दिगंबर जैन समाज अम्बाह के तत्वावधान में समाज के सदस्यों के द्वारा परम पूज्य समाधिस्थ संत विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज से वर्ष 2024 का चातुर्मास अम्बाह नगर में करने के लिए ग्वालियर जाकर श्रीफल भेंट कर निवेदन किया गया। समाज के सभी पदाधिकारियों में गुरुदेव के चातुर्मास के लिए भारी उत्साह नजर आया। पढ़िए अजय जैन की रिपोर्ट…
अम्बाह। दिगंबर जैन समाज अम्बाह के तत्वावधान में समाज के सदस्यों के द्वारा परम पूज्य समाधिस्थ संत विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज से वर्ष 2024 का चातुर्मास अम्बाह नगर में करने के लिए ग्वालियर जाकर श्रीफल भेंट कर निवेदन किया गया। समाज के सभी पदाधिकारियों में गुरुदेव के चातुर्मास के लिए भारी उत्साह नजर आया। साथ ही श्रीफल अर्पित कर आगामी चातुर्मास की भावना भाई। शुरुआत मंगलाचरण से हुई इस दौरान समाज के सभी लोगों ने एक साथ सैकड़ों श्रीफल का समूह गुरुदेव के चरणों में समर्पित कर चातुर्मास का निवेदन किया। गौरतलब है कि आचार्य प्रणम्य सागर जी महाराज इन दिनों विहार कर रहे हैं। इसी दौरान वह ग्वालियर पधारे थे।
इस अवसर पर यहां बड़ी संख्या में समाज के लोग उनके दर्शन के लिए आये थे श्रीफल का महत्व बताते हुए राकेश भंडारी ने कहा कि हमारी संस्कृति में श्रीफल का प्राचीन काल से ही बड़ा महत्व रहा है। पूजा अर्चना की बात हो, या किसी के सम्मान की, हर जगह श्रीफल अद्वितीय स्थान रखता है। लक्ष्मी भी दो प्रकार की है, एक धन संपदा रूप में और दूसरी आत्मा के अनंत गुणों को भी लक्ष्मी की संज्ञा दी गई हैं। जब आत्मा के पूर्णगुण प्रकट हो जाते हैं तो वो भगवान अंतरंग गुणरूपी श्री के स्वामी हो जाते है।
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