नगर में होने वाले पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में आगमन और चातुर्मास के लिए जैन समाजजनों ने आचार्य विद्यासागरजी महाराज के शिष्य मुनि पुंगव सुधा सागरजी महाराज को श्रीफल भेंट किया। बड़ोदिया से 108 सदस्यीय दल आगरा पहुंचा। पढ़िए यह विशेष रिपोर्ट….
बड़ोदिया। नगर में होने वाले पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में आगमन और चातुर्मास के लिए जैन समाजजनों ने आचार्य विद्यासागरजी महाराज के शिष्य मुनि पुंगव सुधा सागरजी महाराज को श्रीफल भेंट किया। बड़ोदिया से 108 सदस्यीय दल आगरा पहुंचा, जहां मुनि सुधा सागरजी से भेंट कर बताया कि बड़ोदिया में सफेद पत्थर से जैन मंदिर बनाया गया है। मुकेश खोड़निया व आशीष तलाटी ने बताया कि वागड़ के जैन समाजजनों ने मुनिश्री के चरण पक्षालन कर खुशहाली की कामना की। केसरीमल खोड़निया व कांतिलाल खोड़निया ने बड़ोदिया में होने वाले पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में पधारने के लिए मुनि पुंगव सुधा सागरजी से आग्रह किया तो उन्होंने कहा कि दस दिन में 250 किमी तय कर चातुर्मासस्थल पहुंच सकते हैं तो ये 700 किमी की
दूरी कोई मायने नहीं रखती है। 30 दिन में 700 किमी भी तय कर बड़ोदिया आ सकते हैं। बस, हमारे गुरु आचार्य विद्यासागरजी महाराज की जो आज्ञा आती है, उसके अनुसार हमारा विहार होगा। मुनि श्री ने कहा कि साधु के आने और जाने का कोई ठिकाना नहीं है। साधु हवा के समान है, हवा का कोई भरोसा नहीं, इसलिए न साधु को छोड़कर हताश हो और न साधु पर विश्वास करो। बस अपने संकल्पों में विश्वास रखो। वागड़ से गए जैन समाजजनों को संबोधित करते हुए मुनि पुंगव सुधा सागरजी ने कहा कि ये वागड़ के वागड़िया हैं। बड़ोदिया वाले हैं। मैं वागड़ से पीठ करके आगरा की तरफ हूं लेकिन यह कहते हैं कि हम पीठ को ही मुख में बदलने की चेष्टा करते हैं। अभी मुनि की पीठ बड़ोदिया की ओर है। बड़ोदिया समेत वागड़वासी उस पीठ को सम्मुख में बदलने की चेष्ठा कर रहे हैं। बड़ोदियावासियों की पीठ को सम्मुख में बदलने की बड़ी भावना है। मुनि ने पूरे बड़ोदिया समाज को आशीर्वाद दिया। देश विदेश में प्रख्यात रहे मोटिवेशन प्रमुख उज्जवल पाटनी ने सुधा नाम के अंग्रेजी के पांच अक्षरों में ही जिंदगी का सार बताया। आगरा में राजेश तलाटी, सीमा तलाटी, आशीष तलाटी समेत 108 सदस्यों को गुरु पूजन का सौभाग्य मिला।
ये भी रहे मौजूद
इस दौरान अमृतलाल खोड़निया, मगनलाल खोड़निया, मीठालाल खोड़निया, सोहनलाल दोसी, महिपाल खोड़निया, जयंतीलाल जैन, बसंतलाल जैन, सुरेश चंद्र तलाटी, रमेश चंद्र तलाटी, पं. विजय कुमार शास्त्री, सूर्यकरण खोड़निया, धनपाल खोड़णिया, सुशील खोड़निया आदि मौजूद रहे।
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