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गृहस्थ जीवन का पारिवारिक वैभव, धन- दौलत त्यागी : मधुबाला ने अयोध्या में गणिनी प्रमुख आर्यिका ज्ञानमती माताजी से ली जैनेश्वरी आर्यिका दीक्षा


करोड़ों मुनियों की मोक्ष स्थली सिद्ध क्षेत्र सिद्धवरकूट- औंकार ममलेश्वर के मुहाने बसे सनावद की 3 प्रतिमा धारी, 10 वीं पास 64 वर्षीय ब्रह्मचारिणी मधुबाला पंचोलिया सांसारिक जीवन को त्याग, दीक्षा लेकर वैराग्य पथ की ओर बढ़ गईं। आत्म कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने हेतु प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभ देव आदिनाथ जी की जन्म स्थली शाश्वत तीर्थ अयोध्या में 22 जुलाई को वीर शासन जयंती के मौके पर गणिनी प्रमुख आर्यिका ज्ञानमती माताजी के कर कमलों से उन्होंने आर्यिका दीक्षा ग्रहण कर नया नाम आर्यिका विनीत मति माताजी पाया। पढ़िए सन्मति जैन काका की विशेष रिपोर्ट…


सनावद। करोड़ों मुनियों की मोक्ष स्थली सिद्ध क्षेत्र सिद्धवरकूट- औंकार ममलेश्वर के मुहाने बसे सनावद की 3 प्रतिमा धारी, 10 वीं पास 64 वर्षीय ब्रह्मचारिणी मधुबाला पंचोलिया सांसारिक जीवन को त्याग, दीक्षा लेकर वैराग्य पथ की ओर बढ़ गईं। आत्म कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने हेतु प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभ देव आदिनाथ जी की जन्म स्थली शाश्वत तीर्थ अयोध्या में 22 जुलाई को वीर शासन जयंती के मौके पर गणिनी प्रमुख आर्यिका ज्ञानमती माताजी के कर कमलों से उन्होंने आर्यिका दीक्षा ग्रहण कर नया नाम आर्यिका विनीत मति माताजी पाया।

इस दीक्षा कार्यक्रम में सनावद, खंडवा, निमाड़- मालवा सहित देश भर के अन्य प्रांतों के धर्मावलंबियों ने भाग लेकर पुण्यार्जक बनने का परम सौभाग्य प्राप्त किया। अयोध्या में हुए इस अद्भुत दीक्षा महोत्सव कार्यक्रम में शामिल हुए समाज के सन्मति काका और संजय पंचोलिया ने बताया कि 20 जुलाई को गणधरवलय विधान के साथ वर्षायोग कलश स्थापना कर 21 जुलाई को गुरुपूजा के साथ दीक्षार्थियों की गोद भराई कर शोभायात्रा निकाली गई। रात्रि में महाआरती कर सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए।

मंगल द्रव्यों से शुद्धि

संयमधारी आर्यिका शिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी के वर्षा योग के साथ दीक्षा कार्यक्रम के लिए श्री दिगंबर जैन अयोध्या तीर्थ क्षेत्र बड़ी मूर्ति व्यवस्था कमेटी ने भव्य आयोजन रायगंज में आयोजित किया। जिसमें 22 जुलाई को प्रातःकाल 5.15 बजे से चालू हुए शास्त्रोक्त दीक्षा कार्यक्रम में 5 आर्यिका दीक्षाएं व 2 क्षुल्लिका दीक्षाएं संपन्न हुई। गृहस्थ जीवन का वैभव छोड़कर त्याग, नियम, संयम के मार्ग पर दीक्षार्थीयों ने हजारों लोगों की मौजूदगी व आर्यिका संघ की मंगलमय उपस्थिति में रत्न्त्रय के मार्ग पर चलने के लिए सहर्ष आर्यिका ज्ञानमती माताजी से जैनेश्वरी दीक्षा ग्रहण कर नये नाम पाए। दीक्षा के लिए प्रातः काल चोक पाट लगाकर दीक्षार्थीयों का मंगल स्नान कराया गया।

उन्हें पहनने के लिए शुद्ध श्वेत वस्त्र दिए गए। पावन धर्मनगरी में उपस्थित श्रद्धालुओं ने सुबह बैंडबाजों के साथ धूमधाम से दीक्षार्थीयों को जिन मंदिर के दर्शन कराए। दर्शन के बाद उन्हें रायगंज स्थित अयोध्या पुरी दीक्षा मंडप में लाया गया। यहां दीक्षा की प्रारंभिक क्रियाएँ प्रातः 6.30 बजे से आर्यिका श्री चंदनामती माताजी व प्रतिष्ठाचार्य पंडित विजय कुमार जैन हस्तिनापुर ने शुरू की। पाण्डुक शीला पर विराजित जिन शासन नायक त्रिलौकीनाथ भगवान महावीर स्वामी जी का सभी दीक्षार्थीयों ने रजत कलशों से पंचामृत अभिषेक किया। मंच पर विराजित वात्सल्य मूर्ति 105 आर्यिका ज्ञानमती माताजी व आर्यिका संघ का सभी दीक्षार्थीयों ने आशीर्वाद लिया और गुरूचरणों में दीक्षा के लिए निवेदन किया।

गणिनी प्रमुख ने दीक्षार्थीयों से जैनेश्वरी दीक्षा प्राप्त करने के लिए पूछा। स्वीकृति मिलने के बाद संघ व जन समुदाय की अनुमोदना के पश्चात दीक्षार्थीयों के पंचमुष्ठी केश लोचन शुरू कर शांति मंत्रों की ब्रम्ह ध्वनि के साथ मंगल द्रव्यों से शुद्धि की गई।

नियम पाल की ली स्वीकारोक्ति

दीक्षा संस्कार ठीक 9.55 बजे से आर्यिका शिरोमणि ज्ञानमती माताजी ने शुरू किए। 108 बार मंत्रों से संस्कार दिए गए। तत्पश्चात मंत्रोच्चार के साथ अंजलि में श्रीकार लिखकर सुपारी, चावल एवं श्रीफल से वृत दान किया गया। संघ के नियम व परंपराओं के पालन की स्वीकारोक्ति ली गई। उपस्थित जन समुदाय व संघ से ज्ञात-अज्ञात भूलों और त्रुटियों तथा हुई अवज्ञा के लिए सभी दीक्षाथिर्यों द्वारा क्षमा याचना की गई। इसके बाद मस्तक के ऊपर लक्ष्मी का प्रतीक श्रीकार बनाकर लौंग रखे गए। आर्यिका दीक्षार्थियों को 5 महावृतों व 28 मूलगुणों का आरोपण कर 16 प्रकार के मंत्रों द्वारा सोड्स संस्कार संस्थापित किए गए। वर्धमान मंत्र के मंगल मंत्रोच्चार गणिनी प्रमुख ने उच्चारित किए। क्षुल्लिका दीक्षार्थियों को 11 प्रतिमाओं का वृत देकर स्वीकारोक्ति ली गई। इसके बाद नामकरण संस्कार में सभी दीक्षार्थीयों को नए नाम के साथ पिच्छी, कमण्डलु, शास्त्र आदि उपकरण दिए गए। नामकरण होते ही दीक्षा मंडप भगवान ऋषभ देव और आर्यिका ज्ञानमती माताजी के जयकारों से गूँज उठा।

इन्होंने दीक्षा लेकर नए नाम पाए

सनावद की मधुबाला पंचोलिया- आर्यिका विनीत मति माताजी , टिकैत नगर की सुश्री इंदू जैन- आर्यिका हर्षमति माताजी , सुश्री अलका जैन- आर्यिका विनम्र मति माताजी , फिरोजाबाद की सुश्री श्रेया जैन (नेहा)- अनंत मति माताजी , श्रीरामपुर की श्रीमती शोभा पहाड़े- आर्यिका आर्श मति माताजी बनी। वहीं दिल्ली की श्रीमती रेखा जैन- क्षुल्लिका वैराग्य मति माताजी, राजबाला जैन- क्षुल्लिका भव्य मति माताजी के नाम से अब जानी जाएगी। कार्यक्रम का शुभारंभ मंगल गीतों से हुआ। प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज , वीर सागर जी महाराज के नामों का जयघोष जम्बू प्रसाद जैन, अमरचंद जी लखनऊ, संजय पापड़ीवाल औरंगाबाद ने किया। भरतपुर राजस्थान के संगीतकार संजय कुमार ने सुमधुर भजनों की प्रस्तुतियां दी। कार्यक्रम का संचालन पीठाधीस रवीन्द्र कीर्ति स्वामी ने किया। कमेटी के महामंत्री अमरचंद जैन टिकैतनगर व कमेटी के अन्य पदाधिकारी और मानद सदस्य उपस्थित थे। कार्यक्रम में सनावद, खंडवा, बैडियां, मोगावां, कसरावद, बड़वाह, इंदौर, भोपाल सहित निमाड़- मालवा व देशभर के दो हजार से ज्यादा धर्मावलंबियों ने धर्म सभा में भाग लेकर पुण्यार्जन किया ।

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