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श्री कल्पद्रुम महामंडल विधान को लेकर पत्र - 11 : आप जैसे गुरुवर को पाकर हम धन्य हुए – पिंकी कासलीवाल


अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज एवं क्षुल्लक अनुश्रमण सागर महाराज के सानिध्य में श्री दिगम्बर जैन नव ग्रह ग्रेटर बाबा परिसर में 30 दिसंबर 2023 से 7 जनवरी तक श्री कल्पद्रुम महामंडल विधान का आयोजन किया गया। पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए दिए जाने वाले प्रतिष्ठित श्रीफल पत्रकारिता पुरस्कार समारोह का आयोजन भी इसी कार्यक्रम में किया गया। आयोजन के बाद समाज के विभिन्न श्रेष्ठी जनों ने विधान की भव्यता को लेकर मुनि श्री को लिखा है। इसकी ग्यारहवीं कड़ी में पढ़िए पिंकी -रितेश कासलीवाल के विचार…


नमोस्तु गुरुदेव

मिल गई, मिल गई गुरुवर की छाया। श्री कल्पद्रुम विधान करेंगे, यह हमने मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज के मुख से स्मृति नगर के चातुर्मास में कई बार सुना था। पूज्य श्री गुरुवर के साथ- साथ हमने भी श्री कल्पद्रुम विधान का सपना देखना शुरू कर दिया और वो सपना मेरी आंखों के सामने गुरुवर के सानिध्य में साकार होते हुए भी देखा। यह विधान कहां करेंगे, कैसे करेंगे, हम सोचने लगे। इस विधान में हमारे लिए देवदूत बन कर आए नरेंद्र वेद (दादा) और भरत भैया में संबल दिया वह बोलते कम है पर साथ रहते है । दादा ने सबसे बड़ी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली।

यहीं से हमारे सपने को गति मिली। सबने कुछ ना कुछ करने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली। कुछ लोग स्मृति नगर से, कुछ लोग अंजनी नगर से और कुछ लोग कालानी नगर के मिले और हमारा एक सुंदर सा परिवार बन गया। हम सब मिल-जुल कर अपने-अपने काम गुरुवर के सानिध्य में करने लगे। उसके फलस्वरूप एक बहुत ही सुंदर भव्य पंडाल बनकर तैयार हो गया। हमने सबने मिल कर हल्दी-मेहंदी की रस्मों से इस विधान की शुरुआत की। तीस दिसंबर को श्री कल्पद्रुम विधान की शुरुआत श्रीजी के अभिषेक और मुनि श्री के मुख से शान्तिधारा के मंत्र उच्चारण से हुई। इससे अच्छी इस सुबह की शुरुआत हो ही नहीं सकती थी।

इसके बाद पूजन में 24 चक्रवर्ती और मुख्य चक्रवर्ती के साथ नचाते-गाते मंडल जी पर अर्घ्य और श्रीफल चढ़ाते हुए मन बहुत खुश हुआ। ऐसे 9 दिन विधान में कब निकल गए, पता ही नहीं चला। मेरे जीवन का अभी तक का सबसे सुंदर और भव्य विधान था। मैंने और मेरे परिवार ने बहुत ही आनंद और पुण्य का लाभ लिया। आप जैसे गुरुवर को पाकर हम धन्य हुए हैं।

श्री पूज्य सागर जी गुरुदेव के चरणों में बारम्बार नमोस्तु

 पिंकी – रितेश कासलीवाल

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