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माताश्री को प्रदान की गई नई पिच्छिका : विभाश्री माताजी ससंघ के पिच्छिका परिवर्तन समारोह का आयोजन

रांची। पूज्य आर्यिका विभाश्री माताजी के संघ का पिच्छिका परिवर्तन समारोह अनेक धार्मिक कार्यक्रमों के साथ सम्पन्न हुआ। संघ की आहार चर्या के बाद भव्य पिच्छिका परिवर्तन की शुरुआत मंगलाचरण भाव नृत्य के साथ हुई। मंगलाचरण के रूप में पूरे समारोह में भजनों की गंगा भक्ति नृत्य की प्रस्तुति हुई। थारी सूरत लागी प्यारी, पिच्छी री पिच्छी, देखो देखो ये है पिच्छी, पिच्छी की महिमा, सारे तीरथ धाम आपके चरणों में हे गुरुमात प्रणाम आपके चरणों में…।समाज के अध्यक्ष नरेन्द्र गंगवाल ने पूरे चातुर्मास काल में कार्यकर्ताओं के सहयोग की सराहना करते हुए सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया। पाद प्रक्षालन एवं शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य धर्मचन्द, पारस, अशोक, पाटोदी परिवार को मिला। आरती का सौभाग्य धर्मचन्द, सुनील कुमार, गिरिश रारा को प्राप्त हुआ।

जैन धर्म में पिच्छिका का बड़ा महत्व

शास्त्र भेंट, पाद प्रक्षालन के बाद पूज्य माताजी की मंगल देशना में उन्होंने कहा कि पांच महीने के दौरान रांची जैन समाज ने जिस तरह सभी कार्यों को उत्साह और उमंग के साथ धर्म प्रभावना की, वह सराहनीय है। सर्व प्रथम पिच्छिका भेंट करने वाले और पुरानी पिच्छिका लेने वाले त्याग को संकल्पित होते हैं। जैन धर्म में पिच्छिका का बड़ा महत्व है। इसके बिना जैन में कोई मुनि नहीं हो सकता। माताश्री ने कहा कि यह उपकरण (पिच्छी एवं कमंडल) जैन साधु एवं साध्वियों का पहचान चिह्न है। इनमें से पिच्छी यदि किसी कारणवश छूट जाती है या गुम हो जाती है तो जैन साधु एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाता है क्योंकि इससे जीवों की हिंसा का दोष लगता है। इसलिए इसका महत्व है। समारोह में माताश्री को नई पिच्छिका प्रदान की गई। समारोह के पश्चात् आर्यिका श्री ससंघ का मंगल विहार पारसनाथ की ओर दोपहर तीन बजे हुआ। अपर बाजार जैन मन्दिर होते हुए कचहरी रोड करमटोली होते हुए रात्रि विश्राम बरियातू स्थित पेबल वे में हुआ। प्रातः आहार चर्या के बाद आगे की यात्रा होगी।

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