राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा विधानसभा में दिए गए रिप्लाई भाषण में राजस्थान समग्र जैन युवा परिषद् की मांगों को नहीं माने जाने पर प्रदेशभर के जैन समुदाय के युवा वर्ग में घोर निराशा के साथ भारी आक्रोश व्याप्त है। पढ़िए जिनेंद्र जैन की विशेष रिपोर्ट…
जयपुर l प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा विधानसभा में दिए गए रिप्लाई भाषण में राजस्थान समग्र जैन युवा परिषद् की मांगों को नहीं माने जाने पर प्रदेशभर के जैन समुदाय के युवा वर्ग में घोर निराशा के साथ भारी आक्रोश व्याप्त है, जो की वर्तमान सरकार के लिए आगामी चुनाव के लिए ठीक नहीं है l इस अवसर पर राजस्थान समग्र जैन युवा परिषद् के अध्यक्ष जिनेन्द्र जैन ने बताया कि सबको देते-देते नहीं थकने वाले मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक वर्ग के जैन समुदाय के युवा वर्ग एवं समाज श्रेष्ठियों तथा संतों की मांगों को कैसे भूल गए, ये समझ से परे है जबकि जननायक का तो इस समुदाय से गहरा लगाव है।
बजट निर्माण से पहले अल्पसंख्यक वर्ग के जैन समुदाय के विभिन्न संगठनों ने मुख्यमंत्री को महत्तवपूर्ण सुझाव भेजे, जिसमें श्रमण संस्कृति बोर्ड के गठन की मांग को सभी संगठनों प्रमुखता से उठाया था लेकिन मुख्यमंत्री ने इस ओर तनिक भी ध्यान नहीं दिया, जिसके कारण समुदाय के युवा वर्ग एवं समाज श्रेष्ठियों तथा आचार्य भगवंतों में निराशा का माहौल बन गया है। इतना ही नहीं सरकार ने प्रबोधकों की मांगों को भी दरकिनार किया है जो कि उचित नहीं हैl इस अवसर पर संरक्षक अशोक बांठिया ने बताया कि नाकोड़ा (बाड़मेर), रणकपुर (पाली) के विकास कार्यों हेतु कार्ययोजना बनाना, पाली को संभाग बनाना, अल्पसंख्यकों के लिए 3 बालक और 2 बालिका छात्रावास तथा मानसरोवर जयपुर के बालिका छात्रावास में 100 सीटों की वृद्धि करना,मदरसा पैराटीचर्स के 6 हजार पदों की भर्ती करना एवं उनमें पढ़ने वाले विद्यार्थियों को दो यूनिफॉर्म उपलब्ध कराने की घोषणा करना मुख्यमंत्री का सराहनीय कदम है लेकिन श्रमण संस्कृति बोर्ड का गठन नही होने से युवा वर्ग आक्रोशित है l
बांठिया ने बताया कि मुख्यमंत्री ने 19 जिलों और 3 संभागों का गठन कर एक शानदार मास्टर स्ट्रोक खेला है। यह अल्पसंख्यक वर्ग के लिए तभी फायदेमंद होगा, जब वह स्थानीय निकाय एवं पंचायत राज की सीटों में अल्पसंख्यक वर्ग को आरक्षण प्रदान कर उन्हें राजनैतिक रूप से मजबूत बनाएं।
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