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समाधि मरण से पहले आचार्य विराग सागर जी ने की थी घोषणा : आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज होंगे पट्टाचार्य 


श्रमण संस्कृति के प्रमुख आचार्यों में से एक आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज समाधिस्थ आचार्य श्री विराग सागर जी महाराज के उत्तराधिकारी (पट्टाचार्य)होंगे। इस आशय की घोषणा आचार्य श्री विराग सागर जी महाराज ने जालना, महाराष्ट्र में समाधि के पूर्व वहां उपस्थित संघस्थ साधुओं, आर्यिकाओं एवं श्रद्धालु भक्तों के समक्ष स्वयं अपने मुखारविंद से करते हुए कहा था कि जीवन क्षण भंगुर है पता नहीं किसके जीवन का समापन कब हो जाए। पढ़िए यह रिपोर्ट…


जालना। श्रमण संस्कृति के प्रमुख आचार्यों में से एक आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज समाधिस्थ आचार्य श्री विराग सागर जी महाराज के उत्तराधिकारी (पट्टाचार्य) होंगे। इस आशय की घोषणा आचार्य श्री विराग सागर जी महाराज ने जालना, महाराष्ट्र में समाधि के पूर्व वहां उपस्थित संघस्थ साधुओं, आर्यिकाओं एवं श्रद्धालु भक्तों के समक्ष स्वयं अपने मुखारविंद से करते हुए कहा था कि जीवन क्षण भंगुर है पता नहीं किसके जीवन का समापन कब हो जाए। वर्तमान में लगभग 500 योग्य शिष्य साधुओं का अपना संघ है और संघ के शिष्य देश भर में धर्म ध्वजा फहराते रहे हैं। चाहता हूं कि संघ के साधु भविष्य में भी बिना राग द्वेष के धर्म और श्रमण संस्कृति की ध्वजा इसी तरह फहराते रहें। पता नहीं हमें कल बोलने का मौका मिले ना मिले इसलिए मैं आज ही आगम की आज्ञा के अनुसार किसी योग्य साधु को अपना पद त्याग कर हल्का होना चाहता हूं।

संघ में सभी साधु योग्य और श्रेष्ठ हैं उनमें से विशुद्ध सागरजी को मैं अपना पद त्याग कर उन्हें सौंपने की घोषणा करता हूं। वे योग्य एवं कुशल प्रज्ञावंत साधु हैं मुझे विश्वास है कि वे संघ के सभी साधुओं का प्रेम वात्सल्य के साथ ध्यान रखते हुए संघ का संचालन करेंगे । अब आचार्य विशुद्ध सागर जी आचार्य विराग सागर जी के पट्टाचार्य शिष्य होंगे। अंत में आचार्य श्री ने सभी साधुओं , शिष्यों से साधु जीवन में हुई त्रुटियों के लिए सबसे क्षमा मांगते हूए कहा कि सबको क्षमा करता हूं, वे भी मुझे क्षमा करें। यही मेरा उपदेश और आशीर्वाद है। समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू ने बताया कि तीन एवं चार तारीख की मध्य रात्रि में आचार्य विराग सागर जी की विहार के दौरान जालना महाराष्ट्र में समाधि हो गई थी।

आचार्य श्री विराग सागर जी द्वारा पद त्याग करने की घोषणा के संबंध में जानकारी मिलने पर आचार्य विशुद्ध सागर जी ने कहा कि मै इस पद के योग्य तो नहीं हूं लेकिन गुरु आचार्यश्री ने मेरे ऊपर इतना विश्वास किया और मुझ जैसे भोंदू शिष्य को अपने मुख से अपना पद सौंपने की घोषणा की। आगम का उपदेश है कि भले ही प्राणों का वियोग भी हो जाए पर गुरु के वचनों, का, आदेश का उल्लंघन नहीं होना चाहिये अतः में गुरु आज्ञा को स्वीकार करता हूं। आप के पट्टाचार्य बनने पर दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद के मंत्री डॉ जैनेन्द्र जैन, आजाद जैन, अमित कासलीवाल, टीके वेद, हंसमुख गांधी, अशोक खासगीवाला, शांतिलाल बडजात्या, धर्मेंद्र पाटनी एवं परवार समाज महिला संगठन की अध्यक्ष मुक्ता जैन, सारिका जैन, मंजू वेद, ममता खासगीवाला सहित समस्त जैन समाज ने खुशी जाहिर की।

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