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आचार्य पदारोहण समारोह 16 को : मुनि श्री शैलसागर , श्री अचलसागर , श्री सहज सागर ससंघ का कुंडलपुर में हुआ प्रवेश


सुप्रसिद्ध जैन तीर्थ कुण्डलपुर में 16 अप्रैल को आचार्य पद पदारोहण महोत्सव आयोजित किया गया है। जहां पर संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के समस्त शिष्य मुनि आर्यिका ससंघों का निरंतर आगमन हो रहा है। आचार्यश्री के प्रभावक शिष्य मुनि श्री शैल सागर जी महाराज, श्री अचल सागर जी महाराज, श्री सहजसागर जी महाराज ससंघ का मंगल प्रवेश रविवार के प्रातःकाल हुआ। पढ़िए रत्नेश जैन रागी की रिपोर्ट…


कुण्डलपुर। सुप्रसिद्ध जैन तीर्थ कुण्डलपुर में 16 अप्रैल को आचार्य पद पदारोहण महोत्सव आयोजित किया गया है। जहां पर संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के समस्त शिष्य मुनि आर्यिका ससंघों का निरंतर आगमन हो रहा है। आचार्यश्री के प्रभावक शिष्य मुनि श्री शैल सागर जी महाराज, श्री अचल सागर जी महाराज, श्री सहजसागर जी महाराज ससंघ का मंगल प्रवेश रविवार के प्रातःकाल हुआ। इस अवसर पर मुनि संघ की गाजे-बाजे के साथ भव्य अगवानी की गई। कुंडलपुर में पूर्व से विराजित निर्यापक, मुनि, आर्यिका संघों का वात्सल्य मंगल मिलन हुआ। सभी मुनि संघ संत भवन स्थित पंडाल में विराजमान हुए, जहां आचार्यश्री का पूजन किया गया।

निर्यापक श्री वीर सागर महाराज पुणे से आ रहे

महोत्सव मीडिया समिति के जयकुमार जलज हटा तथा राजेश जैन रागी बकस्वाहा ने बताया कि आचार्य पद पदारोहण महोत्सव में शामिल होने के लिए निर्यापक श्रमण मुनि श्री वीर सागर जी महाराज के चरण पुणे से लगभग 1000 किलोमीटर की दूरी तय करने के पश्चात छालों से भरे हैं।अभी भी दूरी 40 किलोमीटर शेष है। धन्य है दिगंबर साधु जो एक बार आहार पानी लेकर भीषण गर्मी में गुरु विरासत को संयोजने निरंतर बढ़ रहे हैं। मुनि श्री का आज दमोह आगमन हो गया है।

 श्री समय सागर आए बांदकपुर

जेष्ठ श्रेष्ठ निर्यापक श्रमण मुनि श्री समय सागर जी महाराज रविवार को बांदकपुर आ चुके हैं। जहां पर एक साथ 28 आर्यिकारत्न माताओं ने उनके चरणों की वंदना। संघस्थ क्षुल्लक, महाराजों ने आर्यिका संघ की अगवानी की। एक साथ विहार करते हुये आर्यिकारत्न श्री अंतरमती माताजी, आर्यिका श्री अक्षयमति माताजी, आर्यिका श्री अपूर्वमति माताजी, 18 आर्यिकाओं और आर्यिकारत्न श्री दुर्लभमति माताजी ससंघ 10 आर्यिका माता जी ने दूसरे मार्ग से द्रुत गति से एक साथ पहुंचकर ज्येष्ठ मुनि राजों की वंदना कर पूज्य श्री समयसागर जी महाराज की प्रदक्षिणा कर वंदना की और नमोस्तु निवेदित कर आशीष प्राप्त किया।

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