मुंबई से 600 किलोमीटर दूर औंधा नागनाथ के सोनेनु गली में मौजूदा जैन मंदिर के परिसर में निर्माण कार्य के दौरान खुदाई में मिली है ये प्रतिमा। प्रतिमा इसी साल 2 फरवरी को खुदाई के दौरान मिली। तीर्थंकर मूर्ति के पादपीठ पर बकरे का लांछन है । इस ऐतिहासिक प्रतिमा के बारे में विस्तार से पढ़िए डॉक्टर महेन्द कुमार जैन ” मनुज ” की यह रिपोर्ट
महाराष्ट्र के हिंगोली जिले औंधा नागनाथ में भूगर्भ से एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्राचीन प्रतिमा प्राप्त हुई है। इस प्रतिमा में पादपीठ पर बकरे का चिह्न होने से यह प्रतिमा जैन परम्परा के 24 तीर्थंकरों में से 17वें तीर्थकर कुंथुनाथ भगवान की मानी जा रही है। 2 फरवरी 2023 को मुंबई से करीब 600 किलोमीटर दूर औंधा नागनाथ के सोनुने गली में स्थित एक मौजूदा जैन मंदिर के परिसर में निर्माण कार्य के दौरान खुदाई की गई जिसमें इस मूर्ति का पता चला। पुरातत्त्वविदों ने मौके पर जाकर इस प्रतिमा का परीक्षण किया। पुराविद् सैली पंडाले-दातार इसे कुंथुनाथ तीर्थंकर की प्रतिमा घोषित किया है। यह जानकारी ब्रह्मचारी देवेश भैया ने डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’, इन्दौर को उपलब्ध कराई है। जानकारी का मराठी से हिन्दी रूपान्तरण जितेन्द्र नरेश ने उपलब्ध कराया है।
प्रतिमा 4 फीट ऊँची कायोत्सर्ग मुद्रा में
यह तीर्थंकर प्रतिमा लगभग चार फीट ऊँची कायोत्सर्ग मुद्रा, बलुआ पाषाण में निर्मित है। इस सपरकर तीर्थंकर मूर्ति के पादपीठ पर बकरे का लांछन है, दोनों पार्श्वों में नक्का युक्त चंवरधारी श्ल्पित हैं। ऊर्ध्व भाग में मस्तकके ऊपर छत्रत्रय निर्मित है। छत्रों के दोनों ओर गगनचर हैं। उनके नीचे तीर्थंकर के लगभग कानों के समानान्तर गजलक्ष्मी के गज दोनों ओर अंकित हैं और उनसे नीचे अर्थात् तीर्थंकर के स्कंधों के ऊपर के भाग में दोनों और माल्यधारी युगल देव निर्मित किये गये हैं। इस मनेज्ञ प्रतिमा को 12वीं-13वीं शताब्दी का अनुमानित किया गया है।
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