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400 युवाओं ने सीखा करणानुयोग का ग्रंथ लब्धिसार  44 डिग्री तापमान में ए.सी., कूलर के बिना 8 घण्टे सीख रहे युवा


मोदीजी की नशिया बड़ा गणपति इन्दौर में प्रथमानुयोग, करणानुयोग, चरणानुयोग, द्रव्यानुयोग क्या होते हैं, आवक के कर्तव्य क्या है, हमें अपने जीवन में क्या करना चाहिये? इन अनेक प्रश्नों का समाधान अत्याधुनिक तकनीक से युवाओं को सिखाया जा रहा है।पढ़िए राजेन्द्र जैन ‘महावीर की रिपोर्ट


इंदौर। यूं तो इन्दौर अपनी कई विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है, इन्दौर की इस प्रसिद्धि में एक नाम आध्यात्मिक ऊर्जा में भी जुड़ रहा है। विगत कई वर्षों से छाबड़ा परिवार की धार्मिक पहचान अब इन्दौर की पहचान बन रही है। अमेरिका में माइक्रोसाफ्ट कंपनी को छोड़कर मात्र 30-35 वर्ष की उम्र में भारत आए दो युवा दंपत्ति विकास-सारिका छाबड़ा, प्रकाश-पूजा छाबड़ा ने स्व-पर कल्याण का बीजारोपण इन्दौर की भूमि पर किया है। यह यहाँ की सुगंव को सर्वव्यापी बना रहा है। चर्म क्या होता है इसे कैसे समझे प्रथमानुयोग, करणानुयोग, चरणानुयोग, द्रव्यानुयोग क्या होते हैं, आवक के कर्तव्य क्या है, हमें अपने जीवन में क्या करना चाहिये? इन अनेक प्रश्नों का समाधान ये दो दम्पत्ति अत्याधुनिक तकनीक के साथ आधुनिक ज्ञान विज्ञान के परिप्रेक्ष्य में प्रदान कर जैन दर्शन की अभूतपूर्व सेवा कर रहे है।

25 मई से 2 जून 2024 तक मोदीजी की नशिया बड़ा गणपति इन्दौर में जो हुआ वह ‘भूतो न भविष्यति’ है। करणानुयोग जैसे महान विषय जिसे समझना जीवन में उतारना बड़ा कठिन होता है इस विषय के विद्वान भी अंगुलियों में गिनने जितने ही है। उन सबके बीच हम सब कहते है युवा धर्म सुनने नहीं आते, इन सब मिथक को तोड़ा है छाबड़ा परिवार ने।

भीषण गर्मी के दौर में जहां लोग ए.सी., कूलर से बाहर नहीं निकल पा रहे थे उस दौर में संपूर्ण देशभर के 400 युवा जिसमें 200 इन्दौर के थे ने अपना स्वप्रेरित रजिस्ट्रेशन कराया और 42 से 44 डिग्री तापमान के बीच हाल में बिना कूलर, ए.सी. के 6 से 8 घण्टे तक करणानुयोग जैसा कठिन विषय सुना, ग्रहण किया और फिर अपना होमवर्क भी किया। यह सुनने में आश्चर्यजनक लगता है। आचार्य नेमिचंद्र के अद्भूत ग्रंथ लब्धिसार को पढ़ाया। पं. विकास सारिका छाबड़ा ने संपूर्ण संयोजन किया। श्री विमलचंदजी छाबड़ा ने और अद्‌भूद शिविर चलाया। जिसमें युवाओं ने धर्म के सार को जाना।

सभी शिविरार्थियों को शुद्ध मर्यादित भोजन

केवल प्रवचन नहीं आचरण पर भी पूरा ध्यान रखा गया। शुद्ध मर्यादित दूध से भोजन तक सोते का भोजन उत्कृष्ट भावना के साथ अत्यंत सुस्यादु कराया गया। अत्यंत सुव्यवस्थित तरीके से समस्त आयोजन की संयोजना शिविरार्थियों के अनुभव सुनकर महसूस की जा सकती है। जब आठ वर्ष के बच्चे प्राकृत की गाचाओं का संस्वर पाठ करते नजर आते है तो लगता है कि यह शिविर अपनी सुगंध को कई पीढ़ियों तक महकायेगा। उल्लेखनीय है कि पं. विकास चावड़ा द्वारा श्रमणाचार्य विशुद्धसागरजी महाराज से प्रतिमाधारी है। अनेक साधु संतों को भी आप करणामुयोग के गूढ़ विषय का ज्ञान करा रहे है। जैन दर्शन के वरिष्ठ मनीषी निस्यूही विद्वान पं. रतनलालजी जैन, समवशरण मंदिर इन्दौर ने उक्त शिविर में सम्मिलित होकर अपना मार्गदर्शन प्रदान किया। शिविर के संपूर्ण विडियो जैन कोष यूट्युब पर उपलब्ध है। पं. प्रकाश-पूजा छाबड़ा ने गोम्मटसार जीव करण्ड को रेखा चित्र व तालिकाओं में उपलब्ध कराया है जो करणानुयोग को समझने के लिए वर्तमान समय में सरलतम पुस्तक है।

पंग जैन स्टडी ग्रुप, श्री विमलचंद माणकचंदजी छाबड़ा पारमार्थिक न्यास गांधीनगर इन्दौर के द्वारा आयोजित शिविर सफलता के साथ अपनी उत्कृष्टता के लिए जाना जाता है। विगत कई वर्षों से जैन दर्शन के उम्मपन में लगे अथड़ा परिवार को इस शिविर का संपूर्ण श्रेय जाता है। धन्य है कि अपनी द्रव्य, उत्कृष्ट भावना तन-मन-धन की ऊर्जा के साथ केवल धर्म का कार्य करने वाले समाजजन इस पंचमकाल में भी उपलब्ध है।

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