आज श्रावकों की कमजोरी के कारण यह स्थिति बन गई है कि साधुओं को गिरनार के संघर्ष करना पड़ रहा है। यह स्थिति अभी से नहीं है, बल्कि इस संबंध में एक पत्र सामने आया है। यह पत्र गिरनार को लेकर लिखा हुआ है। पढ़िए यह विशेष रिपोर्ट…
दिल्ली। वोट तो देना और अपने कर्तव्य को पूरा करना है लेकिन वोट देते वक्त न व्यक्ति, न जात -पात, न पहचान, न रिश्ते देखना बल्कि यह देखना कि जैन धर्म के अस्तित्व को कौन बचाया पाएगा। आज श्रावकों की कमजोरी के कारण यह स्थिति बन गई है कि साधुओं को गिरनार के संघर्ष करना पड़ रहा है। यह स्थिति अभी से नहीं है, बल्कि इस संबंध में एक पत्र सामने आया है। यह पत्र गिरनार को लेकर लिखा हुआ है। यह पत्र किसी श्रावक ने नहीं बल्कि एक ऐसे आचार्य ने लिखा है, जिन्होंने जैन इतिहास को सुरक्षित रखने बहुत कुछ किया है। पत्र जिसके नाम लिखा हुआ वह भी अब इस दुनिया नहीं है और जिन आचार्य श्री ने लिखा है, उनका भी समाधिमरण हो गया है। हम बात कर रहे हैं आचार्य श्री विद्यानंद जी की, जिन्होंने 27 दिसम्बर, 2004 को देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को पत्र लिख कर कहा था कि भगवान नेमिनाथ की निर्वाण स्थली गिरनार पर कुछ समाज कंटकों ने अवैध निर्माण करके पूजा आदि के स्थान पर कब्जा करने दुस्साहस किया है और अगर इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो जैन समाज को भूख हड़ताल पर बैठना होगा।
किसने डाला संकट में
आप सोचें कि उस से जब कब्जा प्रारंभ हुआ था, उस समय से अभी तक सरकार कुछ नहीं कर पाए बल्कि उसके बाद तो और अधिक कब्जा होते गया। उस समय आचार्य विद्यानंद जी ने भूख हड़ताल के लिए कहा था और आज हमारे संत गिरनार को लेकर उपवास करने की बात कर रहे हैं। वोट की राजनीति ने जैन समाज के तीर्थ को इतने संकट में डाल दिया है कि अब तो वहां दर्शन तो दूर, भगवान नेमिनाथ की जय भी नहीं बोली जा सकती। जबकि हमें यह दिखाई दे रहा है कि सच क्या है और किसने गिरनार को संकट में डालने का काम किया है ।
दिखानी होगी ताकत
आप वह समय आ गया की जैनों को अपने वोट की ताकत दिखानी होगी। अगर हम गिरनार, सम्मेदशिखर के बचाव के लिए एक साथ होकर वोट करते हैं तो प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से इतना प्रभाव पड़ सकता है कि हम सरकार बना और बिगाड़ सकते हैं। आपको किस बात का इंतजार है, क्यों नहीं एक होकर तय करते है कि किसे वोट देना। उसे ही वोट देना है जो गिरनार, शिखर जी आदि को अन्य समाजजनों के कब्जे से दूर करे और हमें अपने भगवान की पूजा- अभिषेक का स्वतंत्र रूप से अधिकार दिलवाए।
पेपर कटिंग वायरल
सोशल मीडिया पर एक पेपर कटिंग वायरल हो रही है, जिसमें शीर्षक है कि गिरनार पर जैनियों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे नरेंद्र मोदी। यह पेपर है 13 अक्टूबर, 2006 का। ऐसा उस पेपर कटिंग पर हाथ से लिखा है। उसमें लिखा है कि गृहमंत्री अमित शाह दिल्ली गए। वहां आचार्य श्री भेस्भूषण महाराज का आमरण अनशन जारी थी। शाह ने उन्हें आश्वासन दिया कि गिरनार पर जैनों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। तभी आचार्य श्री अनशन समाप्त किया। लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ? बल्कि स्थिति और खराब होते जा रही है। कौन इन्हें अतिक्रमणकारियों को संरक्षण दे रहा, जिससे वे इतने आक्रोश में हैं कि हमें अब वहां दर्शन तक नहीं मिल रहे हैं और न ही पूजन की साम्रगी चढ़ने दे रहे हैं।
आया है मौका
तीर्थ क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष शिखर चन्द्र पहाड़िया ने कुछ दिन पहले आचार्य श्री सुनील सागर जी महाराज के समक्ष यह बात कही कि कुछ राजनेता कहते हैं कि तुम कितने लोग हो जो गिरनार की बात करते हो। अब बताने का मौका आ गया है कि हम कितने हैं और क्या कर सकते हैं वोट देकर।
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