समाचार

पर्यूषण पर्व में गौ उपचार एवं पशु चिकित्सालय के लिए संकल्पित हुए श्रेष्ठीजन : त्याग ही जीवन में मुक्ति का द्वार, जिससे ही मिलती आत्मशान्ति- मुनि श्री अविचल सागर महाराज 


पर्युषण पर्व पर अभिनंदनोदय तीर्थक्षेत्र में धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए मुनिश्री अविचल सागर महाराज ने कहा कि त्याग के माध्यम से जीवन में आत्मशान्ति मिलती है। त्याग को मुक्ति का द्वार बताते हुए उन्होंने कहा त्याग में ही सच्चा सुख है।इसलिए हमें त्याग धर्म को स्वीकारना चाहिए। पर पदार्थ को पूर्ण रूप से त्यागना ही सबसे बड़ा दान बताते हुए उन्होंने कहा इसे यथा समय करते रहना चाहिए। पढ़िए राजीव सिंघाई की रिपोर्ट…


ललितपुर। पर्युषण पर्व पर अभिनंदनोदय तीर्थक्षेत्र में धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए मुनिश्री अविचल सागर महाराज ने कहा कि त्याग के माध्यम से जीवन में आत्मशान्ति मिलती है। त्याग को मुक्ति का द्वार बताते हुए उन्होंने कहा त्याग में ही सच्चा सुख है।इसलिए हमें त्याग धर्म को स्वीकारना चाहिए। पर पदार्थ को पूर्ण रूप से त्यागना ही सबसे बड़ा दान बताते हुए उन्होंने कहा इसे यथा समय करते रहना चाहिए। मुनि श्री ने कहा त्याग हमारी आत्मा को स्वस्थ और सुन्दर बनाता है,जिसको धारण करने में सुख मिलता है।

त्याग एक ऐसा धर्म है जिसके बिना हमारा जीवन कष्टमय हो जाता है। उन्होंने प्रेरक प्रसंगों के माध्यम से श्रावकों को त्याग धर्म से जुडने के लिए प्रेरित किया।धर्मसभा का शुभारम्भ आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के सम्मुख श्रेष्ठी प्रवीण चौधरी, गुलाबचंद्र जैन शिक्षक, हरीष सिंघई, राजेन्द्र डोंगरया, राजेश जैन द्वारा किया गया जबकि तत्वार्थ सूत्र का वाचन कु. आर्ची जैन एवं खुशी जैन एवं अर्घ्य समर्पण वीरेन्द्र जैन,सुखा जैन,विकल्प जैन,सुरेन्द्र जैन मडावरा द्वारा किया गया। जैन पंचायत के अध्यक्ष डॉ. अक्षय टडैया ने बताया दिगम्बर जैन पंचायत के तत्वावधान में आचार्य श्री विद्यासागर गौ उपाचार केन्द्र एवं संत सुधासागर पक्षी चिकित्सालय के लिए समाज के श्रेष्ठीजन मुनि श्री की प्रेरणा से संकल्पित हो रहे हैं।

अनेक श्रेष्ठीजनों ने त्याग धर्म के दिन इसके लिए अपनी भावनाएं व्यक्त कर मुनि श्री से आर्शीर्वाद लिया। धर्मसभा का संचालन महामंत्री आकाश जैन ने किया। सायंकाल अभिनंदनोदय तीर्थ पर 48 दीपों से भक्ताम्मर आरती में श्रावक सम्मलित हुए और भक्तिपूर्वक आरती की। इसके उपरान्त नीली श्राविका बहु मण्डल ने नाटिका के माध्यम से बुजुर्गों की सेवा का संदेश देकर वृद्धजनों की सेवा को पुण्य का कार्य बताया।

निराकुलता त्याग मार्ग में ही संभव

जैन अटामंदिर में धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए पंकज जैन शास्त्री ने कहा कि उपकार की भावना से अपनी वस्तु का त्याग करना दान है।उन्होंने कहा शान्ति और निराकुलता त्याग मार्ग में ही संभव है। प्रातःकाल तत्वार्थ सूत्र का वाचन रिचा जैन, प्रियंका चढरऊ, संगीता नायक, भव्या खुशी ने किया एवं अर्घ्य प्रकाशचंद्र, अनमोल, डॉ. सत्येन्द्र जैन ने समर्पित किए। सायंकाल सामान्यज्ञान प्रतियोगिता हुई जिसमें अंशिका जैन गुगरवारा द्वारा प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। पार्श्वनाथ जैन नयामंदिर में चन्द्रप्रभु महिला मण्डल द्वारा खुला प्रश्नमंत्र का आयोजन हुआ।जिसमें विजेताओं को सम्मानित किया गया। जैन मंदिर बाहुबलि नगर में बच्चों ने तीर्थराज सम्मेदशिखर जी की रचना बनाई।

जिसको श्रेष्ठीजनों ने प्रोत्साहित किया। इसके अतिरिक्त नगर के नईबस्ती आदिनाथ मंदिर चन्द्रप्रभु मंदिर डोंडाघाट,शान्तिनाथ मंदिर गांधीनगर,इलाइट जैन मंदिर, सिविल लाइन जैन मंदिर में इन दिनों धर्म की अपूर्व धर्मप्रभावना हो रही है। सायंकाल जैन मंदिरों में उपरान्त सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम मची हुई है।

आप को यह कंटेंट कैसा लगा अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे।
+1
0
+1
0
+1
0

About the author

Shreephal Jain News

Add Comment

Click here to post a comment

You cannot copy content of this page

× श्रीफल ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें