समाचार

यशोदय तीर्थ पर बह रही गुरु की धर्मप्रभावना : जो दूसरे के सुख से जले, उसका पतन निश्चित है – मुनिश्री सुधासागर महाराज


यशोदय अन्तरराष्ट्रीय तीर्थ क्षेत्र पर मुनिपुंगव सुधासागर महाराज एवं क्षुल्लक गम्भीर सागर महाराज के सानिध्य में जिन अभिषेक और शांतिधारा हुई। इस अवसर पर मुनि श्री के प्रवचन भी हुए। पढ़िए राजीव सिंघई की रिपोर्ट…


महरौनी (ललितपुर)। यशोदय अन्तरराष्ट्रीय तीर्थ क्षेत्र पर मुनिपुंगव सुधासागर महाराज एवं क्षुल्लक गम्भीर सागर महाराज की धर्मप्रभावना में श्रावकजन भावविभोर हैं। प्रातःकालीन बेला में मुनि श्री सुधासागर जी महाराज के सानिध्य में जिन अभिषेक और शांतिधारा हुई। शांतिधारा करने का सौभाग्य यशोदय तीर्थ के गौरव अध्यक्ष प्रशांत सिंघई बंटी, सचीन्द्र रोकड़िया, संजय बीना, प्रवीण मंडीवमोरा, राजेश इंदौर, राकेश अनूप सराफ, हितेंद्र सूरत को प्राप्त हुआ। मुनिश्री सुधासागर महाराज को आहार देने का सौभाग्य मंत्री राजेश मलैया और एलक गम्भीर सागर जी को आहार देने का सौभाग्य सुभाष जैन को मिला।

इस मौके पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री ने कहा कि जो दूसरे का सुख देखकर जलता है, उसका पतन होता है। दूसरे की कामयाबी पर हर्ष होना स्वयं की कामयाबी के दरवाजे खोलना होता है। जब कोई दान दे तो उसकी अनुमोदना करनी चाहिए। अच्छा देखना जैनागम की महत्वपूर्ण बात है, जगत में रहते हैं, जगत के होकर मत रहो। जगत का उपयोग करना सीखो, जगत का विनाश मत करो। व्यक्ति स्वयं अच्छा नहीं होना चाहता, सामने वाले को अच्छा करना चाहता है। अपनी शक्ति को मत छुपायो, यथाशक्ति तप और त्याग करो, यथाशक्ति दान दो। संचालन प्रदीप भैया सुयश और संजीव शास्त्री ने किया।

सांध्यकालीन बेला में मुनिश्री द्वारा शंका समाधान किया गया, जिसमें श्रावकों ने अपने मन की शंकाओं को रखा।

आप को यह कंटेंट कैसा लगा अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे।
+1
0
+1
0
+1
0

About the author

Shreephal Jain News

Add Comment

Click here to post a comment

× श्रीफल ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें