सारांश
अखिल भारतीय जैन पत्र संपादक संघ का द्वितीय सत्र परम पूज्य आचार्य श्री प्रज्ञा सागर जी महाराज की प्रेरणा से निर्मित भव्यतम महावीर तपोभूमि सिद्ध क्षेत्र, उज्जैन में परम पूज्य आचार्य श्री प्रज्ञा सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में आयोजित किया गया। इसमें विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई। पढ़िए विस्तृत रिपोर्ट…
उज्जैन। अखिल भारतीय जैन पत्र संपादक संघ की ओर से 21 से 23 जनवरी तक इंदौर एवं उज्जैन में तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, दिल्ली, गुजरात ,महाराष्ट्र आदि विभिन्न राज्यों के पत्र संपादक एवं पत्र लेखक, संवाददाताओं ने सहभागिता की। इस असवर पर सभी को परम पूज्य आचार्य श्री प्रज्ञा सागर जी महाराज का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। इसका द्वितीय सत्र उज्जैन में हुआ।
द्वितीय सत्र में समाज में प्रभावी तरीके से बात करने पर चर्चा
संघ का द्वितीय सत्र परम पूज्य आचार्य श्री प्रज्ञा सागर जी महाराज की प्रेरणा से निर्मित भव्यतम महावीर तपोभूमि सिद्ध क्षेत्र, उज्जैन में परम पूज्य आचार्य श्री प्रज्ञा सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में आयोजित किया गया। इससे पूर्व अखिल भारतीय जैन पत्र संपादक संघ के सदस्यों ने महावीर तपोभूमि पर आयोजित भगवान महावीर की प्रतिमा के वार्षिक अभिषेक में सहभागिता कर पुण्य अर्जन किया। डॉ.मीना जैन के मंगलाचरण से प्रारंभ इस सत्र में विशिष्ट अतिथि सुनील जैन संपादक -अक्षर विश्व, अशोक जैन चाय वाले, सचिन जैन कासलीवाल एवं अनिल जैन कासलीवाल थे। अध्यक्षता शैलेन्द्र जैन, अलीगढ़ अध्यक्ष -पत्र संपादक संघ ने की। अनूपचंद जैन संपादक -जैन संदेश ने स्वागत भाषण दिया और कहा कि परम पूज्य आचार्य श्री प्रज्ञा सागर जी महाराज के सानिध्य में अखिल भारतीय जैन पत्र संपादक संघ के एकत्रित होने से हम समाज को कुछ नया चिंतन दे सकेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है। उन्होंने पंडित कैलाश चंद शास्त्री के संपादकीय आलेखों की चर्चा की और कहा कि हमें अपनी बात को प्रभावी तरीके से कहना चाहिए ताकि समाज पर उसका प्रभाव पड़े।
तीर्थ सुरक्षा सर्वोपरि
पार्श्व ज्योति के वरिष्ठ संपादक एवं सुदर्शन चक्र ई-न्यूजलैटर के प्रधान संपादक डॉ. नरेन्द्र कुमार जैन भारती, सनावद ने विचारणीय विषय सामाजिक एकता, तीर्थ सुरक्षा एवं राजनीतिक वर्चस्व पर बेबाकी से अपने विचार रखे और कहा कि जब तक समाज में अपने-अपने वर्ग, अपनी-अपनी उपजाति और अपने लिए सुविधाएं की भावना है, तब तक समाज में एकता नहीं हो सकती। तीर्थ सुरक्षा के लिए सर्वप्रथम आवश्यक है कि हम अपने तीर्थों को परकोटा बनाकर सुरक्षित करें। यद्यपि पहाड़ों पर स्थित तीर्थों पर परकोटा बनाना संभव नहीं है किंतु वहां भी भूमि की संरक्षित पहचान बनाना आवश्यक है। साथ ही वहां रजिस्ट्रेशन तथा कार्ड सिस्टम अनिवार्य करना चाहिए। राजनीतिक वर्चस्व बढ़ाने के लिए आवश्यक है कि हम अपने समाज को संगठित कर अपने तथा दूसरे समाजों के हित में कार्य करें। उनकी आवश्यकता पूर्ति में सहयोगी बनें। आज जिस तरह जैन समाज का संख्या बल है उसमें अकेले राजनीतिक वर्चस्व संभव नहीं है। हां, हम दूसरे समाज के साथ मिलकर अपने कार्यों से उनका विश्वास अर्जित कर सकते हैं।
महिलाओं की सहभागिता जरूरी
जिनेश कोठिया ने धार्मिक शिक्षा और सामाजिक एकता को जरूरी बताया। डॉ. अल्पना जैन नासिक ने महिलाओं की सहभागिता को आवश्यक माना ।
इस अवसर पर पंडित विजय कुमार जैन मुंबई के द्वारा ब्राह्मी लिपि में अनुवादित 80 से अधिक स्तोत्रों की डायरी का विमोचन शैलेंद्र जैन, डॉ. सुरेन्द्र जैन, अनूपचंद जैन ,डॉ .अखिल बंसल, डॉ नरेन्द्र जैन, सुनील जैन के द्वारा किया गया। परम पूज्य आचार्य श्री प्रज्ञा सागर जी की पुस्तक भारत का भविष्य सभी संपादकों को भेंट की गई।
कलम है ताकतवर-आचार्य श्री प्रज्ञा सागर
अपने आशीर्वचन में परम पूज्य आचार्य श्री प्रज्ञा सागर जी महाराज ने कहा कि पत्रकार की कलम बहुत ताकतवर होती है, वह समाज में आमूलचूल परिवर्तन ला सकती है। किसी लेख का प्रकाशित करना ही पत्रकारिता नहीं है अपितु पत्रकारों के द्वारा ऐसा लिखा जाए जिससे लोगों की जन्मकुंडली ही बदल जाए तो वे सही कार्य करें, अपने आप को सही करने के लिए विवश हो जाएं। पुरानी चीजों को नए तरीके से प्रस्तुत करना पत्रकारिता का कार्य है ।यदि पुरानी सोच नहीं बदली तो समाज की स्थिति क्या होगी? उन्होंने आह्वान किया कि अखिल भारतीय जैन पत्र संपादक संघ के अध्यक्ष शैलेंद्र जैन, कार्याध्यक्ष डॉ. सुरेन्द्र जैन भारती, महामंत्री डॉ. अखिल जैन बंसल पत्रकारों को एक निश्चित विषय चिंतन के लिए दें, जिस पर वे साल भर में अपना चिंतन संपादक संघ की बैठक में, अधिवेशन में प्रस्तुत करें और उस पर सभी अपनी सर्व सम्मत राय बनाएं। हमें सभी को, सभी वर्गों को समान अधिकार देना होगा। उन्होंने कहा कि जिस संपादक संघ के पास डॉ . सुरेन्द्र भारती, संपादक -पार्श्व ज्योति, डॉ .अखिल बंसल ,संपादक- समन्वय वाणी, अनूपचंद जैन संपादक- जैन संदेश जैसे पत्रकार हैं उनकी बात कौन नहीं सुनेगा? आचार्य श्री ने कहा कि जैन संपादक संघ एक श्रंखला प्रारंभ करे, जिसमें प्रश्नोत्तर और शंका समाधान हों।
यदि आप कोई प्रश्न रखेंगे तो मैं भी उनका समाधान करूंगा। उन्होंने कहा कि पंडित रतन लाल मुख्तार के शंका समाधान ग्रंथ को आज हम साधु भी पढ़ते हैं। आप लोगों को भी ऐसा स्थाई कार्य करना चाहिए। इस पर पत्र संपादक संघ के पदाधिकारियों ने सहमति व्यक्त की और शीघ्र ही इसे मूर्त रूप दिया जाएगा। परम पूज्य आचार्य श्री प्रज्ञा सागर जी महाराज ने अपना मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद देना स्वीकार किया। प्रारंभ में संघ के महामंत्री एवं समन्वय वाणी के प्रधान संपादक डॉ. अखिल बंसल ने कहा कि जब जैन पत्रकारों का कोई संगठन नहीं था, तब हमने 2 अक्टूबर 2006 को विजयादशमी के दिन अखिल भारतीय जैन पत्र संपादक संघ की स्थापना की। आज यह संगठन प्रगति कर रहा है, यह हमारे लिए गौरव की बात है। इसे आचार्य श्री विद्यानंद, आ.श्री विद्यासागर जी, आचार्य श्री वर्धमान सागर जी, आ. श्री धर्मभूषण जी, आ.श्री चैत्यसागर जी, आ.श्री वसुनंदी जी, आचार्य श्री विमर्श सागर जी, आ.श्री प्रमुख सागर जी, आ.श्री ज्ञान सागर जी आदि का आशीर्वाद समय-समय पर प्राप्त हुआ है। हम निरंतर सक्रियता से कार्य कर रहे हैं। इस अवसर पर जैन संपादक संघ के की ओर से जैन मित्र के संपादक शैलेश कपड़िया को राजेन्द्र किशोर जैन स्मृति पुरस्कार से अध्यक्ष शैलेन्द्र जैन तथा अन्य पदाधिकारियों ने पुरस्कृत किया तथा 5 हजार की सम्मान राशि भेंट की । कार्यक्रम का सफल संचालन रुचि चौविश्या ने किया।
जैनत्व का हो संरक्षण
अपने उद्बोधन में कार्याध्यक्ष डॉ सुरेन्द्र जैन भारती ने कहा कि जैन पत्र संपादक संघ जैनत्व का संरक्षण करने के लिए वचनबद्ध है। हम कुरीतियों का विरोध पुरजोर आवाज में करते हैं। वेतन भोगी संपादक नहीं हैं अतः हमें निडरता से अपनी बात कहना चाहिए। आज जो पत्र में प्रकाशित होता है, कल के दिन वह इतिहास बन जाता है। अतः अपने पत्र पत्रिका में जो भी लिखें, वह प्रामाणिक लिखें। उन्होंने कहा कि प्रथम आचार्य का निर्णय जैन मित्र में छपे हुए एक समाचार से ही संभव हुआ था। हमें प्रामाणिकता पर ध्यान देने की आवश्यकता है। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में शैलेन्द्र जैन, अलीगढ़ ने कहा कि मैंने उत्तरांचल क्षेत्र कमेटी के माध्यम से उत्तरांचल के तीर्थ क्षेत्रों के संरक्षण हेतु कार्य किया है। पत्र संपादक संघ भी अपने उद्देश्यों के अनुरूप कार्य कर रहा है। हमें जैन आचार्यों का आशीर्वाद मिल रहा है। हम निरंतर आगे बढ़ेंगे ऐसा मेरा विश्वास है। अंत में आभार डॉ .अखिल बंसल, महामंत्री ने व्यक्त किया।
मंदिरों के किए दर्शन
23 जनवरी को पत्र संपादक संघ के सदस्यों ने इंदौर में नवनिर्मित ढाई द्वीप तथा गोम्मटगिरी क्षेत्र व इंदौर स्थित अन्य मंदिरों के दर्शन किए और कार्यशाला की समीक्षा की। सुंदर आयोजन में ढाई द्वीप जिनालय पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव समिति ने पत्र संपादकों के लिए आवास, भोजन एवं वाहन की व्यवस्था की तथा श्री महावीर तपोभूमि, उज्जैन ने भी भोजन तथा कार्यक्रम स्थल की व्यवस्था की। दोनों समितियों के लिए पत्र संपादक संघ ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर वक्ताओं के अतिरिक्त निम्न साथियों की उपस्थिति रही – अजमेर टुडे से अनुराग जैन, सत्यार्थी मीडिया से सचिन जैन, देवपुरी वंदना से राकेश सोनी, महावीर टाइम व बिजनेस दर्पण से हेमंत जैन, योगेन्द्र जैन-दिल्ली, गणतंत्र जैन-आगरा, मयंक जैन-अलीगढ, शांतिनाथ होतपेटे-हुबली, जयेंद्र जैन निप्पू-चंदेरी, सुबोध मारोरा-इन्दौर, गिरीश जैन-अलीगढ, जीडी जैन-अलीगढ़, पं.विजय जैन-मुम्बई आदि भी अपने साथियों के साथ उपस्थित थे।
Add Comment