कथा सागर

स्वाध्याय – 3 : तीर्थंकर की माता के सोलह स्वप्न-प्रस्तुति -अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर

teerthkar ki mata ke 16 swapna
teerthkar ki mata ke 16 swapna

तीर्थंकर के गर्भ में आने से पहले उनकी माता सोलह स्वप्न देखती उन स्वप्नों के नाम और उनका फल आप सब भी जानें।

  1. पहला स्वप्न– एक अति विशाल श्वेत हाथी दिखाई दिया।ज्योतिष शास्त्र के विद्वान राजा सिद्धार्थ ने पहले स्वप्न का फल बताया कि उनके घर एक अद्भुत पुत्र-रत्न जन्म लेगा।
  2. दूसरा स्वप्न– श्वेत वृषभ। वह पुत्र जगत का कल्याण करने वाला होगा।
  3. तीसरा स्वप्न– श्वेत वर्ण और लाल अयालों वाला सिंह। फल– वह पुत्र सिंह के समान बलशाली होगा
  4. चैथा स्वप्न- कमलासन लक्ष्मी का अभिषेक करते हुए दो हाथी।
  5. पांचवां स्वप्न– दो सुगंधित पुष्पमालाएं। फल- वह धर्म तीर्थ स्थापित करेगा और जन-जन द्वारा पूजा जाएगा।
  6. छठा स्वप्न – पूर्ण चंद्रमा। फल– उसके जन्म से तीनों लोक आनंदित होंगे।
  7. सातवां स्वप्न – उदय होता सूर्य। फल – वह पुत्र सूर्य के समान तेजयुक्त और पापी प्राणियों का उद्धार करने वाला होगा।
  8. आठवां स्वप्न – कमल पत्रों से ढंके हुए दो स्वर्ण कलश। फल – वह पुत्र अनेक निधियों का स्वामी निधिपति होगा।
  9. नौवां स्वप्न – कमल सरोवर में क्रीड़ा करती दो मछलियां। फल – वह पुत्र महाआनंद का दाता, दुखहर्ता होगा।
  10. दसवां स्वप्न– कमलों से भरा जलाशय। फल – एक हजार आठ शुभ लक्षणों से युक्त पुत्र प्राप्त होगा।
  11. ग्यारहवां स्वप्न – लहरें उछालता समुद्र। फल – भूत-भविष्य-वर्तमान का ज्ञाता केवली पुत्र।
  12. बारहवां स्वप्न – हीरे-मोती और रत्नजड़ित स्वर्ण सिंहासन। फल – पुत्र राज्य का स्वामी और प्रजा का हितचिंतक रहेगा।
  13. तेरहवां स्वप्न – स्वर्ग का विमान। फल – इस जन्म से पूर्व वह पुत्र स्वर्ग में देवता होगा।
  14. चैदहवां स्वप्न – पृथ्वी को भेद कर निकलता नागों के राजा नागेन्द्र का विमान। फल – वह पुत्र जन्म से ही त्रिकालदर्शी होगा।
  15. पन्द्रहवां स्वप्न – रत्नों का ढेर। फल – वह पुत्र अनंत गुणों से संपन्न होगा।
  16. सोलहवां स्वप्न – धुआंरहित अग्नि। फल– वह पुत्र सांसारिक कर्मों का अंत करके मोक्ष (निर्वाण) को प्राप्त होगा।

 

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