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उत्तम त्याग धर्म पर दिए प्रवचन : जो अधिक जमा किया है, उसका विसर्जन जरूरी है- गुणमाला दीदी


जैन धर्म के महापर्व पर्युषण का आठवां दिन जैन धर्मावलंबियों ने” उत्तम त्याग धर्म” के रूप में मनाया। जिले में धर्म और ज्ञान की गंगा बहा रहीं परम विदुषी ब्रह्मचारिणी गुणमाला दीदी ने भक्तजनों को कहा कि झुमरीतिलैया नगरी धर्म नगरी है। स्वस्थ जीवन जीने के लिए जैन धर्म का त्याग धर्म को अपनाना जरूरी है। पूरा विश्व जैन दर्शन को अपनाकर स्वस्थ बन सकता है। पढ़िए यह रिपोर्ट…


झुमरीतिलैया (कोडरमा)। जैन धर्म के महापर्व पर्युषण का आठवां दिन जैन धर्मावलंबियों ने” उत्तम त्याग धर्म” के रूप में मनाया। जिले में धर्म और ज्ञान की गंगा बहा रहीं परम विदुषी ब्रह्मचारिणी गुणमाला दीदी ने भक्तजनों को कहा कि झुमरीतिलैया नगरी धर्म नगरी है। स्वस्थ जीवन जीने के लिए जैन धर्म का त्याग धर्म को अपनाना जरूरी है। पूरा विश्व जैन दर्शन को अपनाकर स्वस्थ बन सकता है। आज उत्तम त्याग धर्म का दिन दान और विसर्जन का दिन है, व्यक्ति जीवन भर बाहरी पदार्थों धन वैभव को अर्जन करता है परंतु जब तक बुद्धि और विवेक पूर्वक उसका विसर्जन नहीं हो जीवन का कल्याण नहीं हो सकता।

त्याग जरूरी है जैन दर्शन त्याग पर ही टिका हुआ है। त्याग से ही हमारे देश की पहचान है, जीवन को पूज्य बनाने वाला कोई धर्म है तो वह त्याग धर्म है त्याग के द्वारा ही व्यक्ति ऊंचाइयों को प्राप्त करता है जो जीवन में जितना त्याग करता है। वह जीवन में उतनी अधिक ऊंचाइयों को प्राप्त करता है। जीवन में श्रेष्ठ व्यक्ति और महापुरुष बनने के लिए त्याग आवश्यक है, जो अधिक जमा किया है उसका विसर्जन जरूरी है। नहीं तो जीवन में ग्रहण लग जाता है। बुद्धि और विवेक पूर्वक विसर्जन से कष्ट नहीं होता है। स्वस्थ जीवन को जीना है तो जैन दर्शन के त्याग धर्म को समझना जरूरी है। जैन धर्म प्रकृति का धर्म है।

जहां त्याग ही त्याग है यहां देने की संस्कृति है। जैन दर्शन में धनपति का सम्मान नहीं उसके त्याग का सम्मान होता है। दान करने वाले सम्माननीय होते हैं परंतु त्याग करने वाले पूजनीय होते हैं। दान करने से कभी भी घटता नहीं है। प्रातः नया मंदिर में दीदी के मुखारविंद से विश्व शांति धारा का पाठ किया गया। नया मंदिर में मूलनायक 1008 महावीर भगवान का प्रतिमा का प्रथम अभिषेक व शांति धारा का सौभाग्य संदीप, संजय, आशीष, तुषार सेठी परिवार को मिला। बड़ा मंदिर में मूलनायक पारसनाथ भगवान का प्रथम अभिषेक व शांति धारा का सौभाग्य संजय-रितेश, प्रतीक गंगवाल , भगवान का श्री विहार एवं प्रथम अभिषेक रजत धारी से शांति धारा का सौभाग्य शांति लाल, विजय छाबड़ा के परिवार को और दूसरी तरफ से स्वर्ण झारी से सुमति देवी, अशोक, अनिल पाटोदी परिवार को मिला। 1008 आदिनाथ भगवान की वेदी में अभिषेक और शांति धारा का सौभाग्य सुरेश, नरेंद्र झांझरी परिवार को मिला।

समाज के सह मंत्री राज छाबड़ा, कोषाध्यक्ष सुरेन्द्र काला, ललित सेठी, सुशील छाबड़ा, पार्षद पिंकी जैन, मीडिया प्रभारी नवीन जैन, राजकुमार अजमेरा ने व्रत धारी के उपवास की अनुमोदना की। रात्रि में महिला समाज युवक समिति के द्वारा मंदिर में भव्य आरती एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

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