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नई सदी में अहिंसा नया धर्म होगा (श्री मां इंदु जैन को श्रद्धांजलि) : स्वराज जैन

जैन शिरोमणि टाइम्स ग्रुप की अध्यक्ष इंदु जैन ने 13 मई को दिल्ली में अंतिम सांस ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सामुदायिक सेवा के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए पहल, भारत की प्रगति को लेकर उनके जज्बे और संस्कृति के प्रति गहरी दिलचस्पी के लिए उन्हें याद किया जाएगा।

आचार्य ज्ञानसागर इंटरफैथ फाउंडेशन द्वारा आयोजित वर्चुअल श्रद्धांजलि गोष्ठी में फाउंडेशन के संयोजक सीए आदीश कु जैन (पूर्व निदेशक कॉरपोरेशन बैंक) ने बताया कि वात्सल्य और आध्यात्मिकता से परिपूर्ण उनकी सोच से अभिभूत लोग उन्हें श्री मां के नाम से भी संबोधित करते थे। उन्होंने बताया कि श्री मां कहतीं थीं कि सभी धर्मों में एक ही सार मिलेगा और नई सदी में अहिंसा नया धर्म होगा । श्री मां को खोना एक ऐसे वट वृक्ष को खोने की तरह है, जिसकी छाया में न जाने कितनों ने ममता की ठंडक महसूस की, उन्होंने सभी को आगे बढ़ने की राह दिखाई और कुछ कर गुजरने की प्रेरणा दी। उनका जाना पूरे मानव समाज को कभी न भरने वाला खालीपन दे गया है। फाउंडेशन के संयोजक स्वराज जैन (टाइम्स) जो टाइम्स ग्रुप से लंबे समय से जुड़े रहे हैं, उन्होंने बताया इतने बड़े मुकाम पर होकर भी वह सबके भले के लिए सोचती थीं, सबके मंगल की कामना करती थीं। वह कहती थीं, साक्षी बनकर देखो, बाहर जो चल रहा है वह सब नाटक है। इसे सच मानकर परेशान नहीं हो। सच तो अपने भीतर है। उसे देखो और महसूस करो। बाहर जब तूफान चल रहा हो तो घर में रहना चाहिए। इसी तरह बाहरी उथलपुथल के वक्त अंदर की यात्रा पर निकल जाओ। इससे जो आत्मबल मिलेगा, उससे बाहरी अशांति जाती रहेगी। वह युवाओं को आध्यात्मिक और यौगिक शिक्षा देने की जरूरत पर बल देती थीं। वह कहती थीं कि जिनके हाथ में भविष्य है, उनकी नींव बहुत मजबूत होनी चाहिए। अध्यात्म, योग और आयुर्वेद से उनका गहरा जुड़ाव था। उन्हें हिंदी में बात करना पसंद था।

उन्होंने एक पत्र के जरिए इच्छा जताई थी कि उनकी मृत्यु का उत्सव मनाया जाए। पत्र में उन्होंने यह भी लिखा कि मृत्यु तो जीवन जीने की कला का विस्तार ही होना चाहिए। सभी नश्वर प्राणियों की तरह मेरे जीवन में भी असंतोष महसूस करने के कुछ अवसर और आधार बने। लेकिन, प्रत्येक ऐसे अवसर पर मैंने खुद से प्रश्न किया, “क्या मुझे खुद को दुख से दंडित करने की कोई जरूरत है?” फिर जो जवाब मिला, उसने नकारात्मक विचारों को क्षणभर में नष्ट कर दिया। मैं आराम से जाना चाहती हूं। मृत्यु को धीमे से कह दो कि वो थोड़ा इंतजार करे तब तक मैं अपना तकिया ठीक कर लूं और अपनी रजाई की ऊष्मा में थोड़ी झपकी ले लूं। मैं मृत्यु का भी उसी उत्कर्षपूर्ण उत्सव से स्वागत करूंगी जैसा कि जीवन को गले लगाया था। किसी को पूछने की जरूरत नहीं, “इंदु कहां हैं?” क्योंकि वो मुझे हर हंसी, हर खिलखिलाहट में मुझे पाएंगे। शरीर के आत्माविहीन आवरण का अंतिम संस्कार किया जा सकता है। और फिर मैं उड़ जाऊंगी, धधकती आग, पृथ्वी, जल, वायु और अंतरिक्ष को चीरते हुए- एक चिर प्रतीक्षित मिलन बिंदु तक।

मानवता के लिए सोचने वाले लोग जब जाते हैं, तो अपने पीछे ऐसा खालीपन छोड़ जाते हैं, जिसे भरा नहीं जा सकता। कल्याणकारी गतिविधियों में जानी मानी, टाइम्स ग्रुप की अध्यक्ष, फिक्की की महिला विंग की अध्यक्ष, आजीवन आध्यात्मिक साधक, अग्रणी परोपकारी, कला की प्रतिष्ठित संरक्षक और महिला अधिकारों की जबदस्त समर्थक के रूप में जानी मानी श्री मां को श्रद्धांजलि।

प्रेषक : स्वराज जैन

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