राजस्थान में अनेकों प्रसिद्ध भव्य जैन मंदिर, स्मारक तथा भवन हैं। इनमें माउंट आबू तथा दिलवाड़ा के विख्यात जैन मंदिर भी शामिल हैं। रणकपुर मंदिर उदयपुर से 96 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां तीर्थों का राजा श्री महावीर जी भी यही स्थित है। ये मंदिर राजस्थान की संस्कृति, धार्मिकता और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाते हैं। ये मंदिर जैन धर्म की महत्वपूर्ण स्थली हैं और भक्तों को आकर्षित करते हैं। पढ़िए श्रीफल जैन न्यूज की संपादक रेखा संजय जैन की रिपोर्ट…
इंदौर। राजस्थान भारत के पश्चिमी भाग में स्थित राज्य है। जिसका जैन धर्म के साथ बहुत ऐतिहासिक संबंध रहा है। राजस्थान में दुनिया के कुछ बेहतरीन और सबसे बड़े जैन मंदिर है जो विस्तृत, सुंदर और लुभावने हैं। दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में अच्छी संख्या में श्वेतांबर मंदिर मिल सकते हैं। जबकि उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में दिगंबर केंद्रो का प्रभुत्व है। राजस्थान जैनों का प्रमुख केंद्र इसलिए भी है क्योंकि सबसे ज्यादा जैन विद्वान राजस्थान से ही संबंध रखने वाले हैं।
राजस्थान में कुल 37 मंदिर हैं, जिसमें 35 अतिशय क्षेत्र हैं और 2 कला आदि अन्य क्षेत्र हैं।
अतिशय क्षेत्र के नाम इस प्रकार से हैं- अड़ीन्दा, अंदेश्वर पार्श्वनाथ, आवां, अरथूना नसियाजी, बिजोलिया पार्श्वनाथ, चमत्कारजी (सवाईमाधोपुर), चांदखेड़ी, चंद्रगिरि बैनाड़, चवलेश्वर पारसनाथ, चूलगिरी (खानियांजी), देबारी, देहरा-तिजारा, दिलवाडा-माउंट आबू, जहाजपुर, झाझीरामपुर-दौसा, झालरापाटन पार्श्व गिरी, केशवराय पाटन, खेरवाड़ा, खंडारजी, खूणादरी, लोहारिया, महावीरजी, मालपुरा टोंक, मोजमाबाद, मेहंदवास टोंक, नागफणी, पार्श्वनाथ, पदमपुरा (बाड़ा), रेवासा-सीकर, ऋषभदेव (केसरियाजी), सालेड़ा, संघीजी-सांगानेर, सांखना-टोंक, सरवाड़, शांतिनाथ-बमोतर, वागोल- पार्श्वनाथ।
दर्शनीय व कला क्षेत्र के नाम हैं- नारेली, नौगामा नसियांजी।
यहीं है तीर्थों का राजा श्री महावीर जी
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