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दयाहीन धर्म किसी काम का नहीं उपाध्यायसंघ का पाद प्रक्षालन एवं मंगल आरती करके की आगवानी 


मेडिटेशन गुरू उपाध्याय श्री विहसंत सागर जी महाराज एवं मुनिश्री विश्वसम्य सागर जी महाराज ससंघ ने आगरा के कमलानगर स्थित शालीमार एन्क्लेव के श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर से 4 मई को ढोल नगाड़े के साथ मंगल विहार करते हुए अतिशयकारी श्री नेमिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर कर्मयोगी एन्क्लेव कमलानगर पर पहुंचे। इस दौरान कर्मयोगी एन्क्लेव जैन समाज ने उपाध्यायसंघ का पाद प्रक्षालन एवं मंगल आरती कर आगवानी की।पढि़ए समकित जैन की रिपोर्ट ……


आगरा। मेडिटेशन गुरू उपाध्याय श्री विहसंत सागर जी महाराज एवं मुनिश्री विश्वसम्य सागर जी महाराज ससंघ ने आगरा के कमलानगर स्थित शालीमार एन्क्लेव के श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर से 04 मई को ढोल नगाड़े के साथ मंगल विहार करते हुए अतिशयकारी श्री नेमिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर कर्मयोगी एन्क्लेव कमलानगर पर पहुंचे। इस दौरान कर्मयोगी एन्क्लेव जैन समाज ने उपाध्यायसंघ का पाद प्रक्षालन एवं मंगल आरती कर आगवानी की। मंगल आगवानी के बाद उपाध्यायसंघ ने मन्दिर में विराजमान सभी प्रतिमाओं के दर्शन किए। इस दौरान कर्मयोगी एन्क्लेव सकल जैन समाज ने उपाध्याय श्री विहसंतसागर जी महाराज ससंघ के समक्ष श्रीफल भेंटकर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया।

 भगवान पार्श्वनाथ की बाललीला का वर्णन

भक्तों को उपाध्याय श्री विहसंत सागर महाराज ने मंगल प्रवचन देते हुए कहा कि दयाहीन धर्म किसी काम का नहीं और कहा कि लगभग तीन हजार वर्ष पहले वाराणसी में राजा अश्वसेन के घर में महारानी बामा देवी के गर्व से तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का जन्म हुआ था। जैन मुनि ने भगवान पार्श्वनाथ के बाललीला का वर्णन करते हुए बताया कि एक बार भगवान पार्श्वनाथ ने वन में विचरण करते समय देखा, एक तपस्वी अग्नि जलाकर पंचगनी तप कर रहा है और उसी अग्नि में नाग नागिन का जोड़ा जल रहा है। यह देख भगवान पारसनाथ दुखी हुए। तब भगवान ने कहा कि दयाहीन धर्म किसी काम का नहीं। भगवान पारसनाथ ने आग में जलते हुए उस जीव की रक्षा की और णमोकार मंत्र दिया। इस अवसर पर राजकुमार जैन, गुड्डू,पवन कुमार जैन चाँदी वाले , सुमेर पांड्या,सुरेश पांड्या, राजकुमार जैन चाँदी वाले,अनिल जैन जारखी, पीसी जैन,समकित जैन,शुमम जैन और कर्मयोगी एन्क्लेव के जैन समाज के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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