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श्री कल्पद्रुम महामंडल विधान को लेकर पत्र - 1 : मुनि श्री की उदारता से श्रावक खुद चल पड़े धर्म की राह पर – नरेंद्र – शकुंतला वेद


अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज एवं क्षुल्लक अनुश्रमण सागर महाराज के सानिध्य में श्री दिगम्बर जैन नव ग्रह ग्रेटर बाबा परिसर में 30 दिसंबर 2023 से 7 जनवरी तक श्री कल्पद्रुम महामंडल विधान का आयोजन किया गया। पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए दिए जाने वाले प्रतिष्ठित श्रीफल पत्रकारिता पुरस्कार समारोह का आयोजन भी इसी कार्यक्रम में किया गया। आयोजन के बाद समाज के विभिन्न श्रेष्ठी जनों ने विधान की भव्यता को लेकर मुनि श्री को लिखा है। इसकी पहली कड़ी में पढ़िए नरेंद्र वेद-शकुंतला वेद के विचार…


अंतर्मुखी पूज्य सागर जी महाराज के चरणों में सादर नमन

पूरे इंदौर के साथ मेरे परिवार पर आचार्य श्री दर्शन सागर महाराज का विशेष आशीर्वाद था, उनके जैसा ही वात्सल्य और धार्मिक क्रिया अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर में मुझे देखने को मिली। श्री कल्पद्रुम महामंडल विधान कल्प छोटे से रूप में होने की बात थी, लेकिन मुनि श्री पूज्य सागर के मन जो कल्पना थी, वह कौन जानता था। मुनि श्री की कल्पना साकार हुई। हमने कभी नहीं सोचा था कि विधान इतना अकल्पनीय, अद्भुत होने वाला है। कार्यक्रम में तीन मुख्य चक्रवर्ती के साथ 24 चक्रवर्ती समवशरण का अद्भुत रूप, देश के ख्यातनाम पत्रकारों का सम्मान साथ ही मेरा और शकुंतला का सम्मान, यह सब कल्पना से परे और अविश्वसनीय था लेकिन हमारे सरल स्वभावी पूज्य सागर जी गुरुदेव की करुणामयी करुणा से यह कार्यक्रम सहजता से सफलता तक पहुंच गया।

मेरी धर्म पत्नी शकुंतला मुश्किल से एक सीढ़ी भी चढ़ पाती हैं लेकिन घर से पंडाल तक की 100 मीटर की दूरी पैदल तय करती रहीं और उसके बाद समवशरण की 8 -10 सीढ़ियां चढ़कर पूजन भी करतीं। यह गुरु का आशीर्वाद और श्रीकल्पद्रुम विधान की महिमा का अतिशय ही है। गुरु की वाणी में सच्चाई है। गुरु जी ने 22 तारीख को ही कहा था कि विधान में पानी आएगा तो वह भी आया। वह जो सहजता से बोल देते हैं, वह होता ही है। यह देखा। हमने तो भगवान को मंदिर में ही देखा था लेकिन धर्म की राह पर गुरुदेव ही चलना सिखाते हैं। उनकी उदारता श्रावकों पर इतने प्यार से बरसती है कि श्रावक अपने आप धर्म की राह पर बढ़ने लगता है।

अंतर्मुखी पूज्य गुरु 108 पूज्य सागर जी महाराज सरल इतने हैं कि सहजता से सबसे मिलते हैं। एक बार यदि उनसे कोई मिल ले तो बार-बार मिलने को मन होता है। गुरुदेव, हम आपके आशीर्वाद की छांव में हमेशा ही धर्म की यात्रा में बढ़ना चाहते हैं। श्री कल्पद्रुम विधान में सिर्फ आपकी तपस्या के फल से संपूर्ण कार्य इतनी सरलता से निर्विघ्न संपन्न हो गए। पुनः आपके चरणों में शत-शत नमन- वंदन, अभिनंदन। आपके आशीर्वाद की छांव में…

नरेंद्र -शकुंतला वेद परिवार

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