरपूर इनामों का ढेर लगा हुआ था।

विजेताओं की पर्ची नम्बर एक घड़ा के अंदर डाली हुई थी। घड़ा से छोटे बच्चे द्वारा पर्ची निकल गई। विजेताओं से प्रश्न किए गए। उत्तर देने वाले ने गेट नं चुना सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चारित्र, गेट चुने वालों ईनाम दी गई। इनामों में कुर्सी, स्टूल, थाली, कटोरी, चम्मच, गिलास आदि थे।

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