राजस्थान के लाडनूं के दिगंबर बड़ा जैन मंदिर में वैभवपूर्ण स्थापत्य के साथ नजर आती है आस्था की दिव्यता । खास बात ये है की पूरा जैन मंदिर खुदाई के दौरान निकला है। पढ़िए राजेश जैन दद्दू की रिपोर्ट।
लाडनूं । यूं तो लाडनूं शहर पुरातन काल से ही जैन, सनातन और इस्लाम तीनो धर्म दर्शनों की त्रिवेणी संगम के रूप में धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र रहा है लेकिन लाडनूं विशेषकर जैन धर्म दर्शन के लिए अपनी विशिष्ट पहचान रखता है । क्योंकि यहा श्वेतांबर और दिगंबर दोनों जैन सम्प्रदाय के अनुयायी निवासरत है ।
स्थानीय दिगंबर बड़ा जैन मंदिर जैन कला संस्कृति और धर्म दर्शन का अद्भुत गौरवशाली सुंदर केंद्र है ।
यह मंदिर देश के प्रमुख जैन दर्शनीय स्थलो में से एक है, इसकी श्रेष्ठता इसलिए और अधिक बढ़ जाती है कि यहा सिर्फ मूर्ति, आलेख, स्तम्भ ही नही बल्कि संपूर्ण जिनालय ही भूगर्भ से प्राप्त हुआ है । इसकी व्यापकता और प्राचीनता नष्ट न हो इसलिए मार्ग स्थल से 11फुट नीचे तलगृह स्थित मंदिर में कोई परिवर्तन नही किया गया ।
भगवान शांतिनाथ और आदिनाथ विराजित
गर्भगृह में 16वे तीर्थकर भगवान शांतिनाथ की दूधिया सफेद संगमरमर की मनोरम प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में कलात्मक नक्काशी युक्त तोरण द्वार के बीच सुशोभित है । प्रतिमा की आकृति 64×70 की और तोरण पर लिखे लेख के मुताबिक संवत 1136 की है ।
इस कलात्मक 24 तीर्थंकरों युक्त तोरण में दोनो तरफ 23-23 प्रतिमाएं बनी हैं । इसी प्रकार जैन धर्म के दूसरे तीर्थंकर अजितनाथ की 79×60 आकृति की संवत 1209 की प्रतिमा विराजित हैं । तोरण के नीचे हिस्से में शासन यक्षी और देवियों की प्रतिमा उत्कीर्ण हैं।
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