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आचार्य श्री वर्धमान सागर का बीसा हूमड़ भवन में भव्य मंगल प्रवेश: समाज की एकता बताती है कि समूचा जैन समाज एक है – आचार्य श्री वर्धमान सागर महाराज 


जिस प्रकार सारी नदियां अनेक स्थानों से आकर समुद्र में मिल जाती है, उसी प्रकार आज उदयपुर के अलग-अलग सेक्टर उप नगरों, क्षेत्रों से आए समाज बंधु एक साथ हूमड़ भवन में एकत्र हुए हैं। समाज की एकता बताती है कि उदयपुर के पृथक उपनगर अलग अलग नहीं होकर एक ही जैन समाज है। पढ़िए राजेश पंचोलिया की रिपोर्ट…


उदयपुर। जिस प्रकार सारी नदियां अनेक स्थानों से आकर समुद्र में मिल जाती है, उसी प्रकार आज उदयपुर के अलग-अलग सेक्टर उप नगरों, क्षेत्रों से आए समाज बंधु एक साथ हूमड़ भवन में एकत्र हुए हैं। समाज की एकता बताती है कि उदयपुर के पृथक उपनगर अलग अलग नहीं होकर एक ही जैन समाज है। इसका यही संदेश है कि आपके बीच मतभेद नहीं है। यह मंगल देशना आचार्य श्री वर्धमान सागर ने हूमड भवन मंगल प्रवेश के अवसर पर आयोजित सामूहिक धर्मसभा में व्यक्त की।

धर्म जागृति हो, तभी मानव जीवन सार्थक होगा 

गजू भैय्या राजेश पंचोलिया के अनुसार आचार्य श्री वर्धमान सागर ने आगे उपदेश में बताया कि हूमड़ भवन इसके पूर्व 21 वर्ष पूर्व हम आए थे और पुराना इतिहास देखा जाए तो द्वितीय पट्टाधीश आचार्य शिव सागर महाराज ने भी, आचार्य धर्म सागर महाराज ने, आचार्य अजित सागर महाराज ने भी इसी हूमड़ भवन में वर्षा योग चातुर्मास स्थापित किया था। इस कारण हूमड भवन से हमारा भी आत्मीय लगाव है।

आचार्य श्री ने ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर विचार व्यक्त करके बताया कि चित्तौड़गढ़ के राजा महाराणा प्रताप को युद्ध में धन की आवश्यकता होने पर राजस्थान के जैन समाज के भामाशाह ने अपनी तिजोरी खोल कर युद्ध के लिए आवश्यक धनराशि तन मन और धन से दी। उदयपुर में महिला जागृति मंडल है, आप सभी के जीवन में धर्म की जागृति हो, तभी आपका मनुष्य जीवन सार्थक होगा। समाज की एकता बनी रहे यही मंगल भावना करते हैं।

अश्वों पर युवा जैन ध्वज लेकर रहे सवार 

इसके पूर्व आचार्य श्री संघ का मंगल विहार संतोष नगर गारियावास, सूरजपोल, बापू बाजार, दिल्ली गेट, संतोषी माता मंदिर, भोपाल वाडी, चित्तौड़ा मंदिर ,मंडी की नाल, धान मंडी, मार्शल चौराहा ,तेलीवाड़ा होकर हूमड़ भवन पहुंचा। शोभायात्रा में उदयपुर की सकल दिगंबर जैन समाज की दशा नागदा समाज, बीसा नागदा समाज, दशा हूमड़ समाज, चित्तौड़ा समाज, खंडेलवाल समाज, अग्रवाल समाज, बीसा नरसिंहपुरा समाज, दशा नरसिंहपुरा समाज सहित सभी समाज अगवानी के लिए उपस्थित थे। शोभायात्रा में अश्वों पर युवा जैन ध्वज लेकर सवार थे। बैंड की मधुर स्वर लहरियों पर युवक-युवतियों भक्ति में नृत्य कर रहे थे। जुलूस का समापन विशाल भवन में हुआ जहां पर आचार्य श्री संघ के मंचासीन होने के बाद जैन जागृति महिला मंडल ने नृत्य मंगलाचरण प्रस्तुत किया।

सभी समाज का हुआ सामूहिक वात्सल्य भोज 

आचार्य शांतिसागर एवं पूर्व आचार्यों के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्वलन शांतिलाल वेलावत, पारस सिंघवी उप महापौर ब्रह्मचारी गजू भैय्या, सेठ शांतिलाल गदावत, सेठ देवेंद्र छपिया, रमेश वगेरिया, सुरेश पद्मावत , अशोक गोधा, दिनेश सोनी, बृजमोहन गर्ग, जनक राज सोनी, सुंदरलाल डागरिया, ऋषभ जसिगोत, पारस सिंघवी, सुरेश पाटनी, दिनेश कुमार नागदा ने किया। आचार्य श्री के चरण प्रक्षालन का सौभाग्य सुरेश पद्मावत परिवार को एवं जिनवाणी भेट करने का सौभाग्य जय निलेश शरद चंद्र प्रकाश कारवा परिवार को प्राप्त हुआ। कार्यक्रम का संचालन प्रकाश सिंघवी ने किया। सभी समाज का सामूहिक वात्सल्य भोजन हुआ।

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