श्रावण शुदी दशमी के पावन अवसर पर बड़े मंदिर जी में विराजमान आर्यिका सरस्वती माताजी के सानिध्य में समाज की महिलाओं ने अपने पति की लंबी आयु के लिये उपवास रखा। इस अवसर पर प्रातः से पार्श्वनाथ बड़ा मन्दिर में महिलाओं ने सुहाग दशमी व्रत की पूजा बड़े भक्तिभाव से की। पढ़िए सन्मति जैन काका की रिपोर्ट…
सनावद। श्रावण शुदी दशमी के पावन अवसर पर बड़े मंदिर जी में विराजमान आर्यिका सरस्वती माताजी के सानिध्य में समाज की महिलाओं ने अपने पति की लंबी आयु के लिये उपवास रखा। इस अवसर पर प्रातः से पार्श्वनाथ बड़ा मन्दिर में महिलाओं ने सुहाग दशमी व्रत की पूजा बड़े भक्तिभाव से की। इस अवसर पर आर्यिका सरस्वती माताजी ने उपवास की महिमा बताते हुए कहा कि लोक में सुहाग के नाम पर पति का समर्पण प्रसिद्ध है। महिलाएं अपने पति व बच्चों के लिए व्रत उपवास करती हैं। माताओं को अपने धर्म की सच्ची परिभाषा समझते हुए आगमोक्त विधि से व्रत उपवास करके अपने व अपने परिवार को जन्म-जन्म तक सुखी बनाने वाला स्वरूप समझना होगा। प्राचीन काल में राजग्रही नगर के राजा मेघनाथ व रानी पृथ्वी देवी संतानहीन थे।
उनके नगर में शुभंकर नामक मुनि के आने पर उनकी वंदना कर इसका कारण जानने की इच्छा पर मुनि ने उन्हें बताया कि पूर्व जन्म में दिगंबर मुनि के आहार दान में अंतराय करने के कारण हुए कर्मों के फल से वे संतानहीन हैं। जिसके निराकरण के लिए शुभंकर मुनि ने श्रावण शुक्ला दशमी को भाव सहित पूजन, विधान व उपवास करने का व्रत बताया। इसका पालन जैन समाज की महिलाएं परंपरा से करती हैं। इस अवसर पर श्रुति सराफ, वर्षा जैन, प्रगति जैन, अंशिता जैन, वंदना जैन, प्रज्ञा धनोते, निकिता सराफ, मोनिका जैन, रीना जैन, खुशबू जैन, निकिता जैन सहित अनेक महिलाओं ने उपवास कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना की।
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