समाचार

धर्मसभा में दिए प्रवचन : धर्म-ध्यान से बढ़ती है शरीर की सुंदरता – मुनि पूज्य सागर


अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज ने नेमिनाथ दिगंबर जैन मंदिर जैन कॉलोनी में अशुचि भावना पर प्रवचन देते कहा कि शरीर अशुचि है लेकिन इस शरीर से धर्म के कार्य करते रहते हैं तो वह भी शुचि हो जाता है। पढ़िए यह विशेष रिपोर्ट…


इंदौर। अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज ने नेमिनाथ दिगंबर जैन मंदिर जैन कॉलोनी में अशुचि भावना पर प्रवचन देते कहा कि शरीर अशुचि है लेकिन इस शरीर से धर्म के कार्य करते रहते हैं तो वह भी शुचि हो जाता है। शुभ कर्म के कारण ही शरीर सुंदर, निरोगी और शक्तिशाली मिलता है। इंसान को इन सबका उपयोग धर्म के क्षेत्र में ही करना चाहिए, न की संसार के भोग आदि में करना चाहिए। शरीर को जितना भी खिलाओ, वह धीरे- धीरे सूखता ही जाता है। शरीर को भोजन भी तब तक दो, जब तक वह धर्म करने में साथ दे।

जिस दिन वह धर्म करने में साथ न दे तो उसका त्याग कर दो। मुनि श्री ने कहा कि शरीर को सजाने में जितना समय लगाते हो, उतना समय आत्म चिंतन, शुभ क्रिया में लगाओगे तो पुण्य के साथ आने वाले भव में इसे अधिक शरीर सुंदर मिलेगा। शरीर तो एक कीड़ा है, जो अंदर ही अंदर आत्मा को खोखला करता है। शरीर की सुंदरता उसको सजाने से नहीं बल्कि धर्म-ध्यान करने से बढ़ती है।

मुनिराज स्नान नहीं करते पर देखते हैं कि उनका शरीर चमकता है। वह मात्र चारित्र से ही चमकता है। उन्होॆंने कहा कि शरीर तो पुद्गल है, उसका स्वभाव सड़ना-गलाना है फिर क्यों उससे मोह कर अशुभ कर्म का बंध करते हैं। शरीर का सही उपयोग दान, पूजा, अभिषेक, दर्शन आदि के लिए करने से पुण्य का बंध होता है, वही करना चाहिए । सभा में मुनि के पाद पक्षालन कर उन्हें शास्त्र भेंट किया गया। सभा में समाज के …… उपस्थित थे।

आप को यह कंटेंट कैसा लगा अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे।
+1
1
+1
0
+1
0

About the author

Shreephal Jain News

Add Comment

Click here to post a comment

You cannot copy content of this page

× श्रीफल ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें