सारांश
आदिनाथ धाम त्रिकाल चौबीसी का पंचकल्याणक महोत्सव 17 फरवरी से 23 फरवरी तक होने जा रहा है। मुनि श्री 108 सुधा सागर जी महाराज का टीकमगढ़ नगर में उनके 45 साल के साधना काल के इतिहास में प्रथम बार आगमन हुआ। पढ़िये राजीव सिंघई मोनू की रिपोर्ट…
टीकमगढ़। शहर में आदिनाथ धाम त्रिकाल चौबीसी का पंचकल्याणक महोत्सव 17 फरवरी से 23 फरवरी तक होने जा रहा है। मुनि श्री 108 सुधा सागर जी महाराज का टीकमगढ़ नगर में उनके 45 साल के साधना काल के इतिहास में प्रथम बार आगमन हुआ। टीकमगढ़ जैन समाज विगत 2 महीने से मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज के आगमन की प्रतीक्षा में पलक पांवडे बिछाए हुए थे। रविवार को सुबह 6.15 बजे मुनि संघ का वानपुर उत्तर प्रदेश से टीकमगढ़ के लिए विहार प्रारंभ हुआ। पंचकल्याणक महोत्सव के मीडिया संयोजक प्रदीप जैन बम्हौरी ने बताया कि सुबह 8: 45 बजे मुनि श्री 108 सुधा सागर जी महाराज की टीकमगढ़ की पुण्य धरा पर चरण पड़े। हजारों की संख्या में सभी लोग मुनि संघ की आगवानी के लिए सुबह से ही घरों से निकल पड़े।
गऊ घाट पर मुनि संघ की आगवानी शुरू हुई। दरअसल, वह रज भी पावन हो गई हो जहां-जहां मुनि श्री के चरण पड़े। मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज सुबह 9 बजे गौ घाट पर जैन समाज टीकमगढ़ की ओर से एवं नगरपालिका अध्यक्ष पप्पू मलिक, टीकमगढ़ विधायक राकेश गिरी गोस्वामी, नंदीश्वर कमेटी के लुइस चौधरी विमल जैन डीके जैन बाबा नायक जिनेंद्र जैन, निखिल जैन अनुज जैन सापौन, सुधीर जैन मीडिया समस्त पदाधिकारी वीर व्यामशाला के अध्यक्ष सुनील भाई आदि लोगों ने गऊघाट पर मुनि श्री का पाद प्रक्षालन किया। मुनि श्री सुधासागर जी महाराज ने समस्त दिगंबर जैन समाज को आशीर्वाद प्रदान किया। इसके बाद मुनि संघ आगे बढ़ा टीकमगढ़ दिगंबर जैन समाज से महिला मंडल की 25 संस्थाओं ने मिलकर आगवानी की।
भारतीय आदर्श जैन मिलन नंदीश्वर कॉलोनी, त्रिशला गुरुदेव महिला मंडल विद्या सागर महिला मंडल, महावीर मैत्री ग्रुप, विद्या सिंधु मंडल, आदिनाथ युवा मंडल नंदीश्वर, युवा मंडल नंदीश्वर सभी महिला मंडल अलग-अलग ड्रेस कोड में नजर आ रहे थे। आहार जी पाठशाला के बच्चे भी आगवानी मे शामिल हुए। टीकमगढ़ समाज के 15 युवा मंडल मुनि संघ की अगवानी में अपने-अपने ड्रेस कोड में आगवानी की शोभा बढ़ा रहे थे।
आगवानी में सबसे पहले ब्रास बैंड, दलदल घोड़ी, डीजे अहिंसा दिव्य घोष मुनि श्री के गीत गाते हुए आगे-आगे चल रहे थे। इस दिन टीकमगढ़ के इतिहास में यह पहला अवसर था जब 30 हजार लोगों ने एक साथ मिलकर आगवानी की। सुबह 10 बजे मुनि संघ नंदीश्वर कॉलोनी स्थित पंडाल में पहुंचें, वहां मुनि श्री का पाद प्रक्षालन किया गया।
जैन दर्शन में श्रमणों ने संस्कृति को स्थापित किया
निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि टीकमगढ़ की सामाज ने आज इतिहास रच दिया हैा आगे पंचकल्याणक महोत्सव में महा इतिहास रचा जाएगा। मुनि श्री ने कहा कि जैन दर्शन में श्रमणों ने जो संस्कृति को स्थापित किया है वह मुनि राजो से लेकर अरिहंतों तक जाती है। अरिहंत भगवान भी श्रमणों की कोटि में आते हैं। यह श्रमणता छोटे सूक्ष्म ज्ञान से शुरू होती है और केवल्य ज्ञान पर पूरी हो जाती है। ऐसी है श्रमण संस्कृति केवल्य ज्ञान के रूप में जगत का उपकार करती है। जिनके ऊपर उपकार होते हैं वह अपने उस कार्य को कहीं ना कहीं किसी न किसी रूप में अपने निकट देखना चाहता है, लेकिन उपकारी इतना विशाल होता है कि वह किसी एक के यहां बसकर नहीं रह सकता।
उपकारी अपने स्वरूप में इतना लीन रहता है वह अपना स्वरूप देखता है, लेकिन भक्त भगवान के स्वरूप को भूलकर अपने भक्ति के स्वरूप को धारण करके वह भगवान को किसी न किसी रूप में अपने नगर एवं अपने निकट स्थापित कर लेता है। उसको ऐसी अनुभूति हो जाती है जैसे साक्षात् भगवान उसके पास हैं। उसी के प्रतीक के रूप में जैन दर्शन में मूर्तियों का स्थापन होता है, यही पंचकल्याणक का स्वरूप हमारे सामने है।
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