दिगंबर जैन पंचबालयति जिनालय में विद्वत संगोष्ठी के माध्यम से पंडित गुलाब चंद्र पुष्प प्रतिष्ठा पितामह एवं संस्कार सागर रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में यह आयोजन आचार्य श्री उदारसागर महाराज के ससंघ सानिध्य एवं मुनि श्री पूज्यसागर महाराज के मंगल सानिध्य में संपन्न किया जा रहा है। पढि़ए विशेष रिपोर्ट….
इंदौर। दिगंबर जैन पंचबालयति जिनालय में विद्वत संगोष्ठी के माध्यम से पंडित गुलाब चंद्र पुष्प प्रतिष्ठा पितामह एवं संस्कार सागर रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में यह आयोजन आचार्य श्री उदारसागर महाराज के ससंघ सानिध्य एवं मुनि श्री पूज्यसागर महाराज के मंगल सानिध्य में संपन्न किया जा रहा है। द्वितीय दिवस के समारोह का आतिथ्य डॉक्टर रेनू जैन कुलपति देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय इंदौर ने किया, अध्यक्षता पंडित विनोद कुमार जी रजवास ने की।
प्रथम वक्ता के रूप में ब्रह्म सविता दीदी ने कहा कि जन्म लेना सरल है पर उसे महान बनाना अत्यंत दुष्कर है, पुष्प जी ने अपने जीवन को महान बनाने के लिए अत्यंत संघर्ष किया है। उनका संघर्ष ही उनकी सफलता का कारण है। आयोजन की भीड़ में भी वह प्रतिमा धारी की चर्या का विशेष ध्यान रखते थे। ब्रह्म रेखा दीदी ने तीर्थंकर प्रकृति की चर्चा करते हुए कहा तीर्थंकर का पुण्य विलक्षण होता है। एक सौधर्म के काल में असंख्य कल्याणक हो सकते हैं ।आपने बताया तीर्थंकर जन्म से लेकर दीक्षा होने तक पृथ्वी मंडल का कोई भी पदार्थ ग्रहण नहीं करते हैं ,उनकी समस्त व्यवस्था स्वर्ग से होती है।
डॉक्टर संगीता मेहता ने नवागढ़ की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, पुरातात्विक एवं धार्मिक विरासत का वर्णन करते हुए बताया कि यह प्राचीनतम क्षेत्र है जिसका अन्वेषण प्रतिष्ठा पितामह पंडित गुलाबचंद जी पुष्प द्वारा किया गया। साहित्य में नवागढ़ का उल्लेख डॉक्टर मारुति नंदन प्रसाद तिवारी, डॉ अमरेंद्र घोष ,डॉक्टर गिरिराज कुमार आगरा, डॉक्टर भाग चंद्र भागेंदु ,डॉक्टर के पी त्रिपाठी, डॉ हरिओम शुक्ला तत्सत,डॉक्टर नरेंद्र जैन, हरि विष्णु अवस्थी ,डॉक्टर राजेश रावत ने विभिन्न साहित्य में किया है।
Dr रेनू जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि मैं साहित्य से कुलपति हूं पर अध्यात्म के क्षेत्र में मैं प्राइमरी की स्टूडेंट हूं, मैं चाहती हूं अब मैं रिटायर्ड होकर आध्यात्मिक क्षेत्र का स्वाध्याय करते हुए सांसारिक व्यामोह से परे संयम साधना की ओर अग्रसर हो सकूं। संस्कार सागर के बारे में आपने बताया ऐसा प्रजिन बम दर्शन सम्यक का कारण है। आचार्य उधर सागर महाराज दिगंबर जैन पंचवल्याती जिनालय में द्विध्रूव विद्युत संगोष्ठी के माध्यम से पंडित गुलाब चंद्र पुष्प प्रतिष्ठा है। पितामह एवं संस्कार सागर रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष में यह आयोजन आचार्य श्री उदरसागर महाराज के सत्संग सानिध्य एवं मुनि श्री पूज्यसागर महाराज के मंगल सानिध्य में संपन्न किया जा रहा है। संस्कार सागर के बारे में आपने बताया ऐसा प्रकाशन है जो विगत 25 वर्षों से प्रत्येक माह जैन संस्कृति का जन जागरण कर रहा है। संगोष्ठी के निर्देशक पं.रतन लाल जी ने अपने कहा जीवन को जिनवाणी के अनुसार होना चाहिए।
पुष्प जी ने अपना जीवन जिनधर्म के एवं क्षेत्र जीर्णोद्धार के लिए समर्पित किया है ।अंत में विनोद जी ने अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। इस सत्र का सफल संचालन ब्रह्मचारी दिनेश मलैया ने करते हुए दोपहर कालीन क्षेत्र में उपस्थित होने का आह्वान किया। आज विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी एवं आश्रम की बहने भैया उपस्थित रहे, उनकी उपस्थिति में यह गरिमा में कार्यक्रम संपन्न किया गया।
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